कालिम्पोंग। तिब्बत मुक्ति साधना को तेज करने और फिर से प्रज्वलित करने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण समय में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के साथ मिलकर अपना दौरा अभियान चला रखा है। अभियान के दौरान इसके सदस्य उत्तर बंगाल और सिक्किम के तिब्बत समर्थक समूहों से मिलेंगे और तिब्बती आंदोलन के लिए इन क्षेत्रों में सक्रिय तिब्बती समुदायों के साथ समन्वय में काम करने के लिए बात करेंगे।
३१ अगस्त २०२३ को गए सीजीटीसी-आई के प्रतिनिधिमंडल में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया (सीजीटीसी-आई) के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री सुरेंद्र कुमार और सीजीटीसी-आईके क्षेत्रीय संयोजक श्री सौम्यदीप दत्ता, हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिब्बत (हिमकैट), सिलीगुड़ी के सचिव श्री सोनम लुंडुप लामा और सीजीटीसी-आई के पूर्व क्षेत्रीय संयोजक शामिल थे। इनके साथ गए भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन और उप समन्वयक तेनज़िन जॉर्डन ने परम पावन १४वें दलाई लामा के बड़े भाई और कसूर (पूर्व तिब्बती कैबिनेट) के सदस्य ग्यालो धुंडोप से कलिम्पोंग में उनके आवास पर शिष्टाचार भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने, लंबे समय से तिब्बत समर्थक और भारत-तिब्बत मैत्री संघ(आईटीएफएस) कलिम्पोंग के अध्यक्ष पी.टी.भूटिया से भी मुलाकात की।
दोपहर बाद भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) ने भारत-तिब्बत मैत्री संघ(आईटीएफएस) कलिम्पोंग के सहयोग से मुख्य अतिथि श्री सुरेंद्र कुमार और विशेष अतिथि श्री सौम्यदीप दत्ता, श्री सोनम लुंडुप लामा, कलिम्पोंग तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी कर्मा गेलेक सहित अन्यकी उपस्थिति में कलिम्पोंग के मणि लाखांग में एक सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में स्थानीय और तिब्बती समुदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आईटीएफएस कलिम्पोंग के चुंगडक ने कार्यक्रम के बारे में बताया और विवरण पढ़ा। कलिम्पोंग के तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी कर्मा गेलेक ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और तिब्बत की वर्तमान स्थिति से लोगों को अवगत कराया और तिब्बत केहित में व्यक्तिगत योगदान की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्य अतिथि सुरेंद्र कुमार ने आईटीएफएस के लक्ष्य, उद्देश्य और पृष्ठभूमि का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अपनी तिब्बत नीति को पुनर्निर्धारित करना चाहिए और आईटीएफएस इस संबंध में भारत सरकार से अपील करना जारी रखेगा। उन्होंने परम पावन १४वें दलाई लामा के प्रतिनिधि के साथ बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए चीनी सरकार पर दबाव बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने तिब्बत की आजादी के लिए आह्वान किया और रेखांकित किया कि तिब्बत पर चीन के कब्जे से भारत और उसके हिमालयी समुदायों के लिए किस तरह से खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने चीन द्वारा तिब्बत में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, व्यापक तौर पर सैन्य बुनियादी ढांचे और बांध निर्माण के कारण सुरक्षा पर उत्पन्न खतरों की ओर भी इशारा किया।
आईटीसीओ समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन ने प्रतिनिधिमंडल की यात्रा की पृष्ठभूमि और भारत में तिब्बत समर्थक समूह, विशेषरूप से हिमालयी समुदायों को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने तिब्बत की वर्तमान स्थिति और औपनिवेशिक आवासीय विद्यालयों सहित तिब्बत में चीनी सरकार द्वारा अपनाई गई बर्बर नीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्थानीय तिब्बती समुदाय से आईटीएफएस, कलिम्पोंग की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने और समर्थन करने की भी अपील की। उन्होंने आईटीएफएस कलिम्पोंग को आईटीसीओ की ओर से कलिम्पोंग में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने में हर संभव सहायता और समर्थन का आश्वासन भी दिया।
बैठक में आईटीएफएस कलिम्पोंग की क्षेत्रीय कार्य समिति के चुनाव १५ दिनों के भीतर कराने की निगरानी के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय और तिब्बती दोनों समुदायों के प्रमुख सदस्यों ने कलिम्पोंग में तिब्बत के लिए समर्थन बढ़ाने को लेकर अपने विचार व्यक्तकिए।