tibet.net /ओटावा। सिक्योंग पेन्पा छेरिंग की कनाडा यात्रा के दौरान मुख्य आकर्षण निश्चित रूप से वहां के हाउस ऑफ कॉमन्स की विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय विकास पर स्थायी समिति के समक्ष उनकी पहली उपस्थिति रही। यहां उन्होंने तिब्बत संकट के बारे में विस्तार से बयान दिया, जिसमें पिछले २७ साल से लापता तिब्बत के ११वें पंचेन लामा से संबंधित मामला भी शामिल था। उनका अनुमोदन मिलने के बाद समिति ने तिब्बत मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने वाले एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
सिक्योंग के संबोधन से पहले सांसद आरिफ विरानी द्वारा सिक्योंग का सदन में औपचारिक रूप स्वागत किया गया और उनका परिचय कराया गया। विरानी ने ही सदन को बुनियादी मानवाधिकारों के लिए तिब्बती संघर्ष के मुद्दे को समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।
गुरुवार ०५ मई को समिति के समक्ष अपने बयान में सिक्योंग ने तिब्बत से संबंधित मुद्दे के बारे में जोरदार विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने पश्चिमी देशों को तिब्बत के बारे में चीन रचित इतिहास के अलावा अन्य स्रोतों से भी अध्ययन करने की जरूरत पर जोर दिया और कनाडा के नीति निर्माताओं से चीन के खिलाफ अधिक कानून और प्रतिबंधों के साथ आगे आने का आग्रह किया।
चीनी शासन में तिब्बत के भीतर राजनीतिक और मानवाधिकारों की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डालते हुए सिक्योंग ने तिब्बती भाषा और संस्कृति के दमन पर चिंता व्यक्त की। भाषा दमन के मुद्दे पर सांसद गार्नेट जेनुइस के सवाल के जवाब में सिक्योंग ने चीनी शासन के तहत तिब्बती भाषा के क्षरण के मामले में शी जिनपिंग के नेतृत्व में माओत्से तुंग के नेतृत्व से भी बदतर स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान शी सरकार के तहत तिब्बती भाषा को लेकर बहुत कम स्वतंत्रता है या यों कहा जाए कि कोई स्वतंत्रता है ही नहीं।
सिक्योंग ने कहा, ‘जब शी जिनपिंग सत्ता में आए तो उन्होंने भाषा को लेकर तिब्बतियों को जो थोड़ी सी स्वतंत्रता प्राप्त थी, उसको भी ध्वस्त कर दिया। इसका कारण था कि उन्होंने ‘एक चीन नीति’ लागू की, जिसके तहत चीनी भाषा और संस्कृति के अलावा भाषा और संस्कृति के अध्ययन के लिए कोई जगह नहीं थी। स्कूलों और संस्थानों को शिक्षा का माध्यम तिब्बती से बदलकर चीनी भाषा करने के लिए मजबूर किया गया।‘
अपनी गवाही में सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने पंचेन लामा के संबंध में टिप्पणी की कि परम पावन दलाई लामा द्वारा मान्यता प्राप्त गेधुन चोएक्यी न्यिमा को पंचेन लामा के रूप में मान्यता नहीं देकर चीन ने एक बड़ी सामरिक त्रुटि की है। उन्होंने कहा, ‘अगर चीन ने ऐसा किया होता तो उनके पास तिब्बतियों द्वारा माने गए गेधुन चोएक्यी न्यिमा पंचेन लामा होते। न कि उनके द्वारा थोपा गया ऐसा लड़का जिसे न तो परम पावन दलाई लामा और न ही तिब्बतियों द्वारा मान्यता मिली हुई है।‘ उन्होंने कहा कि ११वें पंचेन लामा के ठिकाने और उनके सेहत की सच्चाई को छिपाने का चीन का मकसद दलाई लामा के पुनर्जन्म में हस्तक्षेप करने का तरीका है क्योंकि इसमें दलाई लामा और पंचेन लामा द्वारा एक-दूसरे को पारस्परिक मान्यता प्रदान करना शामिल है।
चीन-तिब्बत वार्ता को फिर से शुरू करने से संबंधित मुद्दे पर बोलते हुए सिक्योंग ने चीनी नेताओं से संपर्क करने के कई प्रयासों के बावजूद ‘चीनी समकक्षों की ओर से कोई उत्तर न मिलने’ के कारण बातचीत में गतिरोध आने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति शी के नेतृत्व में चीजें भयावह दिखती हैं, यहां तक कि निकट भविष्य में बातचीत की उम्मीद भी दूर की कौड़ी लगती है।‘ इसके साथ ही उन्होंने समिति से सर्वसम्मति से चीन-तिब्बत वार्ता को फिर से शुरू करने पर प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया।
गवाही के दौरान सिक्योंग के साथ ताशी ल्हुनपो मठ (पंचेन लामा की सीट) के मठाधीश ज़ीक्याब रिनपोछे थे, जिन्होंने गेधुन चोएक्यी न्यिमा के मामले पर कुछ आवश्यक बयान दिए और समिति के समक्ष पांच सूत्रीय अपील भी प्रस्तुत की और उम्मीद जताई कि वे अपीलों पर सकारात्मक रूप से विचार करेंगे।
ज़ीक्याब रिनपोछे द्वारा प्रस्तुत पाँच सूत्रीय अपील:
१ कनाडा सरकार चीन में राजदूत को ११वें पंचेन लामा से मिलने और उनके ठिकाने और कुशलक्षेम का पता लगाने के लिए आदेश दे और इस बारे में प्रस्ताव पारित करे।
२ कनाडा सरकार २७ वर्षों से जबरन गायब होने के पीडि़त ११वें पंचेन लामा को सम्मानित करे। इसके साथ ही कनाडा ऐसे किसी भी व्यक्ति को सम्मानित करे जिसे उनके मानवाधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता, बाल अधिकारों और आवागमन, निवास और अन्य मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया है।
३ उनकी शीघ्र रिहाई के लिए और उनकी स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कनाडा की संसद से ११वें पंचेन लामा का जन्मदिन मनाने की अपील की जाती है।
४ ताशी ल्हुनपो मठ के एक लामा जाड्रेल रिनपोछे की रिहाई के लिए सक्रिय रूप से आह्वान किया जाए, जो ११वें पंचेन लामा के साथ-साथ कई अन्य तिब्बती राजनीतिक कैदियों की खोज समिति के प्रमुख थे। तिब्बत में विकट स्थिति के कारण विरोध करने के लिए तिब्बती आत्मदाह के कृत्यों का सहारा ले रहे हैं। नवीनतम आत्मदाह का मामला इसी साल २५फरवरी को २५ वर्षीय तिब्बती गायक छेवांग नोरबू और २७ मार्च को ८१ वर्षीय ताफून का हैं। तिब्बत की गंभीर स्थिति की ओर संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए कम से कम १५७ तिब्बतियों ने अपने सबसे कीमती जीवन का बलिदान दिया है। इसलिए, कनाडा सरकार से उनकी अपीलों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया जाता है।
५ तिब्बत में तिब्बतियों की आकांक्षा है कि परम पावन दलाई लामा जल्द से जल्द तिब्बत लौटें। इसलिए कनाडा सरकार से परम पावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का समर्थन लिए के लिए ठोस पहल करने पर विचार करने की अपील की जाती है ताकि पारस्परिक रूप से लाभकारी मध्यम मार्ग के माध्यम से चीन-तिब्बत संघर्ष के समाधान को सक्षम बनाया जा सके।