tibet.net / नई दिल्ली। तिब्बत के संसदीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा कई दिनों तक लगातार सम्पर्क करने के बाद ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी) को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया गया है। संसदीय प्रतिनिधिमंडल के अभियान में शामिल ३८ सांसदों में सेर्टा त्सुल्ट्रिम, गेशे ल्हारम्पा गोवो लोबसंग फेंडे, लग्यारी नामग्याल डोलकर, गेशे एटोंग रिनचेन ग्यालत्सेन और चोएडक ग्यात्सो थे। २१ दिसंबर को निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल ने दिल्ली का दौरा किया और २२ दिसंबर की सुबह अध्यक्ष ने दिल्ली में परम पावन दलाई लामा ब्यूरो के प्रतिनिधि सचिव, प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों और आईटीसीओ के निदेशक के साथ बैठक की अध्यक्षता की। बाद में शाम को भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के समन्वय में निर्वासित तिब्बती संसद ने द इम्पीरियल होटल, नई दिल्ली में एपीआईपीएफटी सदस्यों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया।
रात्रिभोज के स्वागत के दौरान ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत के पुनरुद्धार की आधिकारिक रूप से घोषणा की गई, जिसमें ओडिशा से राज्यसभा के माननीय सांसद श्री सुजीत कुमार को सर्वसम्मति से फोरम का संयोजक नियुक्त किया गया।
रात्रिभोज बैठक में स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल, भारत के कौशल विकास और उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री रामदास अठावले, कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य श्री के.सी. राममूर्ति, लोकसभा सदस्या श्रीमती मेनका गांधी, बिहार से लोकसभा सदस्य श्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य श्री स्वपन दासगुप्ता, ओडिशा से राज्यसभा सदस्य श्री सुजीत कुमार, कर्नाटक से राजसभा सदस्य श्री जयराम रमेश, पंजाब से लोकसभा सदस्य श्री मनीष तिवारी, बिहार से लोकसभा सदस्य श्री चंदेश्वर प्रसाद, हिमाचल से लोकसभा सदस्य श्रीमती रानी प्रतिभा सिंह, प्रतिनिधिमंडल के सदस्य, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य कुंचोक यांगफेल, कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक और भारतीय संसद के पूर्व सदस्य श्री आर.के. खिरमे, आईटीसीओ के निदेशक और कर्मचारी शामिल हुए।
इस बैठक की शुरुआत आईटीसीओ के निदेशक जिग्मे त्सुल्ट्रिम द्वारा ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत का परिचय, इसके गठन और विकास के बारे में जानकारी देने के साथ साथ हुई। इसके बाद स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल, सांसद लग्यारी नामग्याल डोलकर, एपीआईपीएफटी के संयोजक श्री सुजीत कुमार और कर्नाटक के राज्यसभा सदस्य श्री जयराम रमेश ने मुख्य भाषण दिए।
स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल ने अपने संबोधन में तिब्बत और तिब्बती मुद्दों के लिए भारतीय सांसदों के अटूट समर्थन की सराहना की और पिछले ६०से अधिक वर्षों से परम पावन दलाई लामा और तिब्बतियों की मेजबानी के लिए सरकार और भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने आगे तिब्बत के मुद्दे के लिए भारत विशेष रूप से ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत के समर्थन के महत्व पर प्रकाश डाला। संसद के अंदर और बाहर सांसदों के निरंतर समर्थन का आग्रह करते हुए स्पीकर ने भारतीय सांसदों से तिब्बती कार्यक्रमों और समारोहों में शामिल होने की अपील की।
उन्होंने आगे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के क्रूर शासन के तहत तिब्बत के अंदर तिब्बतियों की पीड़ा की कहानी बयां की, जहां वे धर्म, संस्कृति, भाषा आदि के अधिकार सहित बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि दुनिया की छत कहे जाने वाले तिब्बत का अकल्पनीय पर्यावरणीय विनाश हो रहा है जिसके गंभीर परिणाम भारत सहित पड़ोसी देशों को भुगतने होंगे। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के कामकाज को जानने और समझने के लिए स्पीकर ने एपीआईपीएफटी के सदस्यों को धर्मशाला आने का निमंत्रण दिया।
सांसद लग्यारी नामग्याल डोलकर ने प्रतिनिधिमंडल की ओर से भारतीय मंत्रियों, सांसदों और अधिकारियों को अभियान के दौरान गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आभार व्यक्त किया और भविष्य के तिब्बती संसदीय अभियानों के लिए उनके निरंतर समर्थन का आग्रह किया। उन्होंने परम पावन दलाई लामा, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और तिब्बतियों की मेजबानी करने के लिए भारत और उसके लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने के बाद भारत पिछले छह दशकों में तिब्बतियों का घर बन गया है और यहां उपलब्ध कराई गई सभी सुविधाओं और सहायताओं के लिए तिब्बती हमेशा भारत के ऋणी रहेंगे। उन्होंने अंततः भारतीय संसद सदस्यों से भारतीय संसद में तिब्बत से संबंधित प्रस्तावों को पेश करने और उन्हें पारित कराने की अपील की।
इसके बाद, एपीआईपीएफटी के संयोजक श्री सुजीत कुमार ने बताया कि कैसे ‘बीजू जनता दल’ का नाम ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बीजू पटनायक के नाम पर रखा गया, जो तिब्बत के प्रबल समर्थक थे। सांसद ने आगे बताया कि उन्हें परम पावन दलाई लामा का दर्शन करने का अवसर मिला और वे १२ वर्षों से अधिक समय से परम पावन के अनुयायी हैं। २००९ में तिब्बत का दौरा करने वाले एपीआईपीएफटी के संयोजक ने दृढ़ता से विरोध किया कि तिब्बत कभी चीन का हिस्सा नहीं था और भारत चीन के साथ सीमा साझा नहीं करता है। उन्होंने भारतीय संसद में अमेरिकी तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम जैसी नीति अपनाने की आवश्यकता और परम पावन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का आह्वान किया।
अंत में, श्री जयराम रमेश (कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य), जिनकी तिब्बत की संस्कृति, विचारधारा, इतिहास और पर्यावरण के बारे में गहरी रुचि और ज्ञान है, ने राजनीति के अलावा संस्कृति और पर्यावरण के संदर्भ में भारत के लिए तिब्बत मुद्दे के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने आगे बौद्ध धर्म पर अपनी पुस्तक के बारे में बताया और कहा कि पुस्तक की प्रस्तावना परम पावन दलाई लामा से पाकर वे कितने प्रसन्न हैं। रात्रिभोज की बैठक तिब्बती सांसदों और भारतीय सांसदों के बीच चर्चा के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुई।