तिब्बत पर एम.एस. गोलवलकर (रार्ष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक)
१९६२ के चीनी आक्रमण के बाद व्यक्त विचार
जनमत को शिक्षित और संचालित कर समाज की सामूहिक इच्छा को जागृत करना हमारा कर्तव्य है जिससे कि हमारे नेतागण आक्रांताओं से कोई अपमानजनक समझौता न कर सकें। शत्रु को तिब्बत से बिना निकाल बाहर किये युद्धबंदी स्वीकार करना सामरिक दृष्टि से भयंकर भूल होगी।
आज दलाई लामा हमारे बीच हैं। तिब्बती जन अपने देश में चीनी सेनाओं से भी अभी तक लोहा ले रहे हैं। तिब्बत की मुक्ति के लिए यह तथ्य हमारे पक्ष में है। दलाई लामा को हम उनकी देशातर सरकार की स्थापना करके तिब्बत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दें। हम उन्हें अपने देश की स्वाधीनता के लिए संघर्ष चलाने के लिए सब प्रकार की सहायता दें। बिना स्वाधीन एवं मैत्रीपूर्ण तिब्बत के हमारी सम्पूर्ण उत्तरी सुरक्षा केवल उपहास का पात्र है।”
एम.एस. गोलवलकर
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