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०३ अगस्त २०२२, नई दिल्ली। भारत में तिब्बत समर्थक समूहों के शीर्ष समन्वय निकाय- कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) की पहल पर तिब्बत के लिए अखिल भारतीय सर्वदलीय संसदीय मंच (एपीआईपीएफटी) और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया के सदस्यों की बैठक का आयोजन ०३ अगस्त २०२२ की शाम को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी), नई दिल्ली में किया गया।
सीजीटीसी-आई के राष्ट्रीय संयोजक श्री आर के खिरमेने बैठक की शुरुआत में माननीय संसद सदस्यों, सीजीटीसी-आई सदस्यों और अन्य सदस्यों का स्वागत कियाऔर उन्हें भारत में तिब्बत समर्थक समूहों, कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया, परम पावन दलाई लामा, निर्वासित तिब्बती सरकार (केंद्रीय तिब्बती प्रशासन) और निर्वासित तिब्बती संसद के बारे में जानकारी दी।
एपीआईपीएफटी के संयोजक सांसद श्री सुजीत कुमारने बैठक की अध्यक्षता की और तिब्बत के लिए ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम, इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान समय तक की पृष्ठभूमि, अतीत में मंच से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तित्व जैसे एम सी छागला, जॉर्ज फर्नांडीस, रबी राय और मोहन सिंह के साथ हीतिब्बती आंदोलन से जुड़े निजलिंगप्पा और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे उत्साही तिब्बत समर्थकों के बारे में परिचय दिया। उन्होंने तिब्बत और तिब्बतियों के साथ अपने जुड़ाव के बारे में भी जानकारी दी। ओडिशा से आने वाले साथियों को उन्होंने स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) की स्थापना में ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बीजू पटनायक के योगदान को भी याद किया। उन्होंने २००९में तिब्बत की उनकी यात्रा के बारे में भी उल्लेख किया जब उन्होंने तिब्बत में परम पावन दलाई लामा के लिए तिब्बती लोगों की भक्ति को देखा।खुद को परम पावन दलाई लामा के दो बार (धर्मशाला और ओडिशा) दर्शनों के लिए धन्य माना।
श्री सुजीत कुमार ने २०१४की तिब्बती पुनर्वास नीति पर प्रकाश डाला और भारत में तिब्बती शरणार्थियों और बस्तियों के कल्याण, तिब्बत के पर्यावरण की सुरक्षा और परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के संबंध में विचारणीय बिंदु रखे।
माननीय सदस्यों ने तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच को मजबूत करने पर चर्चा की और तिब्बती मुद्दों पर काम करने के लिए समय-समय पर मंच की बैठक करने का सुझाव दिया। वे परम पावन दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध करने और भारत की संसद में परम पावन दलाई लामा द्वारा एक संबोधन दिए जाने के लिए अनुरोध करने के लिए एक साथ सहमत हुए।
माननीय सदस्यों ने अपने-अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित तिब्बती बस्तियों का दौरा करने का सुझाव दिया और तिब्बती लोकतंत्र दिवस और तिब्बती संसद सत्र, परम पावन दलाई लामा के नोबेल शांति पुरस्कार, वर्षगांठआदि जैसे विशेष अवसरों के दौरान निर्वासित तिब्बतियों के मुख्यालय धर्मशाला जाने का भी सुझाव दिया।
माननीय सदस्यों ने दोहराया कि वे सभी तिब्बत और तिब्बती लोगों के साथ हैंऔर कहा कि तिब्बती मुद्दे को जीवित रखा जाना चाहिए और सभी को तिब्बत का समाधान होने तक प्रयास करते रहना चाहिए।
बैठक के दौरान उपस्थित माननीय संसद सदस्यों में ओडिशा से एपीआईपीएफटी के संयोजक सुजीत कुमार, बिहार से सुशील कुमार मोदी और अनिल हेगड़े, उत्तर प्रदेश से राजेंद्र अग्रवाल और अशोक वाजपेयी, अरुणाचल प्रदेश से तपीर गाओ, कर्नाटक से लहर सिंह सिरोया, हिसे लाचुंगपा, सिक्किम से इंद्रा हैंग सुब्बा और गोवा से विनय तेंदुलकर प्रमुख थे।
बैठक के दौरान राष्ट्रीय संयोजक श्री आर के खिरमे के नेतृत्व मेंकोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया के १४सदस्य, भारत- तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के समन्वयक (कार्यवाहक) तेनज़िन जॉर्डन और एपीआईपीएफटी समन्वयक चोनी छेरिंग भी उपस्थित थे।