दैनिक जागरण, 2 अप्रैल, 2012
गुवाहटी। तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम [उल्फा] प्रमुख परेश बरुआ ने कहा है कि यदि उनकी धरती पर चीन विरोधी प्रदर्शन किए गए तो वह चुप नहीं बैठेंगे। बरुआ ने भारत में हाल ही में हुए चीन को लेकर प्रदर्शन की निंदा की। बरुआ ने असम में इस तरह के विरोध प्रदर्शन न करने की भी खुली चेतावनी दी है।
बरुआ के इस बयान ने जहां खुफिया विभाग की नींद उड़ा दी है वहीं सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आशंका जताई जा रही है कि उल्फा के बढ़ते कदम में कहीं न कहीं चीन सहायक बन सकता है। वहीं कुछ दिन पूर्व माओवादियों के भी उल्फा से हाथ मिलाने की खबर आई थी। ऐसे में उल्फा का चीन के सुर में सुर मिलाना न सिर्फ असम के लिए बल्कि पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए खतरे का सबक बन सकता है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी सात अप्रैल को असम के दौर पर आना है। इसी दिन उल्फा का स्थापना दिवस भी है। इन सबके मद्देनजर असम में हाईअलर्ट घोषित किया गया है।
इससे पूर्व रविवार को उल्फा के वार्ता विरोधी धड़े की ओर से असम के तिनसुखिया जिले में किए गए विस्फोट में दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पुलिसकर्मियों का समूह रविवार रात डूमडूमा के मुख्य बाजार में गया था। जहां उन्होंने एक सब्जी की दुकान में एक संदेहास्पद पैकेट देखा। जांच करते समय ही इसमें विस्फोट हो गया।
मीडिया को भेजे अपने ईमेल में उग्रवादी गुट उल्फा के वार्ता विरोधी दल के प्रचार विभाग के सदस्य जॉय आसोम ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी ली है।