
इटानगर। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर स्थित विधानसभा के दोरजी खांडू राज्य कन्वेंशन हॉल में हिमालय सुरक्षा मंच, अरुणाचल प्रदेश द्वारा २४ जनवरी २०२५ को ‘पर्यावरण और सुरक्षा’ विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित सुरक्षा के बारे में जागरुकता फैलाना था। इस संगोष्ठी में अरुणाचल प्रदेश के माननीय मंत्रियों और विधायकों, पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों, इटानगर नगर निगम (आईएमसी) के प्रमुख और पार्षदों के साथ-साथ अरुणाचल स्वदेशी जनजातीय मंच (एआईटीएफ) के प्रमुख सदस्यों सहित ७०० से अधिक लोगों की भारी भागीदारी देखी गई। एआईटीएफ समुदाय-आधारित संगठनों (सीबीओ) का शीर्ष संगठन है।
संगोष्ठी में अरुणाचल प्रदेश की सभी जनजातियों के प्रतिनिधियों, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, अरुणाचल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एसीसीआई), ईटानगर, नाहरलागुन, बांदरदेवा और गोहपुर के बाजार कल्याण संघों के साथ-साथ छात्र संगठनों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लिया और इस और समृद्ध बनाया।
संगोष्ठी की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के माननीय नेता सिक्योंग पेन्पा शेरिंग के औपचारिक स्वागत और प्रदर्शनी दौरे के साथ हुई। भारतीय संसद में लोकसभा सदस्य श्री तापिर गाओ और ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच) के सह-संयोजक ने अपने स्वागत भाषण में चीन के अधीन तिब्बत में कुप्रबंधन के कारण होने वाली पर्यावरण और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में संगोष्ठी के महत्व पर बल दिया। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज – इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक श्री रिनचेन खांडो खिरमे ने अपने परिचयात्मक भाषण में संगठन के उद्देश्यों का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें भारत और तिब्बत के बीच दीर्घकालिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया गया।
अपने संबोधन में सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की पहलों, पदाधिकारियों और दृष्टिकोण का अवलोकन किया और भारत-तिब्बत के ऐतिहासिक संबंधों के बारे में विस्तार से बताया। महामहिम सिक्योंग ने क्षेत्र की साझा पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए भारत द्वारा सक्रिय कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला और तिब्बत के पर्यावरणीय क्षरण और भारत की सुरक्षा के लिए इसके भू-राजनीतिक निहितार्थों के बारे में चिंता जताई।
अरुणाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू ने अपने मुख्य भाषण में तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय निर्भरता की विशेषता बताई। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की सीमा की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला, जिसे शिमला संधि के तहत सीमांकित किया गया था। इसके साथ उन्होंने चीन की विस्तारवादी नीतियों पर चिंता व्यक्त की। श्री खांडू ने स्पष्ट किया कि भारत की सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं। उन्होंने चीन द्वारा तिब्बत पर जबरन कब्जे की निंदा की और विकास के नाम पर चीन द्वारा किए जा रहे सांस्कृतिक संहार की आलोचना की। सत्र का समापन हिमालय सुरक्षा मंच के श्री तारह तारक के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
दोपहर के सत्र का संचालन राजीव गांधी विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन विभाग के सहायक प्रोफेसर और संस्थापक प्रमुख श्री मोजी रीबा ने किया। इस सत्र में प्रसिद्ध तिब्बतविज्ञानी और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के पूर्व राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री विजय क्रांति द्वारा एक अंतर्दृष्टि से संपन्न प्रस्तुति और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के माननीय सिक्योंग महामहिम पेन्पा शेरिंग द्वारा एक अंतर्दृष्टि से पूर्ण प्रभावशाली प्रस्तुति शामिल थी। महामहिम पेन्पा शेरिंग ने तिब्बत के एशिया के जल मीनार होने पर एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया और चीन की बांध निर्माण परियोजनाओं के कारण तिब्बत की बिगड़ती पर्यावरणीय चिंता और अरुणाचल प्रदेश की भू-राजनीतिक सुरक्षा पर इसके प्रभावों से तत्काल निपटने की जरूरत पर बल दिया। सत्र का समापन एक अत्यधिक आकर्षक और संवादात्मक प्रश्नोत्तर खंड के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित लोगों को सीधे अपने प्रश्नों को प्रस्तुत करने और माननीय सिक्योंग और श्री विजय क्रांति के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला। संवाद ने संगोष्ठी को समृद्ध किया और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र की भू-राजनीतिक प्रकृति की गहरी समझ को बढ़ावा दिया।
इस कार्यक्रम में तिब्बत संग्रहालय द्वारा आयोजित तिब्बत पर महत्वपूर्ण प्रदर्शनी ने चार चांद लगा दिया। इस प्रदर्शनी का विषय था ‘भारत और तिब्बत: प्राचीन संबंध और वर्तमान प्रतिबंध’। इस विषय से प्रतिभागियों को तिब्बत के इतिहास, संस्कृति और वर्तमान में इसके समक्ष उपस्थित चुनौतियों के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त हुआ। आईटीसीओ समन्वयक ताशी देकि ने गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया, जो भारत और तिब्बत के बीच स्थायी संबंधों का प्रतीक है। यह प्रतीक चिह्न इन संबंधों को मजबूत करने के लिए आईटीसीओ की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।
संगोष्ठी का समापन कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के सह-संयोजक श्री सुरेन्द्र कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। संगोष्ठी ने तिब्बत में पर्यावरणीय चुनौतियों और भारत की पारिस्थितिकीय सुरक्षा पर उनके प्रभावों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। इस तरह यह आयोजन पारिस्थितिकीय संरक्षण, क्षेत्रीय स्थिरता और स्थायी शांति के लिए तिब्बत मुद्दे को केंद्र में रखकर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में चिह्नित हुआ।