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धर्मशाला। नई दिल्ली स्थित भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) द्वारा आयोजित वार्षिक मीडिया आउटरीच कार्यक्रम में इंडियन एसोसिएशन ऑफ फॉरेन अफेयर्स कॉरेस्पॉन्डेंट्स (आईएएफएसी) के चार सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने २४ सितंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने २७ सितंबर को तिब्बती मुद्दे, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए), इसके संचालन और निर्वासित तिब्बती समुदाय के बारे में जानकारी प्राप्त की। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में स्ट्रैटन्यूज़ ग्लोबल के कूटनीतिक संपादक सूर्य गंगाधरन, द हिंदू में कूटनीतिक संपादक सुहासिनी हैदर, एबीपी लाइव में समाचार संपादक तथा कूटनीति और रक्षा मामलों की संपादक नयनिमा बसु और यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई)/ यूनीवार्ता के विशेष संवाददाता सचिन बुधौलिया शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल के पहले दिन के कार्यक्रम में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) मुख्यालय और तिब्बत संग्रहालय का दौरा शामिल था, जहां उन्होंने संग्रहालय के कर्मचारियों की सहायता से तिब्बत से संबंधित प्रदर्शनियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
अगले दिन प्रतिनिधिमंडल ने परम पावन दलाई लामा से मुलाकात की और संक्षिप्त बातचीत की। इस मुलाकात में परम पावन ने नालंदा परंपरा के प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। परम पावन के साथ इस बातचीत को बाद में विभिन्न मीडिया चैनलों पर प्रसारित किया गया।
प्रतिनिधिमंडल ने छुगलाखांग मंदिर परिसर का भी दौरा किया, जहां उन्होंने गुरु बुमतसोक प्रार्थना सत्र का अवलोकन किया। उन्होंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति सिक्योंग पेन्पा छेरिंग से भी मुलाकात की। सिक्योंग ने प्रतिनिधिमंडल को सीटीए और तिब्बती आंदोलन के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के बारे में जानकारी दी। सिक्योंग के व्यक्तिगत साक्षात्कार भी किए गए।
प्रतिनिधिमंडल अपनी यात्रा के दौरान तिब्बती कार्य और अभिलेखागार पुस्तकालय (एलटीडब्ल्यूए) में रुका, जहां उन्होंने पुस्तकालय के महासचिव न्गावांग येशी से मुलाकात की और पुस्तकालय के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने एलटीडब्ल्यूए के विभिन्न श्रेणियों के बारे में जानकारी प्राप्त की और बाद में तिब्बत से नए आए तिब्बतियों से मिलने के लिए तिब्बती स्वागत केंद्र पहुंचे।
दूसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बती चिकित्सा और ज्योतिष संस्थान, मेन-छे-खांग के मुख्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने संस्थान के निदेशक थुप्टेन छेरिंग से मुलाकात की और संग्रहालय सहित संस्थान परिसर का दौरा किया। उन्हें संस्थान के डॉक्टरों से परामर्श करने का भी अवसर मिला।
इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने निर्वासित तिब्बती संसद (टीपीआइई) का दौरा किया और डिप्टी स्पीकर डोल्मा तेखांग से मुलाकात की। डिप्टी स्पीकर ने तिब्बत के अंदर तिब्बतियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतीपूर्ण स्थितियों से प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि तिब्बत के अंदर रहनेवाले तिब्बती सांस्कृतिक संहार, मनमानी हिरासत, हिरासत में मौतों और अन्य अत्याचारों के बावजूद शांतिपूर्ण तरीकों से दमन का विरोध करना जारी रखे हुए हैं। डिप्टी स्पीकर के साथ अलग-अलग साक्षात्कार आयोजित किया गया और प्रतिनिधिमंडल ने उस स्थान का दौरा किया जहां संसद की कार्यवाही होती है।
प्रतिनिधिमंडल ने मैक्लोडगंज में तिब्बती युवा कांग्रेस (टीवाईसी), स्टूडेंट्स फॉर ए फ्री तिब्बत-इंडिया (एसएफटी-इंडिया) और नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत (एनडीपीटी) के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की।
अंत में, प्रतिनिधिमंडल ने अपर तिब्बती चिल्ड्रन विलेज (टीसीवी) का दौरा किया, जहां ग्राम निदेशक छुल्ट्रिम दोरजी ने उनका स्वागत किया। उन्होंने स्कूल परिसर का दौरा किया, छात्रों से बातचीत की और छात्रों को प्रदान किए गए पोषण संबंधी वातावरण और समग्र शिक्षा से प्रभावित हुए।
इस यात्रा ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया। यहां उन्हें तिब्बती समुदाय और उसके निर्वासित प्रशासन को प्रत्यक्ष रूप से देखने का मौका मिला। इससे उनमें तिब्बती आंदोलन की गहरी समझ पैदा हुई और भारत में इसका समर्थन करने की प्रतिबद्धता नए सिरे से जगी।
मीडिया प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में सीटीए के डीआईआईआर द्वारा सचिव कर्मा चोयिंग, अतिरिक्त सचिव तेनज़िन लेक्षाय, ताशी फुंटसोक और नामग्याल छेवांग की उपस्थिति में रात्रिभोज का आयोजन किया गया। रात्रिभोज समारोह में सदस्यों का अभिनंदन किया गया। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली स्थित भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय के समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन और कार्यक्रम अधिकारी छोनी छेरिंग भी थे।