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एक विश्वसनीय स्रोत से मिली जानकारी के अनुसार, १० साल की सजा काट रहे प्रख्यात तिब्बती विद्वान गो शेरब ग्यात्सो इस समय गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। अक्तूबर- २०२० में गिरफ्तारी के बाद से जेल में उन्हें कई बार मारा-पीटा गया और उनके साथ लगातार दुर्व्यवहार किया गया। उनके बीमार होने का यह प्रमुख कारण है।
जेल में भोजन और चिकित्सा उपचार जैसी उचित जरूरी सुविधाओं की कमी के साथ-साथ मारपीट किए जाने के कारण शेरब का स्वास्थ्य और भी खराब हो गया है। गो शेरब कथित तौर पर फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं। माना जाता है कि १९९८ में पहली बार जेल में डाले जाने के समय ही उन्हें यह बीमारी लग गई थी, तब से ही वह नियमित तौर पर दवाओं पर चल रहे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में उनकी बीमारी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई है और चीनी सरकार द्वारा कैद तिब्बती भिक्षु की ‘तत्काल और बिना शर्त’ रिहाई की मांग की गई है। रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच के चीन मामलों की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने कहा कि, ‘एक बार फिर चीनी सरकार द्वारा एक तिब्बती को गलत तरीके से कारावास की सजा दी गई है, जिससे उनकी मौत होने का खतरा उपस्थित हो गया है।’ उन्होंने कहा, ‘गो शेरब ग्यात्सो को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और उनकी गहन चिकित्सा देखभाल दी जानी चाहिए।’
शेरब के मामले के आलोक में कहा जा सकता है कि कैदी में दुर्व्यवहार और उचित चिकित्सा देखभाल न किए जाने के कारण ही चीनी पुलिस की हिरासत में लंबे समय से सजा काट रहे कई तिब्बती कैदियों की मृत्यु हुई है।
चीनी अधिकारियों ने गो शेराब को २६ अक्टूबर २०२० को उस समय गिरफ्तार कर लिया था, जब वह अपने इलाज के लिए चेंगदू में थे। हालांकि गो शेरब ग्यात्सो को लंबी जेल की सजा देने के औचित्य में ठोस और वैध सबूतों का अभाव था। चीनी अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोप तिब्बती स्वतंत्रता के समर्थन का संकेत देते हैं। एक अन्य स्रोत ने उनकी सजा के लिए मुख्य आधार उनकी पुस्तक रूप में रिकॉर्ड की गई बातचीत का संग्रह- फाइंड योर ओन पाथ’ की सामग्री को बताया गया है। लेकिन उनके ऊपर लगाए जा रहे इन आरोपों को प्रमाणित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे। वह वर्तमान में चुशुल जेल (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में जेल नंबर- १) में बंद हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के एक समूह ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर २१ जुलाई २०२१ को गो शेरब ग्यात्सो के गायब होने पर चीनी सरकार से सवाल पूछे थे और इसको लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। चीनी सरकार ने २७ अगस्त २०२१ को दिए अपने जवाब में कहा कि गो शेरब ग्यात्सो को ‘अलगाव को उकसाने’ के तथाकथित आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, यह पता चला कि ल्हासा सिटी इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट ने अभी तक उनके मामले पर फैसला सुनाया नहीं था। तिब्बती सूत्रों ने बाद में बताया कि उन्हें १० साल की सजा दी गई थी।
तिब्बती पहचान को बनाए रखने के लिए एक प्रतिष्ठित और अत्यधिक मुखर तिब्बती सेनानी के रूप में गो शेरब ग्यात्सो कोई नया नाम नहीं है। वह चीनी अधिकारियों के साथ संघर्ष और मतभेद रखने वाले प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। चेंगदू में गिरफ्तारी से पहले गो शेरब ग्यात्सो को पहले १९९८ से २०११ के बीच तिब्बत और तिब्बती लोगों को कमजोर करने वाली चीनी नीतियों की आलोचना करने वाले उनके लेखन के लिए कई बार हिरासत में लिया गया था।