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वाशिंगटनडीसी। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष रिपब्लिकन माइकल मैककॉल (टेक्सास) और चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग के सह-अध्यक्ष जिम मैकगवर्न (डेमोक्रेट-मैसाट्यूचेस्ट्स) ने तिब्बत और पीआरसी के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) और दलाई लामा के दूतों के बीच शांति की दिशा में बातचीत को आगे बढ़ाने वाली नीति को मजबूत करने के लिए एक विधेयक पेश किया।
‘प्रोमोटिंग ए रिजोल्यूशन टू द तिब्बत-चाइना कंफ्लिक्ट ऐक्ट (तिब्बत-चीन संघर्ष समाधान को बढ़ावा देने के लिए अधिनियम)’ संवाद को बढ़ावा देने की अमेरिका की इस दीर्घकालिक द्विदलीय नीति को सुनिश्चित करना चाहता है कि अमेरिकी नीति अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों पर आधारित है। यह अधिनियम तिब्बत-चीन के बीच संघर्ष की प्रकृति को सटीक रूप से दर्शाती है। इस अधिनियम के तहत पीआरसी अधिकारियों और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत शुरू करने का प्रयास किया गया है। असल में,२०१० के बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है और चीनी अधिकारी आगे की बातचीत शुरू करने के लिए शर्त के रूप में दलाई लामा से अनुचित मांग करना जारी रखे हुए हैं।
प्रतिनिधि मैककॉल ने कहा,‘तिब्बत पर १९५० में चीनी आक्रमण और अब तक तिब्बतियों पर चल रहे उसके दमन ने सीसीपी की क्षेत्रीय आक्रामकता और मानवाधिकारों के हनन के लिए मंच तैयार करने का काम किया है। लोगों की स्वतंत्रता का हरण करने और इतिहास को फिर से लिखने के उनके कुत्सित प्रयास आज भी अमेरिकी मूल्यों और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए खतरा हैं। यह द्विदलीय विधेयक यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि तिब्बतियों को अपने भविष्य को सुनिश्चित करने और अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। साथ ही इससे सीसीपी के इस झूठ को खारिज करने में मदद मिलेगी कि तिब्बत पर उनका अतिक्रमण ऐतिहासिक रूप से वैध है।‘
प्रतिनिधि मैकगवर्न ने कहा, ‘तिब्बत और चीन के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान में कांग्रेस की लंबी और स्थायी रुचि रही है। अमेरिकी सरकार ने बिना किसी पूर्व शर्त के चीनी अधिकारियों से बातचीत पर लौटने का लगातार आह्वान किया है। लेकिन यह काम नहीं किया गया है। चीनी दलाई लामा के साथ बातचीत करने से मुंह फेर रहे हैं। हमारा द्विदलीय कानून दोनों पक्षों को स्थायी समाधान के लिए बातचीत करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय कानून को आधार बनाकर अमेरिकी नीति को मजबूत करने का प्रयास करता है। साथ ही यह चीनी दुष्प्रचार का मुकाबला करनेवाला है।
बिल के दो मुख्य घटक हैं:
यह नीति बनाकर बातचीत के लिए अमेरिकी समर्थन के इस आधार को मजबूत करता है कि तिब्बती लोग अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मनिर्णय के अधिकार के हकदार हैं और इस अधिकार का प्रयोग करने की उनकी क्षमता वर्तमान पीआरसी नीतियों से अलग है। दूसरे, यह कि तिब्बत और पीआरसी के बीच संघर्ष अनसुलझा है और तिब्बत की कानूनी स्थिति का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार किया जाना बाकी है।
यह विदेश मंत्रालय में तिब्बत मुद्दों के लिए तैनात विशेष समन्वयक को तिब्बत के बारे में चीनी सरकार द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचना का प्रतिकार सुनिश्चित करने का निर्देश देता है। साथ ही उसे पीआरसी के अधिकारियों द्वारा फैलाई गई झूठी सूचनाओं को अमेरिकी सरकार के बयान और दस्तावेज़ के माध्यम से उजागर करने को सुनिश्चित करने को कहता है। यह तिब्बत के इतिहास, तिब्बती लोगों और दलाई लामा समेत तिब्बती संस्थानों के खिलाफ चीनी सरकार के दुष्प्रचारों को मुकाबला करने का अधिकार प्रदान करता है। यह कानून तिब्बत के बारे में दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए २०१८ के एशिया रिअस्योरेंस इनिशिएटिव ऐक्ट के तहत मौजूदा फंडिंग को अधिकृत करता है और तिब्बत के बारे किए जा रहे दुष्प्रचारों का मुकाबला करने से संबंधित कार्यकारी शाखा की गतिविधियों पर सालाना ‘तिब्बत वार्ता रिपोर्ट’ कांग्रेस में पेश करना सुनिश्चित करता है।