अमेरिकी कांग्रेस की विदेश मामलों की समिति द्वारा बुधवार को मंजूर तिब्बत के समर्थन में अमेरिकी नीति को मजबूत करने के लिए एक नया विधेयक सर्वसम्मति से इस हफ्ते अमेरिकी कांग्रेस में सामने आया।
2019 की तिब्बतन पॉलिसी एंड सपोर्ट ऐक्ट (टीपीएसए) अब अगले चरण में सदन में मत संग्रह के लिए जाएगा। हालांकि अभी तक मतदान की कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है।
ऐक्ट के सह-प्रायोजक रिप्रेजेन्टेटिव जेम्स मैकगवर्न (डेमोक्रेट-मैसाच्यूसेट्स) और मार्को रूबियो (रिपब्लकिन-फ्लोरिडा) हैं। टीपीएसए जब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाएगा तो चीन को अमेरिका में आगे कोई भी वाणिज्य दूतावास खोलने से पहले तिब्बत की राजधानी ल्हासा में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास खोलने की अनुमति देनी होगी।
यह तिब्बत में जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर भी हस्तक्षेप करेगा और अब तक रिक्त विदेश मंत्रालय कार्यालय में तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक के पद को भरने का काम करेगा।
अंत में, यह अमेरिका की इस नीति को स्थापित करेगा कि निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी समेत तिब्बती धर्मगुरुओं का चयन करना तिब्बतियों का अधिकार है और इसमें चीनी सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
इस विधेयक में उन चीनी अधिकारियों को भी अमेरिकी प्रतिबंधों के निशाने पर लेना अनिवार्य करने का प्रावधान है जो अगले दलाई लामा की खोज के चीनी प्रयासों में सहभाग करेंगे।
अब 84 वर्ष के हो चुके दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन कौन करेगा, यह प्रश्न चीन और तिब्बत में रहनेवाले के साथ ही दुनिया भर में फैले तिब्बतियों के बीच टकराव का प्रमुख बिंदु है। चीन धार्मिक नेता के पुनर्जन्म के चयन के अपने अधिकार पर जोर देता है।
अतीत में स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत को 70 साल पहले चीन ने बलपूर्वक अपने कब्जे में ले लिया गया था। इसके बाद दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायी भारत पलायन कर गए थे।
चीनी शासन तिब्बत पर और अपने पश्चिमी प्रांतों के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों में तिब्बतियों पर कठोर पकड़ बनाए हुए है। वह उन तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक अभिव्यक्त िको प्रतिबंधित करता है और ऐसा करने वाले तिब्बतियों को कारावास, यातना और बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाए हत्या तक कर रहा है।