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अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि तिब्बतियों द्वारा अपने संकटग्रस्त परंपराओं और व्यक्तियों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए चीन को तिब्बत के 11वें पंचेन लामा के ठिकाने का खुलासा करना चाहिए, जिन्हें 26 साल पहले सबसे कम उम्र का राजनीतिक बंदी बनाकर चीन द्वारा गायब कर दिया गया था। साथ ही उन्हें व्यक्तिगत रूप से बाहरी पर्यवेक्षकों से मिलने देना चाहिए।
तिब्बत के 10वें पंचेन लामा की 1989 में दिवंगत हो जाने के बाद गेधुन चोएक्यी न्यिमा को उनके पुनर्जन्म के रूप में 14 मई, 1995 को छह साल की उम्र में 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी गई थी।
निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा द्वारा उन्हें मान्यता दिए जाने से चीनी अधिकारी नाराज हो गए और तीन दिन बाद बच्चे और उसके परिवार को हिरासत में ले लिया और फिर उनके स्थान पर दूसरे बच्चे- ग्यानकेन नोरबू को अपना पंचेन लामा घोषित कर दिया।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक समाचार ब्रीफिंग में कहा कि रविवार को अपने 32वें जन्मदिन पर, गेधुन चोएक्यी न्यिमा को ‘हिरासत में एक और साल बिताने के लिए मजबूर किया जाएगा, जो अपने समुदाय से अलग हो गए हैं और एक प्रमुख तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु के अपने सही स्थान से वंचित कर दिए गए हैं।’
तिब्बतियों की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान के लिए अमेरिकी समर्थन को रेखांकित करते हुए प्रवक्ता ने कहा, ‘हम पीआरसी सरकार से तिब्बत के सम्मानित पंचेन लामा के ठिकाने को तुरंत सार्वजनिक करने और हमलोगों को व्यक्तिगत रूप से पंचेन लामा से मिलने का अवसर देने का आह्वान करते हैं।’
प्राइस ने आगे कहा, ‘हम तिब्बतियों के दलाई लामा और पंचेन लामा जैसे उनके स्वयं के धर्मगुरुओं को उनकी अपनी मान्यताओं के अनुसार और सरकारी हस्तक्षेप के बिना चुनने, शिक्षित करने और उनकी पूजा करने के अधिकार का सम्मान करते हैं।’
अमेरिकी अधिकारियों ने अतीत में भी बीजिंग से इसी तरह की अपील की है, लेकिन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति या सिक्योंगे डॉ. लोबसांग सांगेय कहते हैं कि इस साल की अपील ‘अब तक की सबसे मजबूत अपीलों में से एक थी।’
उन्होंने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया, ‘मैं विशेष रूप से पीआरसी से पंचेन लामा के ठिकाने के बारे में जनता को बताने और अमेरिकी सरकार द्वारा पंचेन लामा से मिलने का समय देने का आग्रह करने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं।’
‘बेतुकापन और बेरहमी’
अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने भी चीनी सरकार से गेधुन चोएक्यी न्यिमा को रिहा करने के अपने आह्वान को दोहराया।
यूएससीआईआरएफ के आयुक्त नादिन मेंजा ने कहा, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को गायब किए हुए लगभग 26 साल हो चुके हैं। न्यिमा अपने अपहरण के समय केवल छह साल के थे। इस साल 25 अप्रैल को गेधुन 32 साल के हो गए हैं, उनका ठिकाना और उनकी सेहत के बारे में जानकारी अज्ञात है। जानकारी का यह अभाव अस्वीकार्य है।’
उन्होंने कहा, ‘यूएससीआईआरएफ ने चीनी सरकार से एक स्वतंत्र विशेषज्ञ को 11वें पंचेन लामा के स्वास्थ्य की पुष्टि करने और उन्हें तुरंत और बिना शर्त रिहा करने की अनुमति देने की मांग को दोहराया है।’ यूएससीआईआरएफ कमिश्नर नुरी तुर्केल ने कहा, ‘यह निंदनीय है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दलाई लामा और पंचेन लामा के पुनर्जन्म में हस्तक्षेप करना जारी रखे हुए है।’ उन्होंने कहा, ‘सीसीपी द्वारा तिब्बती समुदाय के बेतुके और निर्मम उत्पीड़न के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क होना चाहिए और पंचेन लामा की रिहाई के लिए एकजुट होना चाहिए।’
‘इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत’ के अंतरिम अध्यक्ष भुचुंग त्सेरिंग ने आरएफए को बताया कि ‘अमेरिकी सरकार का कड़ा बयान दुनिया भर का ध्यान अधिक गंभीरता से आकर्षित करने में मददगार होगा।’
तिब्बतन पॉलिसी एंड सपोर्ट ऐक्ट- 2020 उसी साल दिसंबर में अमेरिकी कांग्रेस में पारित हुआ और तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद कानून बन गया। यह कानून अमेरिका की नीति को स्पष्ट करता है कि निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के भविष्य के उत्तराधिकारियों सहित तिब्बती धार्मिक नेताओं के चयन का अधिकार केवल तिब्बतियों का है, जो चीनी सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होगा।
अब 85 वर्ष के हो चुके दलाई लामा की बढ़ती उम्र पर चिंता ने हाल के वर्षों में उनकी मृत्यु के बाद उनके संभावित उत्तराधिकारी को लेकर अनिश्चितताओं के बादल को और गहरा कर दिया है। बीजिंग ने अपनी ओर से उत्तराधिकारी का नाम घोषित करने के अधिकार का दावा किया है जबकि दलाई लामा ने खुद कहा है कि भविष्य के दलाई लामा का जन्म चीन के बाहर होगा।
10वें पंचेन लामा की 1989 में मृत्यु हो जाने के बाद वर्तमान 11वें पंचेन लामा के चयन में चीनी हस्तक्षेप को लेकर तिब्बतियों के अनुभव कड़वे हैं। बीजिंग द्वारा स्थापित पंचेन लामा तिब्बत के अंदर रह रहे तिब्बतियों और निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों- दोनों में अलोकप्रिय बने हुए हैं।
पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र रह चुके तिब्बत पर 70 साल पहले आक्रमण किया गया था और बलात इस देश को चीन में शामिल किया गया था। इसके बाद चीन के शासन के खिलाफ 1959 के राष्ट्रीय विद्रोह में असफल होने के बाद तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायी भारत और दुनिया के अन्य देशों में भाग गए थे।
चीनी अधिकारियों ने इस क्षेत्र पर अपनी कड़ी पकड़ बनाए रखी है। तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित किया गया है और तिब्बतियों को उत्पीड़न, यातना, कारावास और न्यायेतर हत्याओं से गुजरना पड़ रहा है।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए काल्देन लोदो द्वारा रिपोर्टिंग और अनुवाद। पॉल एकर्ट द्वारा अंग्रेजी में लिखित।