तिब्बत नेट, 25 जनवरी 2019
कुनचोक डोल्मा याक्हाया , मानवाधिकार पर विशेष दूत
ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर में हुआवेई के सीएफओ मेंग वानझोउ की हालिया गिरफ्तारी के बाद चीन सरकार ने धमकी दी कि कनाडा को ‘गंभीर परिणाम भुगतने होंगे’ और ‘इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।’
हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ ऐसी कोई धमकी नहीं दी गई थी जिसने वास्तव में ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए मेंग की गिरफ्तारी के लिए कनाडा से अनुरोध किया था।
बीजिंग ने ओटावा के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए 15 साल की सजा पहले से भुगत रहे कनाडाई रॉबर्ट स्केलबर्ग को ड्रग तस्करी के एक मामले में एक दिन की सुनवाई के बाद मौत की सजा सुना दी।
दो अन्य कनाडाई, पूर्व राजनयिक माइकल कोवृग और उद्यमी माइकल स्पावर को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने’ के संदेह में मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया है। इस बारे में नियत प्रक्रिया और उनकी स्थिति के बारे में बहुत कम जानकारी मिल रही है।
यहां एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है- चीन कनाडाई नागरिकों पर ही कार्रवाई क्यों कर रहा है और अमेरिकी नागरिक पर नहीं। खासकर तब, जब संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के खिलाफ व्यापक कदम उठा रहा है जो चीन को नाराज कर रहा है?
क्योंकि यह कर सकते हैं।
अमेरिका चीन के खिलाफ अपनी लड़ाई में तिब्बत के साथ खड़ा है
जनवरी 2018 से संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच शुरू व्यापार युद्ध और राजनयिक उपद्रव के बीच अमेरिकी सरकार ने एक मुद्दे के लिए प्रति समर्थन का ऐलान किया है जिसने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को क्रुद्ध कर दिया है, वह मुद्दा तिब्बत का है।
19 दिसंबर, 2018 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कानून पर हस्ताक्षर किए जो अमेरिकी राजनयिकों, नागरिकों और पत्रकारों को तिब्बत में प्रवेश देने से इनकार करने के लिए जिम्मेदार समझे जाने वाले चीनी अधिकारियों को दंडित करता है।
‘द रिसीप्रोकल एक्सेरस टू तिब्बत एक्ट’ के पारित होने के 90 दिनों के अंदर अमेरिकी विदेशमंत्री को कांग्रेस में एक रिपोर्ट सौंपने की आवश्यकता होगी और फिर अगले पाँच वर्षों के लिए सालाना रिपोर्ट सौंपने है, जिसमें तिब्बती क्षेत्र में अमेरिकियों को जाने देने पर प्रतिबंध लगाने वाले चीनी अधिकारियों की सूची दी जाएगी।
जिन अधिकारियों को विदेशमंत्री, जो वर्तमान में माइक पोम्पिओ हैं, तिब्बती क्षेत्रों तक अमेरिकियों को जाने की अनुमति देने से प्रतिबंधित करने के लिए जिम्मेदार मानते हैं, उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका वीजा नहीं दिया जाएगा और अगर उसने पहले से कोई सक्रिय वीजा ले रखा है तो उसे निरस्ता कर दिया जाएगा।
बीजिंग ने नए कानून का ‘दृढ़ता से विरोध’ किया और कहा कि वाशिंगटन ‘चीन के घरेलू मामलों में व्यापक रूप से हस्तक्षेप कर रहा है।’
ट्रम्प प्रशासन ने इससे भी आगे कदम बढ़ाते हुए सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन के राष्ट्रपति लोबसांग सांगेय और उच्च स्तरीय अमेरिकी अधिकारियों के बीच कुछ बैठकों की अनुमति दी और इसे सार्वजनिक भी कर दिया।
इन बैठकों में से राष्ट्रपति सांगेय की दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक, विशेष रूप से सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यवाहक उप सहायक सचिव थॉमस वाजदा और दक्षिण एशिया के कार्यवाहक उप सहायक सचिव डेविड रांज़ के साथ बैठकें उल्लेखनीय थीं।
यह मान लेना सुरक्षित है कि इस तरह की बातचीत के लिए सामान्य बैठक अंदरखाने ही होगी।
संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी चीन द्वारा तिब्बत में मानव अधिकारों के व्याकपक उल्लंघन के रिकॉर्ड की आलोचना करने से पीछे नहीं हटे।
पेंस ने पिछले साल जुलाई में आयोजित ‘मिनिस्ट्री यल टू एडवांस रिलीजियस फ्रीडम’ में सबसे पहले कहा ‘लगभग 70 वर्षों से तिब्बती लोगों को चीनी सरकार द्वारा क्रूरतापूर्वक दमन किया जा रहा है।’
चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने से कनाडा डरता है?
चीन ने कनाडा को कैसे धमकाया है, इसे दखते हैं। चीन में कनाडा के राजदूत जॉन मैकलम ने अपनी हालिया टिप्पणियों के बाद कई बार भौहें टेढ़ी करते नजर आए, जहां वह मेंग के बचाव पक्ष के वकील की तरह काम करते प्रतीत हो रहे थे।
कनाडा के ओंटारियो में ज्यादातर चीनी भाषा के मीडिया के सामने एक संवाददाता सम्मेलन में मैकलम ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रत्यर्पण से लड़ने के लिए मेंग के पास ‘काफी मजबूत मामला’ है।
उन्होंने आगे कहा, एक, उसके मामले में डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणियों से राजनीतिक भागीदारी दिखती हैं। दूसरा, उसके मामले में एक राज्य क्षेत्रातीत पहलू है और तीसरा, ईरान पर प्रतिबंधों का मुद्दा है जो उसके मामले में शामिल हैं और कनाडा इन ईरान प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर नहीं करनेवाला है। इसलिए, मुझे लगता है कि उसके पास कुछ मजबूत तर्क हैं जो वह न्यायाधीश के समक्ष पेश कर सकती हैं।
याद करें कि मेंग की रिहाई के लिए मैकलम को चीनी विदेश मंत्रालय ने बुलाया था। उन्होंने बैठक को ‘बहुत शत्रुतापूर्ण’ बताया और कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ‘बहुत गुस्से में थे।’
अटकलें हैं कि कनाडा सरकार राजदूत के बयानों के माध्यम से चीन के साथ तनाव को कम करने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, चीन में एक कनाडाई व्यक्ति फांसी की सजा का इंतजार कर रहा है और दो अन्य कनाडाई लोग कनाडा में कानूनी तौर पर नैतिक रूप से अस्वीकार्य शर्तों के तहत हिरासत में लिए गए हैं।
एक देश के रूप में कनाडा मानव अधिकारों के रक्षक होने और कानून के शासन के रूप में गर्व करता है और उसको इन मामलों में वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त है।
क्या वास्तव में इस समय इस बात पर चिंता करने की जरूरत है जिसे चीनी सरकार आमतौर पर ‘चीनी लोगों की भावनाओं को आहत करने’ के रूप में संदर्भित करती है?
अस्वीकरण: यहां व्यक्त किए गए विचार व्यक्ति के हैं और जरूरी नहीं कि वे सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन की नीतियों का समर्थन करें।