इनकी खास बात यह है कि इनकी शिक्षा-दीक्षा पश्चिमी ढंग से हुई है और ये तिब्बत के बदलते हुए रूप के नुमाइंदे हैं। 20 मार्च को होने वाले चुनाव में हजारों तिब्बती वोटर हिस्सा लेंगे। ये भारत, नेपाल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में निर्वासन में रह रहे हैं।
वर्तमान 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यास्तो 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भाग कर भारत आ गए थे। इस समय 1.10 लाख निर्वासित तिब्बती भारत में रहते हैं। इनकी निर्वासित सरकार का हेडक्वॉर्टर धर्मशाला में है। इनमें से 85 हजार रजिस्टर्ड वोटर हैं। करीब 45 से 50 हजार वोटर 20 मार्च को वोट डालेंगे जिसका नतीजा 25 अप्रैल को आ जाएगा।
लोबसांग सांगे
लोबसांग सांगे ने शुरुआती पढ़ाई दार्जिलिंग के तिब्बती रिफ्यूजी हाई स्कूल में की। इसके बाद एलएलबी और बीए ऑनर्स यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली से किया। सांगे ने अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और लॉ में डॉक्टरेट की। वह इस समय हार्वर्ड लॉ स्कूल के ईस्ट एशियन लीगल स्टडीज प्रोग्राम में विजिटिंग रिसर्च फैलो हैं।
सांगे ने चीन और तिब्बत के विद्वानों की पांच कॉन्फ्रेंस आयोजित कराई थीं। 2003 में उन्होंने चीन के 35 विद्वानों और दलाई लामा की अमेरिका में मुलाकात भी करवाई थी।
तेनजिन नामग्याल टेथॉन्ग
तेनजिन एक तिब्बती राजनेता हैं। वह इस समय अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इतिहास पढ़ाते हैं। वह 1993 से 1996 तक निर्वासित तिब्बत सरकार में प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अपने राजनैतिक जीवन के शुरू में उन्होंने निर्वासित तिब्बतियों से जुड़ने के बाद तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय आंदोलन चलाया और तिब्बती अखबार शेजा शुरू किया।
1970-72 के बीच में वह मैगजीन तिब्बतियन रिव्यू के एडिटर इन चीफ थे। 1980 में वह तिब्बत और चीन जाने वाले तिब्बती प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। 73 से 86 के दौरान वह न्यू यॉर्क में दलाई लामा के प्रतिनिधि रहे। तिब्बतियन यूथ कांग्रेस बनाने में तेनजिन का अहम योगदान है। 1990 में वह निर्वासित सरकार में मंत्री चुने गए।
ताशी वांग्दी
ताशी 14 वें दलाई लामा के अमेरिका में प्रतिनिधि हैं। वह इस पद पर 2006 से हैं। 1966 से वह तिब्बत की निर्वासित सरकार के सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा हैं। वह निर्वासित सरकार में लगभग हर अहम विभाग के मंत्री रह चुके हैं।
इनमें से धर्म और संस्कृति विभाग , गृह विभाग , शिक्षा विभाग , सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग , सुरक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग शामिल हैं। अमेरिका में दलाई लामा के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने से पहले ताशी दिल्ली में दलाई लामा के नुमाइंदे थे।
वोटरों के विचार
युवा फिल्म निर्माता पाल्देन ग्यूर्म समकार का कहना है कि इस बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तिब्बती समुदाय से जुड़े मुद्दे लेकर आ रहे हैं। वे पहले के उम्मीदवारों से कहीं ज्यादा उग्र हैं। असल में हमें एक प्रैक्टिकल नेता चाहिए जो हिज होलीनैस दलाई लामा के मध्यम मार्ग को और आगे बढ़ाएं। हम तिब्बत के लिए स्वायत्ता चाहते हैं साथ ही चीन के साथ अच्छे संबंध भी बनाए रखना चाहते हैं।
तिब्बती पत्रकार लोबसांग वांग्याल का कहना है कि हम भविष्य की ओर देख रहे हैं। तिब्बत को एक युवा नेता की जरूरत है जो हमारे संघर्ष को आगे ले जाए ।