हिंदुस्तान, 2 फ़रवरी 2014
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अपने को भारत का पुत्र मानते हैं और वह यहां काफी खुश हैं। दलाई लामा रविवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं 54 साल से भारतीय चावल, रोटी, चाय ले रहा हूं। अब मैं खुद को भारत का पुत्र, मिटटीपुत्र मानता हूं। उन्होंने कहा कि मैं काफी खुश हूं। वह पांच दिवसीय तिब्बती कला एवं संस्कृति उत्सव का उद्घाटन करने तथा पहले एलबीएस फाउंडर्स कमेमोरेटिव व्याख्यान देने के लिए यहां आए थे। तिब्बत पर चीन के हमले के बाद दलाई लामा 1959 में भारत आने के क्रम में गुवाहाटी से गुजरे थे।