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धर्मशाला। निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल के नेतृत्व वाली स्थायी समिति के सदस्यों ने २७ अगस्त २०२२ को आयोजित तिब्बती युवा कांग्रेस (टीवाईसी) की १८वीं आम सभा की बैठक के उद्घाटन समारोह में भाग लिया।
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल और सीटीए के सुरक्षा विभाग के कालोन ग्यारी डोल्मा, भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफए) के पूर्व अध्यक्ष श्री अजय सिंह मनकोटिया और धर्मशाला भारत-तिब्बत मैत्री संघ के अध्यक्ष श्री अजीत नेहरिया विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। साथ ही स्थायी समिति के सदस्य, गैर सरकारी संगठनों के प्रमुख, और तिब्बती युवा कांग्रेस के ४५क्षेत्रीय चैप्टर से प्रतिभागी बैठक में उपस्थित थे।
समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और टीवाईसी अध्यक्ष द्वारा घी के दीये जलाने के साथ हुई। इसके बाद तिब्बती और भारतीय राष्ट्रगान और टीवाईसी एकता गीत गाया गया। अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल ने अपने संबोधन में मुख्य रूप से तीन बिंदुओं- तिब्बत के अंदर और बाहर तिब्बतियों की स्थिति, चीन की बदलती राजनीतिक गतिशीलता और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए अपनी बात रखी।
उन्होंने छह दशकों से अधिक समय से चल रही तिब्बत मुक्ति साधना की गति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने तिब्बत में तिब्बतियों की वर्तमान दयनीय स्थिति के बावजूद उनकी वीरता, बलिदान और कि व्हाइट बुधवार आंदोलन (लखार) और अन्य गतिविधियों में सुनियोजित सक्रियता की विशेष रूप से सराहना की। जैसा कि परम पावन दलाई लामा हमेशा कहते हैं कि तिब्बत के अंदर तिब्बतियों द्वारा अपनाई गई आस्था और प्रतिबद्धता हमेशा सुसंगत और अटूट रही है। इसलिए, तिब्बतियों को तिब्बत पर आधारित संघर्ष के भविष्य रणनीतियों पर चर्चा करने पर विचार करना चाहिए, चाहे वे तिब्बत के अंदर हों या तिब्बत के बाहर।
चीनी सरकार द्वारा लागू की गई चीनीकरण की नीतियों के कारण तिब्बत के अंदर की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।क्योंकि इससे तिब्बत की विशिष्ट भाषा, संस्कृति और धर्म का सफाया हो रहा है। इसके बावजूद तिब्बत के अंदर तिब्बतियों का केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और निर्वासित तिब्बतियों में सबसे मजबूत विश्वास है।लेकिन हाल में निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के काम करने के तरीके के कारण उनका निर्वासित तिब्बतियों के प्रति विश्वास डगमगाने लगा है। इसलिए, उन्होंने निर्वासन में रहने वाले तिब्बतियों को वृहत्तर तिब्बती समुदाय और तिब्बत के सर्वसम्मत मुद्दे के हित में समुदाय के अंदर की मामूली असहमति को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बावजूद, परम पावन जैसे उदार नेताओं के नेतृत्व में तिब्बतियों को खुले दिमाग से कुछ छोटी-मोटी असहमतियों पर चर्चा करके आम सहमत बनानी चाहिए और संघर्ष के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
तानाशाही शासन के तहत चीन की बदलती राजनीतिक गतिशीलता पर बोलते हुए स्पीकर ने चीनी नेताओं- शी जिनपिंग और बो शिलाई के बीच हुई राजनीतिक असहमति पर बात की।इस असहमति के परिणामस्वरूप शिलाई राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गए और बाद में लोगों को बड़े राजनीतिक और आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ा। इससे वहां जन क्रांति की आशंका प्रबल हो उठी है। इसलिए, इस पर विचार होना चाहिए कि यदि चीन की वर्तमान राजनीति में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन होता है तो तिब्बतियों की योजना और भविष्य की कार्रवाई क्या होगी। हाल ही में परम पावन दलाई लामा ने लद्दाख मेंराजनीति से संबंधित एक सशक्त सार्वजनिक भाषण दिया है, जिसे सभी तिब्बतियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। चीन को भी सोवियत संघ जैसी नियति का सामना करना पड़ सकता है।यदि ऐसा होता हैतो चीन की बदलती राजनीतिक गतिशीलता के साथ तिब्बतियों का क्या रुख होगा। तिब्बतियों को इन परिस्थितियों से निपटने के तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए।
इसी तरह, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तिब्बत के मुद्दे को शामिल करने के महत्व को भी दोहराया और वाशिंगटन डीसी में तिब्बत पर हाल ही में आयोजित विश्व सांसदों के आठवें सम्मेलन की बात की, जिसे काशाग (कैबिनेट) के समर्थन और सहायता से निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यपालिका और विधायिका ने संयुक्त रूप से एक ऐसा सम्मानित सम्मेलन आयोजित किया जिसमें अनेक गणमान्य हस्तियों ने भाग लिया। इनमें अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी और २८विभिन्न देशों के कई प्रभावशाली गणमान्य व्यक्ति और सांसद शामिल हुए। पिछले डब्ल्यूपीसीटी के विपरीत, इस सम्मेलन में दक्षिण अमेरिका के सांसदों की भी भागीदारी थी। इसके अलावा, हाल ही में तिब्बत के मुद्दे को जी-७ शिखर सम्मेलन के दौरान उठाया गया था जो बहुत ही सराहनीय है रहा और तिब्बतियों को जी-२०शिखर सम्मेलन और चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) की चर्चाओं में भी तिब्बत मुद्दे को लाने का प्रयास करना चाहिए।
इसके अलावा समारोह मेंस्पीकर ने डॉ. छेतेन साधुत्सांग और डॉ. छेवांग तामदीन (परम पावन दलाई लामा के निजी चिकित्सक) को उनके सामाजिक कार्यों के लिए और पूर्व टीवाईसी अध्यक्ष और पूर्व तिब्बती सांसद छेवांग नोरबू को रंगजेन पुरस्कारों से सम्मानित किया। इसी तरह, दिल्ली, पोंटा और बीर के क्षेत्रीय टीवाईसी अध्यायों को कालोन ग्यारी डोल्मा द्वारा उनके विशिष्ट कार्यों के लिए पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके अलावा १५से अधिक वर्षों से क्षेत्रीय धर्मशाला टीवाईसी में सेवा कर रहे कार्यकारी समिति के सदस्य मिगमार को श्री अजीत नेहरिया द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी तरह, टीवाईसी के उपाध्यक्ष छेरिंग को श्री अजय सिंह मनकोटिया द्वारा टीवाईसी और आरटीवाईसी में १५से अधिक वर्षों की सेवा के लिए एक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम का समापन टीवाईसी के उपाध्यक्ष लोबसांग द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।