tibet.net / नई दिल्ली। भारत में तिब्बत समर्थक समूहों में से एक ‘भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस)’ने हरियाणा स्टेट गेस्ट हाउस, नई दिल्ली में दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, ब्रज, मेरठ और जयपुर प्रांतों के अपने अध्यक्षों और महासचिवों की बैठक आयोजित की। १५ अप्रैल २०२२ को हुई बैठक की अध्यक्षता बीटीएसएस के मुख्य संरक्षक प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी (हरियाणा के पूर्व राज्यपाल) ने की। प्रो. सोलंकी के साथ बीटीएसएस के राष्ट्रीय संयोजक श्री हेमेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. प्रयाग दत्त जुयाल, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरविन्द केसरी और श्री विजय मान और बीटीएसएस के अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पदाधिकारी शामिल हुए।
भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के कार्यवाहक समन्वयक श्री तेनजिन जोर्डन ने भी बैठक में भाग लिया, जहां उन्होंने सदस्यों को आईटीसीओ और भारत में विभिन्न तिब्बत समर्थक समूहों के साथ समन्वय करने में इसकी भूमिका के बारे में जानकारी दी और इसके लिए सक्रिय रूप से लगने के लिए काम किया। उन्होंने बीटीएसएस के प्रमुख पदाधिकारियों को खटक (तिब्बती सफेद दुपट्टा) और तिब्बत पर साहित्य भेंट कर उनका अभिनंदन किया। बदले में श्री तेनज़िन जोर्डन और कार्यक्रम अधिकारी छिनी त्सेरिंग को भी स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
बाद में सभी सदस्यों ने बीटीएसएस दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री सोनपाल शर्मा के नेतृत्व में जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध- प्रदर्शन किया और तिब्बत की स्वतंत्रता और कैलाश मानसरोवर को कम्युनिस्ट चीन के अवैध कब्जे से मुक्त कराने का आह्वान किया। उन्होंने ‘तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा, कैलाश मानसरोवर मुक्त हो,तिब्बत में अत्याचार बंद करो,भारत-तिब्बत मैत्री अमर रहे,जय भारत, जय तिब्बत आदि नारे लगाए।
बाद में बैठक के दौरान प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने के लिए चीन द्वारा बनाए जा रहे दुष्चक्र के खिलाफ भारत समेत पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा और चीन की विस्तारवादी दमनकारी नीति का विरोध करना होगा। कैलाश की मुक्ति और तिब्बत की आजादी के लिए पूरे देश में एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करना होगा और इस जन आंदोलन के लिए युवा शक्ति को आगे आना होगा।
प्रो. सोलंकी ने आगे उल्लेख किया कि चीन जिस तरह तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों और जल संसाधनों का दोहन कर रहा है, वह आने वाले समय में दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह विस्फोट करेगा। उन्होंने कहा कि कैलाश की मुक्ति के लिए बीटीएसएस जिस गति से बढ़ा है, वह वास्तव में भगवान शिव की कृपा से है। उन्होंने उपस्थित बीटीएसएस सदस्यों से संगठन को जिला व तहसील स्तर पर भी इकाई बनाने का आह्वान किया।
प्रो. प्रयाग दत्त जुयाल ने कहा कि चीन अपने विस्तारवादी एजेंडे के कारण ही तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। वे निर्दोष तिब्बतियों को मार रहे हैं। वे चीनी पुरुषों के साथ तिब्बती महिलाओं की जबरन शादी कराके तिब्बती नस्ल को खत्म करने पर आमादा हैं। सदस्यों का आह्वान करते हुए प्रो. जुयाल ने कहा कि तिब्बत का स्वतंत्रता संग्राम न केवल तिब्बत के लिए बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। भारत को बचाने के लिए तिब्बत को आजाद कराना जरूरी है।
श्री हेमेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि डोकलाम से गलवान तक आमने-सामने संघर्ष में खाने के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन को सबक सिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ज्योतिषियों के अनुसार, समय आ गया है कि यदि सभी सकारात्मक प्रयास एक साथ किए जाएं तो तिब्बत स्वतंत्र हो सकता है और कैलाश मुक्त हो जाएगा।