जयपुर। बौद्धों के सबसे बड़े धर्म गुरू दलाई लामा खुद को भारत का बेटा मानते हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारत का अहिंसा व धार्मिक सद्भावना का संदेश पूरी दुनिया में पहुंचाता हू। दलाई लामा पिछले दो दिनों से प्रदेश में हैं। शनिवार को जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में उन्होंने नई सहस्त्राब्दी के लिए नैतिक मूल्य विषय पर व्याख्यान दिए।
इस दौरान उन्होंने जल्दी ही अपने रिटायरमेंट की घोषणा भी की, लेकिन साथ ही दोहराया कि तिब्बत की पूर्ण स्वायत्तता को लेकर मेरा संघर्ष आखिरी दम तक जारी रहेगा।
यहां आकर जाना सभी धर्मो को
मैं तिब्बत में सिर्फ बौद्ध धर्म जानता था, भारत आकर मैंने जैन, हिन्दू, मुस्लिम, सिख और अन्य सभी धर्मो के बारे में जाना।
भारत का अहिंसा और धार्मिक सद्भाव का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है।
आज के समय में अहिंसा और धार्मिक सद्भावना बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि अब राष्ट्रों की सीमाएं बहुत मायने नहीं रखती हैं। पूरा विश्व एक- दूसरे पर निर्भर हैं। ऎसे में पूरे विश्व में शांति के लिए भारत के ये दो सिद्धांत ही सबसे महत्वपूर्ण हैं।
मैं खुद को भारत का बेटा मानता हूं, क्योंकि मेरा मस्तिष्क नालंदा विश्वविद्यालय के विचारों से भरा है और मेरा शरीर भारतीय भोजन से बना है।
भ्रमित कर रहा है चीन
तिब्बत के मामले में चीन की आलोचना करते हुए दलाई लामा ने कहा कि चीन ग्रेटर तिब्बत की बात उठा कर पूरी दुनिया में भ्रम फैला रहा है।
जयपुर की दोनों यात्राएं स्मरणीय
दलाई लामा ने कहा कि इससे पहले मैं दो बार जयपुर आया और दोनों यात्राएं स्मरणीय रहीं। एक बार आचार्य तुलसी के निमंत्रण पर आया था और कई जैन संतों से मिलने का मौका मिला। दूसरी बार यहां के एक मुख्यमंत्री ने हमें लंच दिया था और जब दिल्ली पहुंचे तो हम सभी के पेट खराब हो गए थे।
आज तिलोनिया जाएंगे
दलाई लामा रविवार को सुबह तिलोनिया जाएंगे और वहां सामाजिक कार्यकर्ता बंकर राय के बेयरफुट कॉलेज में लगे सौर ऊर्जा परियोजना देखेंगे और लोगों से बातचीत करेंगे। वे सोमवार सुबह मुम्बई रवाना हो जाएंगे।