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ताइपे। ताइवान के ‘संसदीय मानवाधिकार आयोग’ और ‘तिब्बत के लिए ताइवान के संसदीय समूह’ ने संयुक्त रूप से तिब्बती लोगों को समर्थन देने की घोषणा जारी की और १० मार्च २०२२ को तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६३ वीं वर्षगांठ पर एक प्रेस बयान में चीनी सरकार की निंदा की।
चीनी में जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया है–
एक तानाशाह ने २१वीं सदी में अपने देश की सारी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर दूसरे देश पर बेशर्मी से हमला कर दिया है। लेकिन पीड़ित देश ने निडर होकर आक्रांता देश से युद्ध करके पूरी दुनिया को चकित कर दिया है। ताइवान और कई अन्य देशों ने ऐसे साहसी देश का समर्थन किया है। यह पीड़ित देश कोई और नहीं, यूक्रेन है।
६३ साल पहले इसी दिन तिब्बत की राजधानी ल्हासा में इसी तरह की घटना हुई थी, जहां एक अधिनायकवादी शासन के आक्रमण का तिब्बतियों ने बहादुरी से मुकाबला किया था, लेकिन जिसे अंततः हिंसक तरीके से दबा दिया गया था। हालांकि १० मार्च १९५९ को पीएलए के आक्रमण के दौरान हताहत हुए तिब्बतियों की सही संख्या अभी भी अज्ञात है, लेकिन यह सच्चाई है कि दमन के दौरान हज़ारों तिब्बतियों ने अपनी जान गंवाई और परम पावन दलाई लामा को तिब्बत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। तब से तिब्बती लोग कम्युनिस्ट शासन द्वारा किए जा रहे सांस्कृतिक और धार्मिक संहार को झेल रहा है।
७४ साल पहले ताइपे में भी इसी तरह से एक विदेशी शक्ति के खिलाफ विद्रोह का उभार हुआ था। विदेशी शक्ति ने तब भी उस विद्रोह को दबाने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल किया था। आज इस घटना को ताइवान में २२८ स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया।
सांस्कृतिक और धार्मिक असमानताओं के बावजूद, मानवाधिकारों के संरक्षण और स्वतंत्रता की लड़ाई के उद्देश्य यूक्रेन, तिब्बत और ताइवान में समान रहे हैं। इसी तरह, व्यवस्थागत भिन्नता के बावजूद उत्पीड़कों की प्रचार मशीनरी का बिल्कुल एक ही तरह का बेशर्म मकसद है और वह अन्य लोगों को गुलाम बनाकर रखना है। हालांकि वे इस मकसद को छुपाकर रखते हैं।
डॉ मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था कि किसी एक भी स्थान पर अन्याय, हर जगह न्याय के लिए खतरा है। इसलिए हम यूक्रेनी और तिब्बती लोगों की भावनाओं को समझते हैं क्योंकि हम सभी इंसान हैं और हम सभी में सहानुभूति है।
अब जब हम ६३वां तिब्बती जनक्रांति दिवस को मना रहे हैं, तो हम यूक्रेन के लोगों के साथ भी एकजुटता व्यक्त करते हैं और ताइवान के लोगों को भी यह याद दिलाना चाहेंगे कि हमारी स्वतंत्रता और लोकतंत्र भी खतरे में है।
तिब्बतियों का खून हमें याद दिलाता है कि ताइवान को कम्युनिस्ट पार्टी में कोई विश्वास नहीं हो सकता है और यूक्रेनी लोगों की बहादुरी हमें याद दिलाती है कि केवल साहसी प्रतिरोध के माध्यम से ही हम अंततः अपनी कड़ी मेहनत से प्राप्त स्वतंत्रता की रक्षा कर सकते हैं। साथ ही हमें आज अपनी स्वतंत्रता का उपयोग उन सभी लोगों की मदद करने और उन्हें प्रेरित करना चाहिए जिनकी स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है।
इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए ‘ताइवानी संसदीय मानवाधिकार आयोग’ ने आज यह बयान तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६३वीं वर्षगांठ पर दिया है। यह बयान यूक्रेनी लोगों द्वारा अभी भी आक्रमणकारियों के खिलाफ जिंदगी की लड़ाई लड़ने के अवसर पर उनके लिए भी है। यह बयान यूक्रेन के मानवाधिकार, स्वतंत्रता और आजादी के प्रति ताइवान के अटूट समर्थन को व्यक्त करने के लिए भी है।