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हमारे स्रोत के अनुसार, तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए चीनी जेलों में 17 साल से अधिक समय गुजारने वाले एक पूर्व तिब्बती राजनीतिक बंदी का २२ फरवरी, २०२२ को निधन हो गया।
जानकारी के अनुसार, खराब स्वास्थ्य के कारण न्गोडुप ग्यालत्सेन के नाम से भी ख्यात न्ग्वांग ग्यालत्सेन का निधन स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग ५ः२२ बजे ल्हासा अस्पताल में हो गया। वह केवल ५८ वर्ष के थे।
न्ग्वांग ग्यालत्सेन उन २१ डेपुंग भिक्षुओं में से एक थे, जिन्होंने २७ सितंबर १९८७ को ल्हासा में पहला महत्वपूर्ण स्वतंत्रता-समर्थक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और ल्हासा के एक हिरासत केंद्र में चार महीने के लिए रखा गया था।
अपनी रिहाई के बाद भी उन्होंने तिब्बत की स्वतंत्रता और तिब्बती लोगों के मौलिक मानवाधिकारों के लिए काम करना जारी रखा। उन्होंने नौ अन्य भिक्षुओं के साथ अहिंसक राजनीतिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए ‘ग्रुप ऑफ टेन’ का गठन किया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्रुप- २२ की रिपोर्ट के अनुसार, इन ‘दस भिक्षुओं’ की अहिंसक राजनीतिक गतिविधियों में नक्काशीदार लकड़ी के ब्लॉकों पर मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की प्रतियां मुद्रित करने का काम भी शामिल था। उन्होंने दलाई लामा द्वारा निर्वासन में तैयार किए गए १९६३ के संविधान के आधार पर भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए एक दस्तावेज भी छापा, जिसमें चीनी कब्जे से मुक्त एक लोकतांत्रिक तिब्बत की अवधारणा का प्रस्ताव रखा गया है।
अधिकारियों ने १३ मई १९८९ को इन दस भिक्षुओं को गिरफ्तार कर लिया। २८ नवंबर १९८९ को ल्हासा पीपुल्स इंटरमीडिएट कोर्ट ने लगभग १५०० लोगों की उपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाया, जहां उन्हें प्रति-क्रांतिकारी समूहों में भाग लेने, अलगाववाद को भड़काने, जासूसी कृत्यों का संचालन करने और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को अवैध रूप से पार करने के आरोप में १७-१७ साल की जेल की सजा सुनाई गई। उन्हें उनकी लंबी सजा अवधि के अलावा पांच साल तक सभी राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने का फैसला भी सुनाया गया।
‘फ्री तिब्बत’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवांग को फिर से गिरफ्तार किया गया और बाद में २४ फरवरी २०१५ को अज्ञात आरोपों में नागचू के सोग काउंटी में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। संदेह जताया गया कि उन्हें ‘देशभक्ति की शिक्षा’ पर चीनी अधिकारियों के साथ टकराव के कारण उन्हें अपने मठ से बेदखल कर दिया गया था। उन्हें तीन सजा की सजा देकर ल्हासा की द्रापची जेल में रखा गया। सजा पूरी होने के बाद उन्हें ०७ मार्च २०१९ को रिहा कर दिया गया।
नवांग ग्यालत्सेन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के ल्हासा शहर में तोएलुंगदेचेन (चीनी : दुइलोंगदेकिंन) काउंटी के रहने वाले हैं। वह १९८४ में डेपुंग मठ में भिक्षु बने।