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धर्मशाला। छह दशक पहले भारत की धरती पर आने के बाद परम पावन १४वें दलाई लामा की सुरक्षा की कमान संभालने वाले असम राइफल्स के पूर्व हवलदार श्री नरेन चंद्र दास के निधन पर निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल ने उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
अध्यक्ष ने दास के पुत्र को शोक संवेदना में लिखा, ‘बहुत दुख के साथ हमें पता चला है कि आपके प्यारे पिता श्री नरेन चंद्र दास का निधन हो गया है। असम राइफल्स के पूर्व हवलदार श्री नरेन चंद्र दास उन सात जवानों में से अंतिम ज्ञात जीवित व्यक्ति थे, जिन्होंने ६२ साल पहले १९५९ में तिब्बत से भारत आगमन पर परम पावन दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो को भारतीय धरती पर स्वागत किया था और उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाला था।’
१७वीं निर्वासित तिब्बती संसद और दुनिया भर के तिब्बतियों की ओर से मैं आपको और आपके प्यारे परिवार के प्रति अपनी गहरी और भावभीनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’
‘अप्रैल २०१७ में नरेन चंद्र दास और परम पावन दलाई लामा ने गुवाहाटी में एक भावनात्मक मुलाकात की, जहां उन्होंने १९५९ की मुलाकात को याद करते हुए उस क्षण को साझा किया। हमें ‘धन्यवाद भारत’ कार्यक्रम में धर्मशाला में उनका स्वागत करने का अवसर भी मिला। हम उनकी सेवाओं के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके प्रति पूरा सम्मान प्रकट करते हैं।’
अध्यक्ष ने लिखा, ‘हम तिब्बती १४वें दलाई लामा को १९५९ में भारतीय धरती पर सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए श्री नरेन चंद्र दास के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। श्री नरेन चंद्र दास को राष्ट्र और भारत के लोगों के लिए उनकी उत्कृष्ट निस्वार्थ सेवा के लिए हमेशा याद किया जाएगा। हम तिब्बती उन्हें हमेशा अपने दिल के करीब रखेंगे। एक बार फिर मैं इस कठिन समय में आपके परिवार के लिए अपनी हार्दिक संवेदना और प्रार्थना व्यक्त करता हूं।’