टुल्कु तेनज़िन डेलेक की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। समर्थकों ने उनकी सजा को गलत करार दिया था।
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तिब्बती सूत्रों का कहना है कि चीनी अधिकारियों ने सिचुआन जेल में एक लोकप्रिय तिब्बती धार्मिक शिक्षक की मृत्यु के छह साल बाद उनके बारे में सार्वजनिक चर्चाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनके बारे में जानकारी आधिकारिक धार्मिक इतिहास से हटा दिया गया है और उनकी याद में चलाए जा रहे एक ऑनलाइन चैट समूह को बंद कर दिया है।
सिचुआन की प्रांतीय राजधानी चेंगदू में एक सार्वजनिक चौक पर अप्रैल २००२ में बमबारी के आरोप में गिरफ्तार ६५ वर्षीय टुल्कु तेनज़िन डेलेक को २२ साल की सजा सुनाई गई थी। इसमें से १३ साल की सजा काटने के बाद १२ जुलाई, २०१५ कोजेलमें ही उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। अधिकार समूहों और समर्थकों ने उनकी इस सजा को गलत तरीके से दिया गया बताया।
तिब्बती संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के उनके प्रयासों के लिए तिब्बतियों के बीच व्यापक रूप से सम्मानित डेलेक को शुरू में मौत की सजा दी गई थी। लेकिन बाद में उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। उनके एक सहायक लोबसांग डोंड्रब को लगभग तुरंत ही फांसी दे दी गई थी, जिसके कारण अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल उठाया था।
निर्वासन में रह रहे एक तिब्बती स्रोत के अनुसार, सिचुआन के कार्दजे (चीनी : गांज़ी) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में न्यागचु (चीनी : यजियांग) काउंटी में मठों को अब चीनी अधिकारियों ने अपने प्रतिष्ठानों के इतिहास से कार्दज़े के इस विख्यात धार्मिक व्यक्ति के संदर्भों को हटाने के लिए मजबूर कर दिया है।
क्षेत्र में अपने संपर्कों की सुरक्षा के लिए नाम न छापने की शर्त पर आरएफए के सूत्र ने कहा, ‘इन मठों के इतिहास का दस्तावेजीकरण का आदेश चीनी सरकार द्वारा दिया गया था। इसी आधार पर तिब्बतियों ने इनके इतिहासों को संकलित किया और फिर उन्हें जनता के बीच वितरित किया।’
सूत्र ने कहा, ‘इन पुस्तकों को पढ़ने वाले कई तिब्बती यह देखकर निराश हुए कि उनमें टुल्कु तेनज़िन डेलेक के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है और उन्होंने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ इस बारे में चर्चा करना शुरू कर दिया। सूत्र ने बताया कि इसके बाद चीनी सरकार ने आदेश दिया कि ‘इस चैट ग्रुप को बंद किया जाए।’
उन्होंने कहा कि लगभग ५०० सदस्यीय ऑनलाइन समूह के कई सदस्यों को बाद में पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया।
उन्होंने कहा, ‘टुल्कु तेनज़िन डेलेक ने खाम नालंदा थेकचेन जंगचुब चोलिंग मठ के पुनरुद्धार में मुख्य भूमिका निभाई। लेकिन इस मठ के इतिहास में न तो उनका नाम और न ही इससे जुड़ी उनकी किसी भी गतिविधि का उल्लेख किया गया है।’
अगस्त २०१६ में तिब्बत से भागने के बाद अमेरिका में रह रहीं टुल्कु तेनज़िन डेलेक की भतीजी न्यिमा ल्हामो ने बताया कि डेलेक तिब्बतियों के बीच उनकी भलाई का काम करने के लिए प्रसिद्ध थे और तिब्बत की भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए व्यापक रूप से काम कर रहे थे।
ल्हामो ने सम्मानित रिनपोछे को टुल्कु तेनज़िन डेलेक के बारे में बयान देते हुए उद्धृत करते हुए कहा, ‘चीनी सरकार द्वारा तिब्बतियों के दिमाग से रिनपोछे की सभी यादों को मिटाने का प्रयास उसकी गलती है।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार तिब्बतियों के घावों पर नमक छिड़क रही है। लेकिन वे कितनी भी कोशिश कर लें, तिब्बती और अंतरराष्ट्रीय समुदाय रिनपोछे के बलिदान और विरासत को हमेशा याद रखेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘ये कभी नहीं मिटेंगे।’
पूर्व में स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर ७० साल पहले चीन ने आक्रमण किया था और बलपूर्वक उसे चीन में शामिल कर लिया था।
चीनी अधिकारियों ने तिब्बत और पश्चिमी चीन के तिब्बती क्षेत्रों पर अपना कठोर नियंत्रण बना रखा है। तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित कर दिया गया है और तिब्बतियों को उत्पीड़न, यातना, कारावास और न्यायेतर हत्याएं की जा रही हैं।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए संग्याल कुंचोक द्वारा रिपोर्ट की गई। तेनज़िन डिक्की द्वारा अनूदित। रिचर्ड फिने द्वारा अंग्रेजी में लिखित।