तिब्बती राजनीतिक कैदी भंगरी रिनपोछे
ल्हासा के एक अनाथालय में प्रबंधक और शिक्षक बांगरी रिनपोछे ने ‘अलगाववाद’ के आरोप में २० साल तक जेल की सजा काटी।
rfa.org
०२ अगस्त, २०२१
अलगाववाद के आरोप में २० साल से अधिक समय से जेल में बंद एक तिब्बती स्कूल के शिक्षक को सजा पूरी करने के बाद पिछले हफ्ते जेल से रिहा किया जाना था। लेकिन उनकी रिहाई के बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं पैदा हो गई। एक तिब्बती अधिकार समूह ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी है।
भारत के धर्मशाला स्थित ‘तिब्बती सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी’ ने ०१ अगस्त को बताया कि तिब्बती धार्मिक शिक्षक बांगरी रिनपोछे, जिसे जिग्मे तेनज़िन न्यिमा के नाम से भी जाना जाता है, को एक मुकदमे में २६ सितंबर, २००० को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बाद में 3१ जुलाई, २००3 को उनकी आजीवन कैद की सजा को कम करके १९ साल के कारावास में बदल दिया गया था।
टीसीएचआरडी में शोधकर्ता तेनजिन दावा ने सोमवार को आरएफए को बताया कि उनकी सजा 3१ जुलाई को पूरी होने वाली थी, लेकिन उनकी रिहाई के बारे में कुछ भी पता नहीं चला है। दावा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि बांगरी रिनपोछे ने अपने जीवन के २२ साल जेल में बिताए हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी जेल की सजा पूरी कर ली है, लेकिन हम नहीं जानते कि उन्हें रिहा किया गया है या नहीं, या उनकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में हमें कुछ भी पता नहीं है। दावा ने कहा, ‘चूंकि हमने उनकी रिहाई के बारे में कुछ नहीं सुना है, इसलिए हम अभी बहुत चिंतित हैं।’ यह एक सर्वविदित तथ्य है कि चीनी जेलों के अंदर तिब्बती कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि ‘चीनी सरकार को तुरंत (बांगरी रिनपोछे की) स्थिति, ठिकाने और सेहत के बारे में स्पष्ट करना चाहिए।’
तिब्बत की राजधानी ल्हासा में एक अनाथालय तथा स्कूल के प्रबंधक और तिब्बती भाषा, चीनी भाषा, अंग्रेजी भाषा और गणित के अध्यापक बांगरी रिनपोछे को उनकी पत्नी न्यिमा चोएड्रोन के साथ अगस्त १९९९ में गिरफ्तार किया गया था। उनपर आरोप था कि वह स्कूल के एक कर्मी द्वारा शहर के मुख्य चौराहे पर प्रतिबंधित तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज फहराने और फिर खुद को विस्फोटकों से उड़ा लेने की साजिश में शामिल थे।
टीसीएचआरडी ने कहा कि चोएड्रोन की दस साल की सजा को बाद में कम कर दिया गया और फरवरी २००६ में उन्हें रिहा कर दिया गया। उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद अनाथालय को बंद कर दिया गया था। ज्ञातव्य है कि पूर्व में स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर ७० साल पहले चीन द्वारा आक्रमण किया गया था और बलपूर्वक इसे चीन में शामिल किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि हाल के वर्षों में तिब्बती राष्ट्रीय अस्मिता का दावा करने के लिए तिब्बती भाषा अधिकार आंदोलन विशेष फोकस बन गया है। इस कारण से मठों और कस्बों में अनौपचारिक रूप से आयोजित तिब्बती भाषा की शिक्षा प्रदान करने को आम तौर पर ‘अवैध समागम’ माना जाता है और ऐसे शिक्षकों को हिरासत में लिया जाता है और गिरफ्तार किया जाता है।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए लोबसांग गेलेक द्वारा रिपोर्ट किया गया। तेनज़िन डिकी द्वारा अनूदित। रिचर्ड फिनी द्वारा अंग्रेजी में लिखित।