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धर्मशाला। तिब्बती खाम प्रांत के पारंपरिक शग रोंगपो क्षेत्र में तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र नागचू (चीनी: नाकू) काउंटी के ताचेन टाउनशिप में जबरन राजनीतिक पुन: शिक्षा अभियानों में भाग लेने से इनकार करने पर 2019 में हिरासत में लिए गए एक तिब्बती व्यक्ति की चीनी पुलिस की हिरासत में पीटे जाने के बाद मौत हो गई। एक सूत्र ने इस बात की सूचना दी है।
लगभग 36 वर्षीय नोरसांग का 2019 में पुलिस हिरासत में पिटाई और प्रताड़ना के कारण मौत हो गई। चीनी अधिकारियों ने शुरू में उन्हें सितंबर 2019 के अंत में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) शासन की 70 वीं वर्षगांठ से कुछ दिन पहले शग रोंगपो के त्साल्ही गांव से कई अन्य तिब्बतियों के साथ हिरासत में लिया था। स्थानीय अधिकारियों द्वारा नागरिक अशांति या सीसीपी के संवेदनशील कार्यक्रम से पहले विद्रोह के किसी भी खतरे से निपटने के प्रयास में उन्हें बड़े पैमाने पर राजनीतिक पुन: शिक्षा अभियान या देशभक्तिपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम से जोड़ा गया था। बाद में, अधिकारियों ने अन्य को रिहा कर दिया लेकिन नोरसांग को हिरासत में ही रखा। उनके परिवार के सदस्यों को उनके पास जाने से मना कर दिया गया था, जिससे उनकी सेहत के लिए डर बढ़ रहा था।
शग रोंगपो क्षेत्र और अन्य तिब्बती क्षेत्रों में लगाए गए ऑनलाइन संचार पर चीन के उच्च प्रतिबंध के कारण नोरसांग की मृत्यु अब तक तिब्बत के बाहर की दुनिया के लिए अज्ञात बनी हुई थी।
सूत्र ने कहा, ‘चीनी अधिकारियों ने उनके परिवार और उनके गांव के निवासियों को उनकी मौत के बारे में कुछ भी जानकारी देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रखी थी।’
मौत की जिम्मेदारी से साफ-साफ बचने के प्रयास में चीनी अधिकारियों ने कहा कि कर्ज के बोझ के कारण नोरसांग ने शगचू ब्रिज से कूदकर आत्महत्या कर ली है। लेकिन स्थानीय निवासियों ने चीनी बयान का उपहास उड़ाते हुए कहा कि नोरसांग के नाम पर एक भी कर्ज नहीं था और वह गांव का संपन्न व्यक्ति माना जाता था। चीनी बयान जनता को गुमराह करने का एक प्रयास है। ग्रामीणों का मानना है कि उसकी मौत का कारण चीनी अधिकारियों द्वारा की गई गंभीर पिटाई और प्रताड़ना है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि चीनी पुलिस के हाथों प्रताड़ना और दुर्व्यवहार से बचने के लिए उसने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए पुल से छलांग लगा ली होगी। यह कहना मुश्किल है कि दोनों में से कौन सा कारण सही है। क्योंकि चीनी अधिकारियों ने किसी भी ग्रामीण को उसके शव को देखने या उसके करीब आने से रोक दिया था।
उनके निधन के बाद कई दिनों तक अधिकारियों ने गेसो सबा गांव में उनके घर को घेरे रखना और तलाशी लेना जारी रखा। इस प्रक्रिया में उनकी गर्भवती पत्नी और परिवार ने भी विरोध किया। स्थानीय लोगों ने उस समय कई दिनों तक क्षेत्र के आसपास पुलिस वाहनों को आते-जाते देखा है। नोरसांग के निधन की खबर और पुलिस की लगातार व्यवस्थिति तलाशी उसकी पत्नी के मानसिक उत्पीड़न और आघात का कारण बना जिसने संभवतः उन्हें अस्थिर मानसिक स्थिति में डाल दिया। घटना के बाद से उनके परिवार की स्थिति और खराब हो गई है और वे वर्तमान में कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।
हमारे सूत्र के अनुसार, नोरसांग परम पावन दलाई लामा के प्रति प्रबल श्रद्धा के साथ तिब्बती राष्ट्रीयता के जबर्दस्त समर्थक थे। वह एक ऐसे दृढ़ रुख वाले व्यक्ति थे, जिसने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार अभियानों की नीतियों को स्वीकार करने और उनका पालन करने से इनकार कर दिया। इसमें पार्टी के काम की प्रशंसा करना, घर पर पांच चीनी नेताओं की फ़्रेमयुक्त तस्वीर को अनिवार्य रूप से लटकाना और चीनी झंडे को अनिवार्य तौर फहराना शामिल है। नोरसांग खाम प्रांत के पारंपरिक शग रोंगपो इलाके के गेसो सबा नामक गांव से ताल्लुक रखते थे। वह सोनम यांग और गंगचुंग के पुत्र थे। उनके परिवार में पिता, पत्नी और छह बच्चे हैं।
शग रोंगपो क्षेत्र पर कड़ी निगरानी और कड़े प्रतिबंध जारी हैं क्योंकि स्थानीय तिब्बतियों से लगातार पूछताछ की जा रही है जबकि संदिग्ध व्यक्तियों के सेलफोन जब्त किए जा रहे हैं और उनके घरों की तलाशी ली जाती है ताकि ‘अलगाववाद’ से लड़ने के नाम पर स्थानीय लोगों का निर्वासित लोगों के साथ किसी भी संभावित संबंध का पता लगाया जा सके।
– डीआईआईआर के संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार डेस्क द्वारा जारी