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वाशिंगटन। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस’ रिपोर्ट प्रकाशित की है। ‘ब्यूरो ऑफ डेमोक्रेसी, ह्यूमन राइट्स एंड लेबर’ द्वारा आयोजित इस वर्ष की रिपोर्ट में चीन में बिगड़ते मानवाधिकारों के बारे में 50,000 से अधिक शब्दों में अमेरिका के आकलन का विवरण पेश किया गया है।
इस वर्ष की रिपोर्ट तिब्बतियों के लिए विजय का प्रतीक है, क्योंकि रिपोर्ट के तिब्बत खंड में अतीत की रिपोर्टों की तरह तिब्बत को ‘चीन का अभिन्न हिस्सा’ नहीं बताया गया है। यह प्रतीकात्मक बदलाव अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संकेत है, जिसे बार-बार केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा प्रचारित किया गया है और इस परिवर्तन का तिब्बत-डीसी कार्यालय द्वारा स्वागत किया गया है।
सीटीए और अन्य लोगों द्वारा पिछले ब्रीफिंग की याद दिलाते हुए रिपोर्ट में तिब्बत में चल रहे मानवाधिकार के मुद्दों, जैसे- यातना, मनमानी हिरासत, न्यायपालिका और चुनाव में भ्रष्टाचार, एकत्र होने / सभा करने / आवागमन/ धर्म की आजादी का अभाव, सेंसरशिप, जबरन नसबंदी और स्वदेशी लोगों के खिलाफ हिंसा आदि का विवरण दिया गया है। गेदुन चोएक्यी न्यिमा (11वें पंचेन लामा), डेरुंग त्सेरिंग धुंड्रूप (एक तिब्बती विद्वान) और जनरल सोनम (पोटाला पैलेस के एक वरिष्ठ प्रबंधक) के जबरन गायब कर दिए जाने पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है। तिब्बत खंड में लगभग 5,00,000 ग्रामीण तिब्बतियों के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा जबरन श्रम कार्यक्रम का भी उल्लेख है, जिसे पिछले सितंबर में नोट किया गया था।
‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज’ रिपोर्ट के चीन खंड में ट्रंप प्रशासन की इस बात की पुष्टि की गई है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नरसंहार कर रही है: ‘मानवता के खिलाफ नरसंहार और अपराध मुख्य रूप से मुस्लिम उग्यूर बहुल प्रांत झिंझियांग और अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ पूरे वर्ष के दौरान हुए हैं। ये अपराध अब भी जारी हैं और एक लाख से अधिक नागरिकों की आजादी को मनमानी कारावास या अन्य गंभीर तरह के प्रतिबंधों को लगाकर बाधित करने, जबरन नसबंदी, ज़बरदस्ती गर्भपात, चीन की जन्म नियंत्रण नीतियों का अधिक प्रतिबंधात्मक अनुप्रयोग, बलात्कार, बड़ी संख्या में मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए लोगों की यातना, बेगारी और धर्म की स्वतंत्रता या विश्वास के द्वारा बाधित किया गया है।’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वच्दंछ आवागमन की स्वतंत्रता, पर कठोर कानूनों के द्वारा प्रतिबंध लगाए गए हैं।
बिडेन प्रशासन की रिपोर्ट में चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा तिब्बतियों, उग्यूरों, असंतुष्टों और धार्मिक रूप से संबद्ध लोगों की व्यापक निगरानी पर प्रकाश डाला गया है। चीन खंड में बताया गया है कि कैसे चीनी सरकार ने तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र और’ तिब्बती क्षेत्रों में मठों में निगरानी कैमरे स्थापित किए, जो सीसीपी को ‘प्रमुख सुरक्षा घटनाओं” के दौरान संचार प्रणालियों में कटौती करने की अनुमति देगा। रिपोर्ट में ह्यूमन राइट वॉच के निष्कर्षों का हवाला दिया गया है कि सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ‘बड़े पैमाने पर स्वचालित वॉयस रिकग्निशन और मॉनिटरिंग सिस्टम’ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहा है, जो कि चीनी सरकार को तिब्बती और उग्यूर भाषाओं को समझने में मदद करने के लिए बनाई गई प्रणालियां। लोक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा फिंगरप्रिंट और डीएनए प्रोफाइल और अन्य बायोमेट्रिक डेटा भी संग्रहीत किए जा रहे हैं-यह अभ्यास पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले सभी उग्यूरों के लिए लागू किया गया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस’ रिपोर्ट प्रकाशित की है। ‘ब्यूरो ऑफ डेमोक्रेसी, ह्यूमन राइट्स एंड लेबर’ द्वारा आयोजित इस वर्ष की रिपोर्ट में चीन में बिगड़ते मानवाधिकारों के बारे में 50,000 से अधिक शब्दों में अमेरिका के आकलन का विवरण पेश किया गया है।
इस वर्ष की रिपोर्ट तिब्बतियों के लिए विजय का प्रतीक है, क्योंकि रिपोर्ट के तिब्बत खंड में अतीत की रिपोर्टों की तरह तिब्बत को ‘चीन का अभिन्न हिस्सा’ नहीं बताया गया है। यह प्रतीकात्मक बदलाव अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संकेत है, जिसे बार-बार केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा प्रचारित किया गया है और इस परिवर्तन का तिब्बत-डीसी कार्यालय द्वारा स्वागत किया गया है।
सीटीए और अन्य लोगों द्वारा पिछले ब्रीफिंग की याद दिलाते हुए रिपोर्ट में तिब्बत में चल रहे मानवाधिकार के मुद्दों, जैसे- यातना, मनमानी हिरासत, न्यायपालिका और चुनाव में भ्रष्टाचार, एकत्र होने / सभा करने / आवागमन/ धर्म की आजादी का अभाव, सेंसरशिप, जबरन नसबंदी और स्वदेशी लोगों के खिलाफ हिंसा आदि का विवरण दिया गया है। गेदुन चोएक्यी न्यिमा (11वें पंचेन लामा), डेरुंग त्सेरिंग धुंड्रूप (एक तिब्बती विद्वान) और जनरल सोनम (पोटाला पैलेस के एक वरिष्ठ प्रबंधक) के जबरन गायब कर दिए जाने पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है। तिब्बत खंड में लगभग 5,00,000 ग्रामीण तिब्बतियों के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा जबरन श्रम कार्यक्रम का भी उल्लेख है, जिसे पिछले सितंबर में नोट किया गया था।
‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज’ रिपोर्ट के चीन खंड में ट्रंप प्रशासन की इस बात की पुष्टि की गई है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नरसंहार कर रही है: ‘मानवता के खिलाफ नरसंहार और अपराध मुख्य रूप से मुस्लिम उग्यूर बहुल प्रांत झिंझियांग और अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ पूरे वर्ष के दौरान हुए हैं। ये अपराध अब भी जारी हैं और एक लाख से अधिक नागरिकों की आजादी को मनमानी कारावास या अन्य गंभीर तरह के प्रतिबंधों को लगाकर बाधित करने, जबरन नसबंदी, ज़बरन गर्भपात, चीन की जन्म नियंत्रण नीतियों का अधिक प्रतिबंधात्मक प्रयोग, बलात्कार, बड़ी संख्या में मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए लोगों की यातना, जबरन श्रम शिविर और धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वच्दंछ आवागमन की स्वतंत्रता को बाधित किया गया है और इन पर कठोर कानूनों के द्वारा प्रतिबंध लगाए गए हैं।’
बिडेन प्रशासन की रिपोर्ट में चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा तिब्बतियों, उग्यूरों, असंतुष्टों और धार्मिक रूप से संबद्ध लोगों की व्यापक निगरानी पर प्रकाश डाला गया है। चीन खंड में बताया गया है कि कैसे चीनी सरकार ने तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र और तिब्बती क्षेत्रों में मठों में निगरानी कैमरे स्थापित किए हैं, जो सीसीपी को ‘प्रमुख सुरक्षा आयोजनों’ के दौरान संचार प्रणालियों में कटौती करने की सुविधा दे देता है। रिपोर्ट में ह्यूमन राइट वॉच के निष्कर्षों का हवाला दिया गया है कि सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय बड़े पैमाने पर स्वचालित ‘वॉयस रिकग्निशन और मॉनिटरिंग सिस्टम’ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहा है, जो चीनी सरकार को तिब्बती और उग्यूर भाषाओं को समझने में मदद करने के लिए बनाई गई प्रणालियां हैं। लोक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा फिंगरप्रिंट और डीएनए प्रोफाइल और अन्य बायोमेट्रिक डेटा भी संग्रहीत किए जा रहे हैं। यह प्रयोग पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले सभी उग्यूरों पर भी लागू किया गया है।
रिपोर्ट नस्लवादी भेदभावपूर्ण व्यवहारों को भी उजागर करती है जो तिब्बतियों, मंगोलियाई, उग्यूरों और अन्य अलग के अल्पसंख्यक समूहों को भाषा, शिक्षा और नौकरियों के अधिकार से वंचित करती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हान चीनी इन नस्लवादी नीतियों से कैसे लाभान्वित होते हैं। ‘सरकारी विकास कार्यक्रमों और नौकरी के प्रावधानों ने अल्पसंख्यक समूहों के पारंपरिक जीवन शैली को बाधित किया और कुछ मामलों में व्यक्तियों के जबरन स्थानांतरण और खानाबदोशों के जबरन पुनर्वास के मामलों में यह और बर्बरता से लागू किया गया है। हान चीनी नागरिकों को सरकारी कार्यक्रमों और अल्पसंख्यक क्षेत्रों में आर्थिक विकास ने असमान रूप से लाभान्वित किया। एक ‘सामंजस्यपूर्ण समाज’ के निर्माण और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के अपने कथित प्रयास के तौर पर सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ नस्लवाद और संस्थागत भेदभाव को कम करने के साथ नस्ल, संस्कृति और धर्म के शांतिपूर्ण अभिव्यक्तियों पर टूट पड़ी। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चीनी अधिकारी तिब्बतियों को भी सहायता प्रदान करनेवाले गैर-सरकारी संगठनों को कैसे प्रतिबंधित करते हैं।
– तिब्बत कार्यालय, वाशिंगटन द्वारा जारी