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निर्वासन में रह रहे एक तिब्बती व्यक्ति ने बुधवार को बताया कि तिब्बती स्वायत्त प्रान्त के सिचुआन के कार्देज़ में चीनी पुलिस ने हाल के सप्ताहों में अपने समुदायों में प्रमुख माने जाने वाले छह तिब्बतियों को गिरफ्तार किया है।
स्विट्जरलैंड में रहने वाले एक पूर्व राजनीतिक कैदी गोलोक जिग्मे ने स्थानीय संपर्कों का हवाला देते हुए आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि लेखक और पर्यावरण कार्यकर्ता सेये नाम को 02 अप्रैल को कार्देज़ के (चीनी: गंजी) सेथर (सेडा) काउंटी में हिरासत में लिया गया था।जिग्मे ने कहा, ‘क्षेत्र में संचार पर कड़े प्रतिबंधों के कारण, मेरे स्रोत को उनकी गिरफ्तारी का कारण पता नहीं है।
2 अप्रैल को ही तिब्बती कार्यकर्ता और पूर्व राजनीतिक कैदी टॉर्सिंग डोलमा को गिरफ्तार किया गया। डोलमा इससे पहले 2008 में और 2012 में कम से कम दो बार गिरफ्तार हो चुकी हैं। तब उन्होंने तिब्बती क्षेत्रों में चीनी नीतियों और शासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
जिग्मे ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि उनकी यह तीसरी या चौथी बार गिरफ्तारी हुई है। जिग्मे ने कहा कि एक लेखक और पूर्व राजनीतिक कैदी गंगके ड्रूबपा क्याब, जिन्हें गंगमे थाक के नाम से भी जाना जाता है, को 23 मार्च को सेर्था में गिरफ्तार किया गया था। जिग्में ने कहा कि ‘क्याब ने कोई अपराध नहीं किया था और चीन सरकार ने भी उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई वैध कारण नहीं दिखाया है।’जिग्मे ने कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ता गंगू युडरुम को 22 मार्च को हिरासत में लिया गया था, उनकी गिरफ्तारी का कोई कारण नहीं बताया गया है।
युडरुम ने इससे पहले 2008 में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के आरोप में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उस प्रदर्शन में युडरुम ने प्रतिबंधित तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज लहराया था और निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की तिब्बत वापसी के समर्थन में नारे लगाए थे।
उन्हें 2012 में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और 2014 में रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उन्हें उनके गाँव के लोगों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। गांववासियों ने उन्हें ‘सत्य के लिए लड़ने वाला तिब्बती सेनानी’ के रूप में सम्मानित किया। अपनी रिहाई के बाद उन्होंने स्थानीय तिब्बतियों को संबोधित एक पत्र लिखा जिसकी प्रतियां लोगों में वितरित कीं, जिसमें उन्होंने बीजिंग के शासन से तिब्बत को मुक्त करने के लिए काम करने का आग्रह किया था।जिग्मे ने कहा कि हाल में हिरासत में लिए गए इन छह तिब्बतियों में से दो की पहचान नहीं हो सकी है और सभी छह के ठिकाने अभी भी अज्ञात हैं।पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र तिब्बत पर 70 साल पहले बलपूर्वक आक्रमण किया गया था और दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायी बाद में 1959 के चीन के शासन के खिलाफ तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों में निर्वासन में भाग गए थे।
चीनी अधिकारी इस क्षेत्र पर कड़ी नजर रखते हैं। तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करते हैं और तिब्बतियों को उत्पीड़न, यातना, कारावास और न्यायेतर हत्याओं जैसे अमानवीय व्यवहार झेलने पड़ते हैं।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए लोब सोकत्सांग द्वारा रिपोर्ट की गई। तेनज़िन डिक्सी द्वारा अनुदित। रिचर्ड फनी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया।