तिब्बतनरिव्यू.नेट, 04 फरवरी, 2019
चीन की आधिकारिक मीडिया ने 31 जनवरी को पुष्टि की कि किंघाई प्रांत की एक काउंटी सरकार ने मठों को छुट्टियों के दौरान छात्रों के लिए ‘अवैध’ तिब्बती भाषा की कक्षाओं को रोकने का आदेश दिया था। उनका तर्क था कि इन कक्षाओं में शिक्षण योग्यता की कमी के कारण वे बच्चे सामाजिक स्थिरता को खतरे में डालने वाले विचारों से प्रभावित हो जाते हैं।
globaltimes.cn की एक रिपोर्ट के अनुसार, नांगकेन (तिब्बती: नांगचेन) काउंटी ऑफ युसु (युलशुल) प्रान्त के कुछ बौद्ध मंदिरों में ‘छुट्टियों पर छात्रों के लिए गुप्त रूप से तिब्बती भाषा पाठ्यक्रम का आयोजन’ किया गया था।
रिपोर्ट में क्वजी गांव से जियांग उपनाम वाले एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि उन कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों में अन्य शहरों से अपने गृहनगर लौटने वाले कॉलेज के छात्रों के साथ-साथ प्राथमिक और मध्य विद्यालय के स्थानीय छात्रों को शामिल किया गया था। जियांग ने कहा है कि उनके गाँव को काउंटी सरकार का नोटिस दिसंबर 2018 के अंत में प्राप्त हुआ था। इसमें यह आदेश दिया गया कि वे ऐसे मंदिरों को दंडित करें जो अयोग्य ‘शिक्षण गतिविधिया’ प्रदान कर रहे हैं।
रिपोर्ट ने कुछ भिक्षुओं के उन झूठे दावों को खारिज करते हुए भी दिखाया है कि छात्रों, विशेष रूप से जो चीन के अन्य हिस्सों में पढ़ रहे हैं, के पास तिब्बती भाषा सीखने के कुछ अवसर मिल जाते हैं।
नंगकेन प्रचार विभाग के एक अधिकारी सोनम ने कहा, ‘नंगकेन सरकार हमेशा स्कूलों में द्विभाषी शिक्षा (पुटोंगुआ और तिब्बती) को बढ़ावा देती रही है और छात्रों को योग्य संस्थानों में तिब्बती सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है।’
रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि किसने एक योग्य संस्थान का गठन किया या मठों द्वारा संचालित कक्षाओं ने छात्रों को सामाजिक स्थिरता को खतरे में डालने वाले विचारों से कैसे प्रभावित किया। इसके विपरीत चीन की तथाकथित द्विभाषी शिक्षा के तहत तिब्बती को केवल एक हाशिए की भाषा के विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
और फिर भी रिपोर्ट में दावा किया गया कि किंघाई सरकार ने 2012 से 2017 तक 64 करोड़ युआन (953.6 लाख डॉलर) का निवेश किया था, जिसमें स्कूलों को बनाने और लोगों को काम पर रखने सहित द्विभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने की बात की गई थी। यह भी दावा किया गया था कि तिब्बती प्रान्त से जातीय अल्पसंख्यक छात्रों के लिए तरजीही नीतियों को लागू करने के लिए तिब्बती भाषा सिखाई जाएगी।
रिपोर्ट में चीनी संविधान के इस सही उल्लेख को उद्धृत किया गया है कि सभी राष्ट्रीयताओं को अपनी स्वयं की बोली जाने वाली भाषाओं का उपयोग करने और उसे विकसित करने और अपने स्वयं के रिवाजों को संरक्षित करने या सुधार करने की स्वतंत्रता है। हालांकि इस कानून का कार्यान्वयन हमेशा एक अलग मामला रहा है।
रिपोर्ट में आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी का हवाला देते हुए कहा गया है कि किंघाई के जातीय पाठ्यपुस्तक केंद्र ने 1980 के दशक से तिब्बती में 1,800 से अधिक पाठ्य पुस्तकों का संकलन और अनुवाद किया था, जिनकी संख्या 20 करो़ड़ शब्द तक थी। हालांकि, स्पष्ट रूप से कुछ साल पहले मंदारिन चीनी को तिब्बती स्कूलों के लिए सभी विषयों में शिक्षा का एकमात्र माध्यम बना दिया गया था।