इतिहास हमारा आज भी गवाह है।
हमारा भोट देश सदियों से स्वतन्त्र है।
विशव में हमारी अदभुत छवि फैली है।
हमारी भूमि सदैव शांत एवं मंगल सम्पन्न रही है।
अन्याय से चीन ने हमारी हस्ती छिनी है।
हमारी समृद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरा पर
अधर्म हिंसा, अत्याचार और लहू की धारा बहायी है।
अब उसकी षड्यंत्र एवं कुदृष्टि की काया शीघ पलटेगी।
हमें गुलामी की पीड़ा नहीं।
आजादी की खुशी चाहिए।
हम भी तुम्हारे तरह इन्सान है।
हमें स्वतन्त्रता का मौलिक हक चाहिए।
आज़ाद होगा कल हमारा देश
हम चलेंगे अहिंसा के पथ पर
यही भगवान बुद्ध के उपदेश सार
14 वें परम पावन का भी है हथियार।
मध्यम मार्ग के सिद्धांत पर
सदा अडिंग हम सब रहेंगे।
अब आज़ादी की मशाल को।
हम कभी न बुझाने देंगे।
तिब्बत देश की पूर्ण मुक्ति
अहिंसा की एक विजय होगी।
हमारी अविरल अखण्ड़ आवाज़।
आज़ादी की ही बुलन्द रहेगी।
आज़ादी तो हमें निशिचत मिलेगी।
पर चुप रहकर कभी नहीं।
कुछ बलिदान तो हमें देना होगा
पर एकता में हमें रहना होगा।
खून जो बह गया हमारे बरसो से
उस खून की कीमत उन्हें चुकानी होगी।
हमारे खून में आजादी की फूल
खिलने की बीज हमें डालना होगा।
दुःख सिर्फ तिब्बत में नहीं
दुनिया के हर क्षेत्र में छाया है।
हिंसा की जिस चिंगारी को चीन ने जलायी।
वही कल उसको जलाकर राख कर देगी।
मानव की हत्या मानव ने
कितनी क्ररता से कर डाली है।
पापी को पाप की सजा
बरबरतापूर्ण मिलते किसने नहीं देखा हैं।
मानवता का निर्दय कत्ल
सिर्फ तिब्बत और तिब्बतियों का नहीं
पूरे मानव जाति के जीवन का
एक दुखद और शर्मनाक मिसाल है।
तिब्बत की आजादी लड़ाई में
जिन योद्धओं ने प्राणों की आहुति दी
सच्चे क्रांतिकारी वीर देशभक्त हैं।
वे भाग्यवान् अमर शहीद हैं।
देश की रक्षा हमारा धर्म है।
मानवता की सुरक्षा हमारा कर्म है।
देश धर्म से बढकर क्रर्म क्या।
इस क्रर्म का फल उनको कभी तो मिलेगा।
हम शरणर्थी का जीवन जी रहे हैं।
चुप थे पर कमज़ोर कभी नहीं रहे
अवलेकितेशवर और परम पावन की कृपा दृष्टि से
हम होंगे आज़ाद निकट काल में।
अहिंसा की लड़ाई में तिब्बतियों की जीत हो
परम पावन की कामना शीघ्र पूर्ण हो
विशव में शांति सदा मुकम्मल रहे
हर प्राणी आज़ादी की सुख से सिंचित एवं उल्लसित हो।
सबका मंगल हो।
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