रक्षा संतुलन में परिर्वतन
रेल लाइन बिछाने की इस परियोजना का २००७ में प्रथम चरण पूरा होते ही चीनी रक्षा सैनिकों के लिये भारतीय सीमा पर भारी अस्त्र-शस्त्र एवं अन्य युद्ध सामग्री अति अल्प सूचना पर पहुंचाना संभव हो जायेगा। इससे भारत की उत्तरी सीमा की रक्षा और खतरे में पड़ जाएगी।
विशाल सैनिक अड्डे के रूप में तिब्बत
आज तिब्बत में चीन के शस्त्रागार में १७ गुप्त रडार केन्द्र, कम से कम ८ अंतरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्रों, मध्यम दूरी के ७० और कम दूरी वाले २० प्रक्षेपास्त्र उपलब्धों से लैस आठ प्रक्षेपास्त्र अड्डे हैं । तिब्बत में तैनात कुछ प्रक्षेपास्त्रों की मारक दूरी १३,००० किमी है और वे एशिया की विभिन्न जगहों तक मार कर सकते हैं। रेल लाइन बन जाने से चीन के लिए तिब्बत को स्थायी सैनिक अड्डे में बदलना संभव हो जायेगा जहां से वह भारत, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की सैनिक कार्रवाई कर सकेगा। वह पाकिस्तान और म्यांमार के जरिए अरब सागर और बंगाल की खाड़ी तक पहुंच सकेगा।
जनसंख्या स्थानांतरण
चीन सरकार द्वारा तिब्बत में चीनी जनसंख्या बसाने का अभियान रेल लाइन के बिछ जाने के बाद और अधिक तेज हो जायेगा। तब तिब्बत को चीन का स्थायी उपनिवेश बना दिया जायेगा। इस प्रकार चीन पूरे दक्षिणी एशिया, विशेषकर भारत के लिये स्थायी खतरा बन जायेगा। पहले ही तिब्बतियों को अल्पसंख्यक बनाया जा चुका है। यह परियोजना मंचूरिया, सिंकियांग और मंगोलिया की कहानी को दोहराएगी।