तिब्बत.नेट
धर्मशाला। ठीक पच्चीस साल पहले परम पावन दलाई लामा द्वारा आधिकारिक तौर पर 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता देने के तीन दिन बाद ही चीनी अधिकारियों ने छह साल के गेधुन चोएक्यी न्यिमा का अपहरण कर लिया था। तब से हर साल पंचेन गेधुन चोएक्यी न्यिमा के जन्मदिन को उदासी रूप में मनाया जाता है और 17 मई को, जिस दिन उन्हें उनके माता-पिता के साथ जबरदस्ती अपहरण कर लिया गया था, उसकी रिहाई के लिए चीन से वैश्विक अपील की जाती है जो अब अथक प्रयास में बदल गया है। चीनी सरकार ने यह घोषित किया है कि गेधुन चोएक्यी न्यिमा ष्बहुत अच्छा जीवनष् का आनंद ले रहे हैं लेकिन अपने इन दावे को सत्यापित करने के लिए चीनी सरकार ने इन वर्षों में कभी एक भी दुनिया के सामने नहीं रखे हैं।
पच्चीस साल बाद भी यह आह्वान जारी है। इस दौरान इसमें प्रमुख सरकारी अधिकारी, संसदों के सदस्य और दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय अधिकार संगठनों शामिल हुए और उनके द्वारा इस आह्वान को और परिवर्दि्धत ही किया गया है। उन्होंने पंचेन लामा के लगातार गायब रहने पर चिंता व्यक्त की है और चीन से उन्हें उनके माता-पिता और तिब्बती के आध्यात्मिक कैदियों को रिहा करने की अपील की है।
एएफपी को दिए एक साक्षात्कार में अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने कहा, “यह मुद्दा अमेरिकी सरकार द्वारा उठाया जाना जारी है और अमेरिकी सरकार द्वारा उठाया जाना जारी रहेगा।” अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी एंबेसेडर एट लॉर्ज सैम ब्राउनबैक ने कहा, ष्नहीं, हमें उनके ठिकाने का कोई पता नहीं है, और हाँ, हम चीनी अधिकारियों को पंचेन लामा को मुक्त करने और उन्हें खुद को मुक्त करने के लिए दबाव डालना जारी रखे हुए हैं। (और..) वे दुनिया को बताएं कि वह कहां हैं। मुझे लगता है कि चीन की दिलचस्पी और फोकस और उसका महत्व लगातार बढ़ रहा है- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अगले दलाई लामा को नियुक्त करने के अपने अधिकार का लगातार दावा कर रही है, और- जिसके लिए उसे कोई अधिकार नहीं है।”
चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग और टॉम लैंटोस मानवाधिकार आयोग के सह-अध्यक्ष और अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जिम मैकगवर्न ने पिछले महीने पंचेन लामा के 31वें जन्मदिन पर जारी एक बयान में 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा की तत्काल रिहाई की मांग की थी। रिप. रेप मैकगवर्न ने कहा, “उन्हें स्वतंत्र होना चाहिए क्योंकि अवरुद्ध किए होने के कारण उन्हें कोरोना वायरस से अधिक खतरा होने की संभावना है। उन्हें स्वतंत्र होना चाहिए क्योंकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विचार, अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसमें उन्हें अपने धर्म का पालन करने का अधिकार भी शामिल है। उसे स्वतंत्र होना चाहिए क्योंकि वे अभी एक युवा व्यक्ति है और जन्मदिन की खुशी मनाने का उन्हें अधिकार है। यह वर्ष ऐसा हो सकता है जिसमें हमें आपसे मिलने का सौभाग्य मिले गेधुन चोएक्यी न्यिमा।”
इसी तरह, लापता धार्मिक गुरु पंचेन लामा के 31वें जन्मदिन के अवसर पर अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने धर्मात्मा कैदियों में से एक गेधुन चोएक्यी न्यिमा को रिहा करने के लिए चीनी सरकार से अपने आह्वान को एक बार फिर दोहराया। तिब्बत के 11वें पंचेन लामा को बचपन से ही अज्ञातवास में रखा गया है और उन्हें सामान्य जीवन जीने के अवसर से वंचित किया गया है। यूएससीआईआरएफ के आयुक्त तेनजिन दोरजी ने टिप्पणी की, हम चीनी सरकार से इस कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय गरिमा का सम्मान करने और तुरंत पंचेन लामा के सुरक्षित होने का एक वीडियो सबूत दिखाने और उन्हें तुरंत रिहा करने का आग्रह करते हैं।
चीन पर कांग्रेस के कार्यकारी आयोग ने ट्वीट किया, ष्अध्यक्ष तिब्बत के 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को उनके 31वें जन्मदिन पर उनके माता-पिता डेचेन चोएड्रोन और कोंचोग फुंटसोग के साथ रिहा करने की अपील करते हैं। इन सबको 25 साल बाद जबरन अपहरण कर लिया गया था। चीनी सरकार का अंतरराष्ट्रीय दायित्व है कि वह सभी तिब्बतियों के मानवाधिकारों की रक्षा करे।
तिब्बत के 11वें पंचेन लामा की तत्काल रिहाई के आह्वान में शामिल होकर ब्रिटेन के संसद सदस्य और तिब्बत के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप के चेयरमैन सांसद टिम लॉटन ने चीनी सरकार से कहा कि केवल आश्वासन पर्याप्त नहीं है और उनके बारे में जानकारी देने के लिए उन्हें दुनिया के सामने लाना जरूरी है। सांसद लॉटन ने चीन को अपने दमनकारी हथकंडों में सुधार लाने का भी आह्वान किया, जिसके गवाह वे लाखों तिब्बती रहे हैं, जिन्होंने अपनी संस्कृति, धार्मिक मान्यताओं, भाषा, मूल और कुल मिलाकर अपने जीवन पद्धति का दमन होते देखा है। ब्रिटेन के सांसद ने कहा कि चीन सरकार द्वारा हर तरह से किया जा रहा अत्याचार एक अन्याय है, जिसके खिलाफ दुनिया को खड़ा होने की जरूरत है।
लिथुआनियाई संसद के सदस्य और प्रोविजनल ग्रुप फॉर सॉलिडिरेटी विद तिब्बतंस (तिब्बती सांसदों के साथ एकजुटता) के प्रमुख डॉ. एंड्रियस नेविकास ने लिथुआनियाई राष्ट्रपति और विदेशमंत्री से आग्रह किया कि वे चीन पर पंचेन लामा के कुशल-क्षेम के बारे में विश्वसनीय जानकारी सार्वजनिक करने के लिए दबाव डालें। डॉ. नेविकास ने कहा “विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चीन से गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार की कुशलता के बारे में बार-बार पूछा है, लेकिन हर बार चीन ने रटा हुआ झूठ बोलकर जवाब दिया है। विश्व समुदाय को आज तक 11वें पंचेन लामा के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं है कि वे जीवित हैं और वह वर्तमान में किस नाम से जाने जाते है।” उन्होंने आगे कहा, “इस साल 17 मई को हम गेधुन चोएक्यी न्यिमा के अपहरण की 25वीं वर्षगांठ को याद कर रहे हैं। अब वह 31 साल के हो चुके हैं। तिब्बत की निर्वासित सरकार और दुनिया भर के तिब्बती संगठन इस दुखद वर्षगांठ पर सार्वजनिक रूप से उनकी रिहाई का आह्वान करते हैं और चीनी कम्युनिस्ट शासन को तिब्बत के 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के बारे में याद दिलाते हैं, जो आध्यात्मिक कैदी हैं।”
पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को रिहा करने के वैश्विक अभियान में शामिल होते हुए स्विट्जरलैंड के 15 सांसदों ने तीन भाषाओं में एक संयुक्त बयान जारी किया है। सांसद सदस्यों में काउंसिल ऑफ स्टेट्स के माया ग्राफ, लिसा मेजोन और कार्लो सोमारुगा के साथ नेशनल काउंसिल प्रिसका बिरेर-हाइमो के लॉरेंस फेहलमैन रिलेल, क्लाउडिया फ्राइडल, बल्थासर गेल्टली, निक गुगर, बारबरा गेयसी, बीट जानिस्रैन केलिन, फेबियन मोलिना, मार्टिना मुनज, निकोलस वाल्डर और कार्डरिक वर्मथ शामिल हैं। इस समूह ने चीनी सरकार से तिब्बत के “सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता सहित तिब्बत में मानवाधिकारों का सम्मान करने” का आग्रह किया। सांसदों ने चीनी सरकार को “तिब्बत मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए परम पावन दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ संवाद फिर से शुरू करने” के लिए दबाव डाला। उन्होंने तिब्बती संस्कृति और तिब्बती लोगों के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया और “तिब्बती लोगों के साथ एकजुटता में खड़े होने” का वादा किया।
इसी तरह का एक बयान 12 चेक सांसदों द्वारा जारी किया गया। इनमें चैंबर ऑफ डेप्युटीज के फ्रांटिचेक कोपिवा (चेक पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत के सह-अध्यक्ष- चेंबर ऑफ डेप्युटीज), दाना बलाक्रोव, जन सिजिन्स्की, जैकब जांडा, लेनका कोजलोवा, टॉमस मार्टीनक, जेकुब मिकालेब, विट्ट रकुसान, ओल्गा रिक्टरोव, ओन्डेज वेसेली, टोमैस विमाजल और मर्क वाइबोर्न शामिल हैं। बयान में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि 11वें पंचेन लामा के बारे में यह बिना ही कि वे जीवित भी हैं या नहीं, तिब्बती लोग उनका 31वां जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए मजबूर किए गए। उन्होंने पंचेन लामा और उनके परिवार को 25 वर्षों से लगातार अज्ञात रखने को “निरंतर अपराध” बताया। बयान में कहा गया कि चीन द्वारा न केवल गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार के खिलाफ यह अपराध किया गया है, बल्कि उन सभी तिब्बतियों के खिलाफ भी यह अपराध है जो अपने धार्मिक नेता से वंचित हैं।”
बयान में कहा गया है, ष्तिब्बत को पहले ही लगातार दुनिया के दूसरे सबसे कम आजाद क्षेत्र के रूप में स्थान दिया गया है और यूरोपीय संसद इंटरग्रुप ऑन फ्रीडम ऑफ रिलीजन ऑर बिलीफ ने 2018 में चीन को दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता के सबसे बदतर हननकर्ताओं में से एक के रूप में परिभाषित किया है। वह केवल तिब्बती बौद्ध के बारे में ही नहीं, बल्कि उग्युर मुस्लिमों और ईसाई का भी चीन सरकार द्वारा धार्मिक उत्पीड़न किया जा रहा है।
16 चेक सीनेटरों ने अलग से एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए जो पंचेन लामा की रिहाई की मांग करता हैं। सीनेटरों के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है, ष्हम चेक गणराज्य की संसद के सीनेट के सदस्य तिब्बत के न्याय, शांति और स्वतंत्रता के लिए उनके अहिंसक आंदोलन के प्रति और उनके लोगों के प्रति अपना समर्थन और अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं।” सीनेटरों ने चीन को ष्तिब्बती लोगों के अधिकारों और उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान” का सम्मान करने के लिए अपनी अपील दोहराई और चीन से ष्तिब्बत के पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के ठिकाने और उनका कुशल-क्षेम को सार्वजनिक करने और उन्हें और उनके परिवार को बिना शर्त रिहा करने का आह्वान किया।ष् बयान पर हस्ताक्षर करनेवाले 16 सीनेटरों में चेक गणराज्य की सीनेट के प्रथम उपसभापति जिरी रूजिका, सीनेट के उपसभापति मिलुए होरेका, सीनेट के उपसभापति जेन होर्निक, सीनेट के उपसभापति जेरी ओबेराल्जर, सीनेट में तिब्बत समर्थक समूह के अध्यक्ष सीनेटर प्रेमलिस राबास, सीनेटर डेविड स्मोलजक, सीनेटर मारेक हिल्सेर, सीनेटर वेकवेट चालुपेक, सीनेटर जीतका सेटलोवा, सीनेटर जेडिनेक पापास्क, सीनेटर लेलास वेगेननेचट, सीनेटर जेरी डिनास्टबियर, सीनेटर टामस कज्रिनिन, सीनेटर मिरोस्लाव बरात्सका, सीनेटर रेनाता च्मेलोवा, सीनेटर जिरी द्राहोस शामिल हैं।
चार अन्य चेक सांसदों ने वर्षगांठ मनाते हुए वीडियो संदेश रिकॉर्ड किए। इन वीडियो संदेशों में सीनेटर प्रेमलिस राबास, तिब्बत के लिए चेक संसदीय समर्थक समूह की अध्यक्ष सीनेटर मारेक हिल्सेर, सीनेटर वैक्लाव चालुपपेक और चैम्बर ऑफ डेप्युटी के सदस्य और तिब्बत के लिए चेक संसदीय समर्थक समूह के सह-अध्यक्ष श्री फ्रांतेसेक कोप्रिवा ने चीनी सरकार से पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार को रिहा करने की अपील की है। सीनेटर चालूपपेक ने अपने संदेश में कहा ष्हालांकि वज्रह्रदय बीजिंग ने तिब्बत के पंचेन लामा को तिब्बती लोगों के दिलोदिमाग से मिटा देने की कोशिश की, लेकिन तिब्बत के पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को नहीं भुलाया जाएगा।”
इतालवी सांसदों ने चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों की अवहेलना जारी रखने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। सीनेटर रॉबर्टो रिम्पी और चैम्बर ऑफ डेप्युटी के सदस्य तथा तिब्बत के लिए इतालवी अंतर-संसदीय समूह के समन्वयक श्री लुसियानो नोबिली, चैम्बर ऑफ डेप्युटीज के सदस्य श्री मटेइ लुइगी बिएन्ची और एंटोनेला इंकोरी ने चीनी अधिकारियों से कहा कि वे तुरंत पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा की कुशलता और उनके ठिकाने के बारे में खुलासा करें और तिब्बतियों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के का सम्मान करे। साथ ही उन्हें बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के अपने स्वयं के धार्मिक प्रमुखों का चयन करने का अधिकार दे। सांसदों ने आगे जोर देकर कहा कि चीन ने पिछले छह दशकों से तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का दमन किया है ताकि धार्मिक संस्थानों को “तिब्बतियों पर नियंत्रण हासिल करने का साधन” बनाया जा सके।
इसके अतिरिक्त, सीनेटर रॉबर्टो रैम्पी, श्री लुसियानो नोबिली और श्री माटेओ लुइगी बियान्ची ने भी चीन द्वारा पंचेन लामा के गायब करने वाले वीडियो संदेशों को रिकॉर्ड किया जिसमें इस कुकृत्य को “दुनिया के सबसे भयानक मानव अधिकारों के अपराधों में से एक” के रूप बयान किया गया। वह “एक बहुत गंभीर कहानी” है जिसमें से अभी भी खून बह रहा है और जो सभी नागरिक और लोकतांत्रिक कानूनों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि चीन की विश्वसनीयता इस समय गंभीर सवालों के दायरे में है।
जर्मन सांसद पंचेन लामा को रिहा करने और परम पावन दलाई लामा और उनके प्रतिनिधियों के साथ गंभीर बातचीत शुरू करने के लिए चीन से किए जा रहे वैश्विक आह्वान में शामिल हुए। इनमें संसद के चार सदस्य जुड़े जो बुंडेस्टाग में जर्मन की चार सबसे बड़ी पार्टियों के लिए मानवाधिकार नीति समिति के प्रवक्ता हैं। श्री माइकल ब्रांड, श्री फ्रैंक श्वाबे, सुश्री गिएड जेन्सेन, और सुश्री मारग्रेट बोस ने एक संयुक्त बयान में कहा कि, “25 साल पहले चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व ने तत्कालीन छह वर्षीय पंचेन लामा, गेधुन चोएक्यी न्यिमा का अपहरण कर लिया था, जिन्हें हम तुरंत रिहा करने की मांग करते हैं।” सांसदों ने चीनी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों को पंचेन लामा से संपर्क करने की अनुमति देने और तिब्बतियों के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह किया। साथ ही तिब्बतियों को अपना धार्मिक गुरु चुनने के अधिकार का सम्मान करने की मांग की।
रिगिकोगु के एस्टोनियाई पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत ने पंचेन लामा और अन्य भिक्षु कैदियों को रिहा करने के लिए अपने आह्वान को दोहराया। इस समूह ने बीजिंग सरकार से तिब्बत के आध्यात्मिक नेता परम पावन 14वें दलाई लामा के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू करने का आग्रह किया। रिगिकोगु के पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत के सदस्यों ने बयान में कहा, “हम सभी स्वतंत्रता-प्रेमी राष्ट्रों और वैश्विक समुदाय से चीन की कम्युनिस्ट सरकार पर आध्यात्मिक तिब्बती कैदियों को रिहा करने, और चीनी शासन द्वारा पूरे क्षेत्र पर धर्म का पालन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालने का आह्वान करते हैं। यह केवल तभी संभव होगा जब ऐसी किसी भी बातचीत्र में निर्वासित तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।”
22 स्लोवाक सांसदों के एक समूह ने, जिसमें संसद के उपाध्यक्ष श्री गेबोर ग्रेंडेल और श्री जुराज ओलीगा शामिल हैं, चीन द्वारा पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के जबरन लापता कर देने की निंदा की। स्लोवाकी संसद के दो उपाध्यक्षों और 20 सांसदों के संयुक्त बयान में पंचेन लामा को उनके पूरे परिवार के साथ और अन्य तिब्बती राजनीतिक कैदियों की तत्काल रिहाई का आह्वान किया गया। इन सांसदों में पीटर ओसुसकी, मिरोस्लाव कोलार, ओन्ड्रेज नोस्टाल, रादोवन कजदा व्लादिमीर मार्किंकोवा, पीटर पोलाक, मिरोस्लाव, जैर्मिला हल्गोवा, एना जेमानोव, डोमिनिक ड्रडुल, क्रिस्टियान एसेकोव्स्की, जुराज क्रुपा, जाना नितनान्स्का, मैरियन विस्कुपी, पीटर उमरज, जेन बेन्किक, एना जेबोरस्का, व्लादिमीर लेडेकिया, रोमा ताबेका और मोनिका कोजेलेवा शामिल थे। सांसदों ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि चीन ने पिछले 25 वर्षों में पंचेन लामा और उनके परिवार के बारे में कोई भी पर्याप्त, संतोषजनक जानकारी नहीं दी है। समूह ने इसे “एक दुखद मील का पत्थर” और अपराध बताया जिसे चीन द्वारा निरंतर किया जा रहा है। यह सतत अपराध न केवल गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार के खिलाफ है बल्कि सभी तिब्बतियों के खिलाफ भी है। सांसदों ने स्लोवाक सरकार, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वे चीन पर गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके पूरे परिवार को रिहा करने के लिए दबाव डालें।
दुनिया भर के राजनीतिक नेताओं के अलावा, कई जाने-माने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सिविल सोसायटी ने, विशेष रूप से ह्यूमन राइट्स वॉच, यूएन वॉच, एमनेस्टी इंटरनेशनल, सोसाइटी फॉर थ्रेटेंड पीपुल्स, द अनरेस्पिरेटेड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन, सिटीजंस पावर इनिशिएटिव फॉर चाइना और फोरम- 2000 ने भी बार बार पंचेन लामा की रिहाई के लिए वैश्विक अपील की है। ह्यूमन राइट्स वॉच की चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने लिखा, “चीनी सरकार को वर्तमान दलाई लामा के साथ ही तिब्बती धर्म, उसके अनुयायियों और उसके वर्तमान नेताओं के प्रति वास्तविक सम्मान दिखाने की आवश्यकता है। इसके बिना, साक्ष्य तो यही हैं कि चीनी अधिकारियों द्वारा अब तक निर्दोष लोगों का अपहरण और सैन्य कवायद के साथ इसके छद्म रूपों को तिब्बत में तिब्बती जनता या धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंतित अन्य लोगों का समर्थन प्राप्त नहीं हो पाएगा।”
यूएन वॉच ने ट्वीट किया, ष्25 साल पहले रू चीन ने छह वर्षीय गेधुन चोएक्यी न्यिमा का अपहरण कर लिया, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे प्रमुख धर्मगुरु और दुनिया के सबसे कम उम्र के राजनीतिक कैदी बन गए। उनके ठिकाने और कुशलता के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
अबः चीन संयुक्त राष्ट्र के उस पैनल में शामिल हो गया है जो जबरन लापता कर दिए गए लोगों के बारे में पता लगाने वाली संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों का चयन करता है।”
एमनेस्टी इंटरनेशनल, चेक रिपब्लिक अपने फेसबुक पेज पर समर्थक पोस्ट करके वैश्विक अभियान में शामिल हो गए और चीन पर दबाव बनाने के लिए चेक गणराज्य के विदेशमंत्री से आग्रह किया है। इसमें कहा गया है कि ष्तिब्बत में मानवाधिकारों को रौंदा नहीं जाना चाहिए और गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके परिवार को रिहा किया जाना चाहिए।”
एक प्रेस विज्ञप्ति में सोसाइटी फॉर थ्रेटेंड पीपुल ने चीनी सरकार से कहा है कि ष्11वें पंचेन लामा के साथ आखिरकार क्या हुआ, इसे घोषित किया जाए।ष् इसने कहा कि चीन सरकार ने “सही पंचेन लामा के बजाय, एक दूसरे पांच वर्षीय बालक ग्याल्त्सेन नोरबू को 11वें पंचेन लामा के रूप में थोप दिया है। जेनोसाइट प्रिवेंशन एंड रिस्पॉस्बलिटी प्रोटेक्शन के जीएफबीवी सलाहकार हैनो शेडलर बताते हैं कि वह बीजिंग में सरकार द्वारा इस बात के कथित सबूत के लिए एक कठपुतली के रूप में उपयोग किया जाता है कि चीन में धर्म मानने की स्वतंत्रता है।”
सिटीजन पॉवर इनिशिएटिव्स फॉर चाइना ने भी एक बयान जारी कर कहा, “हम तिब्बत में चीन की निरंतर उपनिवेशवादी नीति की निंदा करते हैं और तिब्बत के मुद्दे पर चीन का विरोध करने के लिए विश्व के लोकतांत्रिक देशों का आह्वान करते हैं। धार्मिक स्तर पर न तो विश्व के लोकतंत्रों के पास और न ही चीनी राष्ट्र के पास पंचेन लामा या दलाई लामा के उत्तराधिकार के संबंध में फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार है। यह अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध गुरुओं और तिब्बत के लोगों के पास है। चीनी आबादी तो तिब्बती बौद्ध भी नहीं हैं।”
अनरिप्रेजेंटेड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (यूएनपीओ) ने भी अपनी वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित किया और कहा, ष्यह मामला चीन द्वारा मानवाधिकारों और धर्म की स्वतंत्रता पर हमले का सबसे प्रतीकात्मक उदाहरण है और चीन को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जिम्मेदार ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया।”
इसके अलावा, 19 देशों के 159 संगठनों ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र को एक संयुक्त ज्ञापन प्रस्तुत किया है, जिसमें तिब्बत मामले में हस्तक्षेप करने और चीन को पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को छोड़ने के लिए दबाव डालने की मांग की गई है।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की कैबिनेट या काशाग ने आज परम पवित्र 11वें पंचेन लामा को जबरन गायब किए जाने की 25वीं वर्षगांठ पर एक बयान जारी किया। बयान में कहा गया है कि, “एक व्यक्ति के लिए अपने जीवन का एक बड़ा भाग या एक सदी के चैथाई हिस्से को जबरन लापता कर कैद में रखना उसके जीवन के लिए अपूरणीय क्षति है। पंचेन लामा को जबरन गायब कर देना न केवल एक व्यक्ति के प्रति अन्याय है, बल्कि यह साठ लाख तिब्बतियों के साथ अन्याय और उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। इसमें कहा गया है कि “चीन को तिब्बती लोगों की आकांक्षा को पूरा करते हुए चीन में नस्लीय सद्भाव के अपने दावे का सम्मान करना चाहिए। पंचेन लामा के साथ जो हुआ, उसे गलत मान लेना चाहिए और 11वें पंचेन लामा को उनके परिवार के साथ, चडरेल रिनपोछे और अन्यायपूर्ण तरीके से कैद किए गए सभी तिब्बतियों को छोड़ देना चाहिए।
तिब्बत के 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा के 31वें जन्मदिन के साथ-साथ उनको जबरन गायब किए जाने की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर यूरोपीय संसद के 32 सदस्यों ने यूरोपीय संघ को संयुक्त पत्र लिखा, जिसमें यूरोपीय आयोग से चीन पर बिना किसी शर्त के पंचेन लामा को छोड़ने का दबाव डालने का आग्रह किया गया। इसमें कहा गया, “चीन द्वारा मानवाधिकारों के हनन को लेकर उससे निपटने आवश्यकता है, इसलिए हम यूरोपीय आयोग से चीनी सरकार से तिब्बत में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए गेधुन चोएक्यी न्यिमा और उनके माता-पिता और सभी तिब्बती राजनीतिक कैदियों को बिना किसी शर्त के तुरंत रिहा कराने की मांग करते हैं।ष्
पंचेन लामा की रिहाई के लिए इस वैश्विक आह्वान में ऑस्ट्रेलियन पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत ने चीन सरकार को कठोर वीडियो संदेश भेजा, जिसमें उसे तिब्बत में मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन और पंचेन लामा के अधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार ठहराता है।
ऑल-पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत (एपीपीजीटी) के सह-अध्यक्ष सांसद वारेन एन्त्श ने अतीत में तिब्बती राजनीतिक कैदियों से मिलने का अपना अनुभव बताया कि किस तरह उस दौरान उन्हें तिब्बती लोगों को होने वाली पीड़ा के बारे में बहुत कुछ पता चला।
उन्होंने कहा कि पंचेन लामा की कहानी तिब्बती लोगों की धार्मिक परंपरा में अवैध हस्तक्षेप के अलावा तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का सबसे सटीक उदाहरण है।
उन्होंने कहा “तिब्बत के पंचेन लामा को जबरन गायब किए जाने की 25वीं वर्षगांठ पर मैं चीन सरकार से उनको मुक्त करने का आह्वान करता हूं।”
पार्लियामेंटरी तिब्बत फ्रेंडशिप ग्रुप की श्रम सह अध्यक्ष सांसद सुसान टेम्पलमैन ने कहा कि चीन में तिब्बतियों जैसे धार्मिक-नस्लीय अल्पसंख्यकों को शामिल करके रखने जैसे मामलों में उनकी पार्टी सभी लोगों के शांति और स्वतंत्रता के अधिकारों को अक्षुण्ण रखने में विश्वास करती है। उन्होंने कहा, “दुनिया दलाई लामा के बारे में जानती है, लेकिन 31 वर्षीय पंचेन लामा के बारे में इतना नहीं जानती है क्योंकि उन्हें पिछले 25 वर्षों से चीन द्वारा जेल में बंदी बनाकर रखा गया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि 25 साल की कैद किसी भी व्यक्ति के लिए अन्याय है, खासकर तब जब उसकी “खुद की कोई गलती” न हो। उन्होंने पंचेन लामा को मुक्त करने में मदद के लिए ऑस्ट्रेलिया तिब्बत परिषद के अभियान को अपने समर्थन की घोषणा भी की।
ऑस्ट्रेलियन ग्रीन्स के उपनेता, ऑस्ट्रेलियन सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत के सदस्य और सीनेटर निक मैककिम ने कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया द्वारा अनुभव किए गए संकट की तुलना में राजनीतिक कैदियों की दमनकारी स्थितियों पर प्रकाश डाला। यह शब्द उनके लिए हैं जिनकी इस स्थिति से बाहर आने की आशा है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, राजनीतिक कैदियों को बाहर आने की ष्कोई उम्मीद नहीं हैष् और उन्हें हमेशा के लिए आजादी से हाथ धोना पड़ रहा है। विशेष रूप से पंचेन लामा के मामले में, जो 25 वर्षों से चीनी सरकार द्वारा लॉकडाउन कर दिए गए हैं। यह केवल पंचेन लामा के लिए ही नहीं बल्कि सभी तिब्बती लोगों के लिए कठोर अन्याय और बड़ी त्रासदी है।
उन्होंने कहा, “पंचेन लामा की कहानी चीन सरकार के तिब्बत पर कब्जे और आक्रमण की क्रूर वास्तविकता को उजागर करती है।ष् उन्होंने फ्रीडम हाउस इंडेक्स रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने लगातार पिछले पांच वर्षों से तिब्बत को केवल सीरिया से ऊपर दुनिया के दूसरे सबसे कम मुक्त देश के रूप में घोषित कर रखा है।
उन्होंने अपने संबोधन का अंत करते हुए कहा, ष्अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पता नहीं है कि तिब्बत में क्या हो रहा है, क्योंकि चीनी सरकार ने तिब्बत को शेष दुनिया से काट दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाह से उसे दूर कर रखा है। चीनी सरकार आज भी तिब्बती संस्कृति, उनकी जीवन पद्धति और तिब्बत के सुंदर वातावरण को नष्ट करने का काम जारी रखे हुए है। हमें तिब्बत के लिए खड़े होने की जरूरत है और हमें पंचेन लामा के लिए खड़े होने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से इन मुद्दों को सार्वजनिक रूप से उठाने और इन मुद्दों को सीधे चीनी सरकार के साथ उठाने का आग्रह किया।”
11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को जबरन गायब किए जाने की 25वीं वर्षगांठ पर कनाडा के 21 संसद सदस्यों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें पंचेन लामा और उनके पूरे परिवार की तत्काल रिहाई के लिए और तिब्बत में तिब्बतियों के खिलाफ और चीन के अन्य क्षेत्रों में मानव अधिकारों के उल्लंघन का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र तथ्यान्वेषण मिशन गठित करने के लिए कनाडा के समर्थन का आह्वान किया गया है।
पत्र में लामाओं के पुनर्जन्म को मान्यता देने की पवित्र बौद्ध परंपराओं में चीन के हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला गया है। इसमें आशंका व्यक्त की गई है कि यह भविष्य के दलाई लामाओं के पुनर्जन्म की पहचान करने की प्रक्रिया में संभावित हस्तक्षेप के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करता है।
दक्षिण अफ्रीका के इंकाथा फ्रीडम पार्टी के एमपीएम अध्यक्ष वी.एफ. ह्लाबिसा ने भी 11वें पंचेन लामा के जबरन गायब किए जाने की 25वीं वर्षगांठ पर बयान जारी किया।
बयान में कहा गया है, ष्रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका के कार्यकर्ताओं को जबरन गायब किए जाने का रहा, लेकिन यह बात फिर से कभी नहीं सुना गया। इस बात ने मानवाधिकारों के प्रति इस घोर अत्याचार के प्रति हमारी संवेदनशीलता को बढ़ाया है।ष्
इसलिए इंकाथा फ्रीडम पार्टी तिब्बत के गेधुन चोएक्यी न्यिमा की रिहाई के लिए दुनिया भर में मानवाधिकार संगठनों द्वारा निरंतर किए जा रहे आह्वान का समर्थन करती है, जिन्हें परम पावन दलाई लामा ने मई 1995 में 11वें पंचेन लामा के रूप में पहचान की थी।