न्यूयार्क। बीजिंग सिं्प्रग के पूर्व मुख्य संपादक श्री हू पिंग, चीनी लोकतांत्रिक नेता श्री चेन पोकॉन्ग समेत अनेक चीनी विद्वानों और नेताओं ने चीनी आउटरीच प्रोग्राम ‘न्यूयॉर्क चीन-तिब्बत डायलॉग- 2019’ में भाग लिया। इसका आयोजन वाशिंगटन डीसी स्थित तिब्बत कार्यालय द्वारा किया गया था।
इस कार्यक्रम में बीजिंग सिं्प्रग के पूर्व मुख्य संपादक श्री हू पिंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले कई प्रमुख चीनी विद्वानों और नेताओं की ओर से जारी संयुक्त बयान को पढ़ा। इसमें साफ तौर पर अगले दलाई लामा के पुनर्जन्म में चीनी सरकार के हस्तक्षेप को खारिज किया गया और यह कहा गया कि इसपर केवल तिब्बती लोगों का अधिकार है। इसमें आगे कहा गया है-
- दलाई लामा का पुनर्जन्म विशुद्ध रूप से एक तिब्बती धार्मिक मामला है और इस पर एकमात्र वैध अधिकार स्वयं दलाई लामा का है और सीसीपी को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। तिब्बती बौद्ध धर्म के इतिहास में लामाओं को अपना उत्तराधिकारी चुनने की जीवंत परंपरा रही है। दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी को नामित करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। किं्वग राजवंश के दौरान मंचू सम्राटों ने स्वर्ण कलश के माध्यम से दलाई लामा के पुनर्जन्म में हस्तक्षेप किया। लेकिन यह अपवाद स्वरूप एकमात्र 11वें दलाई लामा के समय ही हुआ जब वह स्वर्णिम प्रक्रिया से गुजरे। बाद के दलाई लामाओं के पुनर्जन्म को तिब्बती बौद्ध धर्म के रीति-रिवाजों के माध्यम से ही मान्यता दी गई और उन्होंने स्वर्ण कलश व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया। 14वें दलाई लामा की खोज भी इसी तरह स्वर्णिम शासन से गुजरे बिना ही की गई थी। जैसा कि दलाई लामा ने पहले कहा था, ‘सीसीपी नास्तिकता में विश्वास करती है और धर्मों की आलोचना करती है, विशेष रूप से बौद्ध धर्म को अज्ञानता, पिछड़ेपन का संकेत मानती है और हमेशा मुझ पर शैतान होने का आरोप लगाती है। उसके लिए तो यह उचित होता कि वे शैतान को पुनर्जन्म की अनुमति देने के लिए ’नहीं’ कहते। लेकिन अब सीसीपी खुद के लिए शैतान के पुनर्जन्म के लिए संघर्ष कर रहा है। यह हास्यास्पद है, बेतुकी बात है। सीसीपी इस मामले में परम पावन दलाई लामा के अधिकार को ध्यान में रखकर पुनर्जन्म को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। यह तिब्बत के भीतर और दुनिया भर के तिब्बती बौद्धों के अधिकार का क्रूर उल्लंघन है। यह गैरकानूनी और अमान्य है।
- हम तिब्बतियों के मौलिक मानवाधिकारों और स्वतंत्रता, उनकी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, धार्मिक स्वतंत्रता और उनके प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की लड़ाई का पुरजोर समर्थन करते हैं।
- हम परम पावन के ‘मध्यम मार्ग दृष्टिकोण’ के प्रस्ताव का दृढता से समर्थन करते हैं। यह तिब्बती समुदाय और चीनी लोगों दोनों के लिए फायदेमंद है।
- हम तिब्बत-चीनी मित्रता को बढ़ावा देने की दलाई लामा की इच्छा का सम्मान और समर्थन करते हैं। तिब्बत-चीन के बीच लंबा इतिहास रहा है और हम तिब्बती-चीनी मित्रता को मजबूत करने के इच्छुक हैं।
वक्तव्य पर हस्ताक्षर और समर्थन करनेवालों में बीजिंग सिं्प्रग के पूर्व मुख्य संपादक श्री हू पिंग, चीनी लोकतांत्रिक नेताओं श्री चेन पोकॉन्ग, वांग दान, वू एर काई शी, वांग जूनातो और कई संगठनों जैसे बीजिंग सिं्प्रग मैगजीन, चाइना डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी एलायंस, चाइना डेमोक्रेसी पार्टी नेशनल कमेटी, नेशनल जॉइंट हेडक्वार्टर ऑफ़ चाइना डेमोक्रेसी पार्टी, इंटरनेशनल हान-तिब्बत फ्रेंडशिप, और चाइना एसोसिएशन ऑफ़ पॉलिटिकल असाइलम सीकर्स शामिल हैं।
प्रमुख राजनीतिक टिप्पणीकार और चीनी लोकतांत्रिक नेता श्री चेन पोकॉन्ग ने तिब्बत नीति के प्रतिनिधि कार्यालय को उन्हें साथ लाने के लिए धन्यवाद दिया और हाल ही में कांग्रेस की विदेश मंत्रालय से संबंधित समिति में तिब्बती पॉलिसी एंड सपोर्ट बिल के सुचारू रूप से पारित कराने में सीटीए के प्रयास की सराहना की।
श्री चेन ने सीसीपी की असफल अर्थव्यवस्था और विदेशी कूटनीति, हांगकांग में सामाजिक अशांति और चीन के कई हिस्सों में व्याप्त समस्याओं पर अपने विचार प्रकट किए।
हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधि ने भी हांगकांग के लोगों की ओर से बात रखी और अपने दृष्टिकोण, दृढ़ संकल्प और लक्ष्य का इजहार किया।
इस कार्यक्रम में रिप्रेजेंटेटिव न्गोदुप त्सेरिंग और चीनी संपर्क अधिकारी, त्सुल्ट्रिम ग्यात्सो ने भाग लिया। उनके साथ तिब्बती एसोसिएशन न्यूयार्क और न्यूजर्सी के अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य भी उपस्थित रहे। इनके अलावा आरटीवाईसी के अध्यक्ष और पूर्व चीनी संपर्क अधिकारी कुंगा ताशी भी उपस्थित थे।
रिप्रेजेंटेटिव त्सेरिंग ने चीनी कम्युनिस्टों के अत्याचार के सभी पीड़ितों- तिब्बतियों, उइगरों और हॉगकॉग के निवासियों के लिए एक साथ लड़ने की बात की। साथ ही दुनिया को नियंत्रित करने के सीसीपी के भयावह डिजाइन पर अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के मद्देनजर अपने संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता के बारे में बात की गई। उन्होंने मध्यम मार्ग नीति के बारे में विस्तार से बताया, जिसे सीटीए पिछले 4 दशकों से अधिक समय से चलाता आ रहा है। एबीसी रिपोर्ट के अनुसार, चीन में फुडन विश्वविद्यालय के मामले को देखते हुए कहा जा सकता है कि चीन में सीसीपी को उसकी शक्ति और अधिकार के अलावा कोई अन्य हित नहीं है। यहां विचार की स्वतंत्रता को शी के विचारों के प्रति निष्ठा में तब्दील कर दिया गया है। उन्होंने उपस्थित लोगों से चीन-तिब्बत मैत्री चक्र के विस्तार करने का भी आग्रह किया।