एक तिब्बती एडवोकेसी समूह ने मंगलवार को कहा कि उत्तर-पश्चिमी चीन के गांसु प्रांत के अधिकारियों ने सोशल-मीडिया मैसेजिंग प्लेटफॉर्म वीचैट पर राजनीतिक रूप से संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में पारंपरिक धार्मिक कला के चित्रकार सहित तीन तिब्बतियों को हिरासत में लिया है।
तीनों को सांगचू (चीनी, शियाह) काउंटी में गांसु के कन्लहो (गानन) तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में आध्यात्मिक नेता दलाई को 10 दिसंबर 1989 को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की 30वीं वर्षगांठ से कुछ ही दिन पहले हिरासत में ले लिया गया।
क्षेत्र में संपर्क रखनेवाले निर्वासित तिब्बती स्रोतों का हवाला देते हुए वाशिंगटन डीसी स्थित इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत ने हिरासत में लिए गए लोगों में से दो की पहचान की है। इनमें से एक उम्र के तीसरे दशक के मध्य में चल रहे त्सेगन और चित्रकार थंगका लुबूम दोरजी हैं। आईसीटी ने कहा कि तीसरे व्यक्ति का नाम अभी भी अज्ञात है।
आईसीटी के अनुसार, इस साल की शुरुआत में कन्लहो में चीनी सरकारी विभागों द्वारा प्रसारित नोटिसों में वीचैट पर साझा किए गए संदेशों की करीब से पुलिस जांच की धमकी दी गई थी और चैट समूह के सदस्यों को ‘अवैध सूचना’ या ‘अफवाह फैलाने’ को लेकर चेतावनी दी गई थी।
आईसीटी ने कहा, ‘चीनी सरकार द्वारा अस्पष्ट भाषा का इस्तेमाल तिब्बती सांस्कृतिक या धार्मिक पहचान की लगभग किसी भी अभिव्यक्ति को ’अपराध’ के रूप में परिभाषित करने के लिए चीनी अधिकारियों द्वारा किया जा सकता है।‘
चीनी नेताओं द्वारा एक खतरनाक अलगाववादी के रूप में घोषित किए जाने के बावजूद दलाई लामा 1959 में चीनी शासन के खिलाफ राष्ट्रीय विद्रोह के असफल होने के बीच भारत में निर्वासन में भाग गए, और दलाई लामा की तस्वीर या उपदेश या उनके जन्मदिन के सार्वजनिक समारोहों में शिरकत करनेवालों को अतीत में कठोरता से दंडित किया जाता रहा है।