उदयपुर किरण
धर्मशाला, 15 जून (उदयपुर किरण)! भारत-तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि तिब्बत की स्वतत्रंता के मुद्दे का मेरा रिश्ता पिछले 20 सालों से हैं। तिब्बतियों को उनका ल्हॉसा एक दिन जरूर मिलेगा। तिब्बतियों की तिब्बत की आजादी को लेकर चल रही जंग एक दिन अपने मुकाम तक जरूर पंहुचेगी।
मैकलोड़गंज में शुरू हुए दो दिवसीय छठे अखिल भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि तिब्बत समर्थक समूहों को अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भारत ने आंतकवाद के विरूद्ध आवाज बुलंद की तो उसका 126 देशों ने समर्थन किया है। भारत आज विश्व की 6 आर्थिक शक्तियों में जुड़ गया है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों के राष्ट्रीय संयोजक आर.के. खरीमे ने कहा की चीन ने तिब्बत की आवाज को हमेशा दबाया है। तिब्बत की आजादी भारत के सहयोग पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग अपने देश की आजादी के लिए संर्घष कर रहें हैं।
इस मौके पर भारत-तिब्बत मैत्री संघ के राष्ट्रीय महासचिव डा. आंनद कुमार ने कहा कि आज का सम्मेलन कर्मयोगियों का सम्मेलन है। तिब्बत व चीन की राष्ट्रीयता का कोई मेल नही हैं।
उन्होंने कहा कि एक दिन आयेगा जब तिब्बत का प्रधानमंत्री तिब्बत में भारतीयों का स्वागत करेगें. धर्मगुरू दलाईलामा ने शुरू से ही वार्ता के माध्यम से तिब्बत की स्वायत्ता से जुड़े मसले को सुलझाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी में भारत सबसे प्रबल सहयोगी साबित हो सकता है।
वहीं निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांग्ये की अध्यक्षता में आयोजित हुए इस दो दिवसीय महासम्मेलन का शुभारंभ भारतीय एंव तिब्बती राष्ट्रगॉन से किया गया। इस सम्मेलन मे भारत के विभिन्न भागों से करीब 200 तिब्बत समर्थक समूहों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
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