तिब्बत.नेट, 19 मई, 2019
औरंगाबाद (महाराष्ट्र)। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष डॉ लोबसांग सांगेय ने कल 18 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि, ‘और सभी चीजों के अलावा दुनिया को भारत का महानतम अवदान बौद्ध धर्म है।‘
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में लोकतंत्र महाविहार भिक्खु प्रशिक्षण केंद्र के निमंत्रण पर बुद्ध की 50 फीट की प्रतिमा का अनावरण करने आए राष्ट्रपति डॉ. सांगेय ने इस कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। क्षेत्र में सबसे ऊँची कही जानेवाली इस बुद्ध प्रतिमा के भव्य अनावरण में दस हजार से अधिक भारतीय बौद्धों ने भाग लिया। इस इलाके की एक बड़ी स्थानीय आबादी बौद्ध आस्था का पालन करती है।
हिंदी में बोलते हुए, डॉ सांगेय ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में बौद्धों से मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि तिब्बत और भारत एक गहरी और अद्वितीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा हैं। उन्होंने भारत सहित दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अध्ययन में दिखाई जा रही बढ़ती रुचि की भी सराहना की।
डॉ सांगेय ने कहा, “ऐसे समय में जब भारत अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निर्यात को अधिक से अधिक बढ़ाने पर इतना जोर दे रहा है, भारत की घरेलू आध्यात्मिक परंपरा बौद्ध धर्म एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें एक वैश्विक भारतीय ब्रांड के लिए निवेश किया जा सकता है। वास्तव में, बौद्ध धर्म न केवल दुनिया भर में भक्ति के संदर्भ में विकसित हुआ है, बल्कि सकारात्मक प्रभावों को लाने और अधिक शांतिपूर्ण समाज बनाने में भी एक कारक साबित हुआ है।‘
डॉ सांगेय ने भारतीय जाति व्यवस्था में निचले पायदान पर रही जातियों के उत्थान और उन्हें सशक्त बनाने के प्रयासों के लिए डॉ. अंबेडकर के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की और देश में नव-बौद्धों में बौद्ध अध्ययन में नए सिरे से रुचि जगाने के लिए उनकी सराहना की।
डॉ सांगेय ने चीन, तिब्बत में बौद्ध धर्म को नष्ट करने और निर्वासित तिब्बतियों द्वारा उन्हें पुनर्जीवित करने में चीन से किए जा रहे संघर्षों और इसमें प्राप्त उल्लेखनीय सफलता के संदर्भ में भी ध्यान आकर्षित किया।
“तिब्बत में बौद्ध धर्म का सफाया करने के चीन के क्रूर और व्यवस्थित प्रयास के बावजूद, यह सफल नहीं हुआ और बौद्ध धर्म को अब परमपावन दलाई लामा के मार्गदर्शन में निर्वासित और हिमालय क्षेत्र में तिब्बतियों द्वारा बहुत अच्छी तरह से संरक्षित किया जा रहा है। वास्तव में, चीन अब 30 करोड़ से अधिक बौद्ध मतांबलंवियों वाला सबसे बड़ा बौद्ध देश बन गया है।‘
श्रोताओं की करतल ध्वनि के बीच डॉ. सांगेय ने कहा, ‘बौद्ध धर्म 2600 साल पहले अस्तित्व में आया था और अब तक की अपनी इतनी लंबी यात्रा में इसने कितनी ही नकारात्मक ताकतों का सामना किया है और अभी तक यह समय की कसौटी पर खड़ा है और दुनिया भर में फैल रहा है। भारतीयों और तिब्बतियों ने एक समान आध्यात्मिक परंपरा का पालन किया है। इन्हें अब बुद्ध की शांति और करुणा की शिक्षाओं को दुनिया भर में फैलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही तालियों के बीच सांगेय ने अपने भाषण का समापन किया।
लोकुत्तर महाविहार भिक्खु प्रशिक्षण केंद्र आदरणीय बोधिपालो महाथेरो के नेतृत्व में है और महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद से लगभग 14 किलोमीटर दूर चौका गांव में स्थित है। पहाड़ की चट्टानों को काटकर बनाई गई अजंता की लगभग 30 गुफाएं प्राचीन बौद्ध स्मारक गुफाओं का एक समूह है जो औरंगाबाद में ही स्थित है और दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक प्रमुख तीर्थ आकर्षण है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 84 लाख बौद्ध हैं और महाराष्ट्र में कुल जनसंख्या का 5.81% बौद्धों की संख्या है जो किसी राज्य में सबसे अधिक है।