तिब्बत.नेट, 10 अक्तूबर, 2018
जेनेवा। वैश्विक आवधिक समीक्षा (यूपीआर) के दूसरे चरण में किए गए वादे को चीन द्वारा पूरा न करने और तिब्बत में खराब होती मानवाधिकार की स्थिति ने आज (10 अक्तूबर) दोपहर यूपीआर के पूर्व-सत्र में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
चीन पर केंद्रित पूर्व सत्र में तिब्बत एडवोकेसी कोएलिशन, विश्व उग्युर कांग्रेस, विश्व हांगकांग कंफेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस, हांगकांग यूपीआर कोएलिशन, पीईएन इंटरनेशनल और विद्वान वक्ताओं ने इस जोखिम को इंगित किया।
तिब्बत एडवोकेसी कोएलिशन का प्रतिनिधित्व करते हुए पद्मा डॉल्मा ने तिब्बत में मानवाधिकार की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला। डॉल्मा ने कहा कि तिब्बतियों की कड़ी निगरानी और आगे उनपर नियंत्रण के लिए चीन ने “नए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन“ सहित तिब्बत में अपनी कठोर नीतियों को तेज कर दिया है। तिब्बत में चीन की अप्रत्याशित दमनकारी नीतियों पर जोर देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत में चीनी नीतियां पूरी तरह से नियंत्रण पर आधारित हैं और वे तिब्बती लोगों के अधिकारों की रक्षा के बजाय उसका उल्लंघन करती हैं।
डॉल्मा ने कहा, “पिछले यूपीआर में चीन ने तिब्बती और उग्युर क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त समेत अधिकारियों की यात्रा की व्यवस्था करने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया था। लेकिन चीन अपने वादे के “कार्यान्वयन“ में विफल रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे “कड़ा रुख अख्तियार करें“ और यूपीआर के तीसरे चरण में चीन के साथ तिब्बत संबंधी विशिष्ट सिफारिशें शामिल करें। यूपीआर का तीसरा दौर अगले महीने की शुरुआत में होने वाला है।
तिब्बत एडवोकेसी कोएलिशन ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आने वाले यूपीआर में चीन के साथ तिब्बत संबंधी निम्नलिखित विशिष्ट सिफारिशों पर विचार करने का प्रस्ताव दिया है:
तिब्बती मानवाधिकार रक्षकों पर “राज्य सुरक्षा को खतरे में डालनेवाला बताकर“ और देश की सुरक्षा से जुड़े आरोप लगाने के साथ ही धमकी, गिरफ्तारी, मनमानी हिरासत, गायब कर देने और यातना देने जैसी आपराधिक गतिविधियों से उन्हें मुक्त कराया जाए।
तिब्बती खानाबदोशों और अन्य ग्रामीण निवासियों को उनके पारंपरिक निवास भूमि से उनकी इच्छा के बगैर स्थानांतरण या पुनर्वास करने के कार्यक्रमों को तुरंत रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करें और सभी उपलब्ध विकल्पों की जांच और मूल्यांकन करने के लिए प्रभावित समुदायों के साथ सार्थक विचार विमर्श किया जाए।
तिब्बत के भीतर तिब्बतियों के आवागमन की स्वतंत्रता पर सैन्य और पुलिस द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को तुरंत हटाया जाए।
आईसीईएससीआर के अनुच्छेद 1 के तहत तिब्बतियों को आत्मनिर्णय के अधिकार की गारंटी देने के लिए ठोस प्रावधान करें।
आज से शुरू होकर सप्ताह भर चलनेवाले सत्र की पूरी रूपरेखा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए तैयार की गई है, जिसकी अगले महीने की शुरुआत में समीक्षा की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के जिन सदस्य देशों की समीक्षा की जाएगी, उनमें बेलीज, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, चाड, चीन, कांगो (गणराज्य) जॉर्डन, मलेशिया, माल्टा, मॉरीशस, मेक्सिको, मोनाको, नाइजीरिया, सऊदी अरब और सेनेगल शामिल हैं।