तिब्बत.नेट, 10 अक्तूबर, 2018
प्राग। इस साल सितंबर में तिब्बत के लिए चेक संसदीय समूह का गठन हो गया। आधिकारिक तौर पर चेक गणराज्य की संसद के सीनेट में सांसद दाना बलकारोवा (पाइरेट पार्टी) और मरेक बेंडा (ओडीएस) की पहल पर 9 अक्तूबर को इस समूह ने अपनी गतिविधियों की शुरुआत की। निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति डॉ लोबसांग सांगेय ने इसकी स्थापना की अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित किया। इसकी शुरू करने का अवसर फोरम 2000 सम्मेलन के साथ रखा गया था, जिसमें राष्ट्रपति सांगेय भी संबोधित करनेवालों में शामिल थे।
तिब्बत के लिए चेक संसदीय समूह का उद्देश्य तिब्बती मुद्दे के संभावित समाधानों की खोज करना है और चीजों को इस बात की याद दिलाते रहना है कि वार्तालाप में चुप हो जाना अक्सर प्रतिकूल साबित होता है।
चेक गणराज्य के इस तिब्बत समर्थक समूह में 50 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें चेक संसद के दोनों सदनों- चेंबर ऑफ डेप्युटीज और सीनेट के सदस्य हैं। यह समूह संसद के अंदर तिब्बत समर्थक समूहों में सबसे बड़ा है। इसके साथ ही यह यूरोप के सभी तिब्बत समर्थक संसदीय समूहों में सबसे बड़ा संसदीय समूह भी है।
लॉन्च समारोह में समूह ने राष्ट्रपति सांगेय के लिए उच्च स्तर की आशा व्यक्त की और तिब्बती लोगों के लिए वास्तविक स्वायत्तता हासिल करने के प्रति समर्थन दिया। उन्होंने तिब्बतियों से अपनी स्वायत्तता और संस्कृति के लिए लड़ने का आग्रह किया और कहा कि यह अपने देश के उदाहरण का हवाला देते हुए करने से बहुत ही बेहतर होगा।
राष्ट्रपति सांगेय ने तिब्बत के लिए संसदीय समूह की स्थापना के लिए यूरोपीय संसदों के सदस्यों (एमईपी) और सीनेटरों का धन्यवाद किया और कहा कि इस समूह का निर्माण सभी तिब्बतियों, विशेष रूप से तिब्बत के अंदर रहनेवाले तिब्बतियों को आशा का संदेश देता है। उन्होंने तिब्बत में मानवाधिकार की गंभीर स्थिति पर दिल से चिंता व्यक्त करने के लिए चेक संसद सदस्यों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और चीनी सरकार से तिब्बत के मुद्दे को शांतिपूर्वक हल करने के लिए चैदहवें परमपावन दलाई लामा के दूतों के साथ बातचीत को बहाल करने के लिए कहने का आग्रह किया।
इस वर्ष तिब्बत पर चीनी कब्ज़े की 60 साल के रूप में निर्वासित तिब्बती याद कर रहे हैं। राष्ट्रपति डॉ सांगेय ने समूह के समक्ष तिब्बत में चल रहे राजनीतिक दमन, सांस्कृतिक संमिश्रण, आर्थिक विषमता, पर्यावरणीय विनाश और तिब्बत के अंदर सामाजिक भेदभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2016/17 में जारी फ्रीडम हाउस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसने सीरिया के बाद सबसे कम आजादी का उपभोग कर रहे देशों में तिब्बत को रखा और सीमाओं से ऊपर उठकर रिपोर्ट करनेवाले रिपोर्टियर के लिए तिब्बत को उत्तर कोरिया की तुलना में अधिक कठिन होने के रूप में सूचीबद्ध किया है।
राष्ट्रपति डॉ सांगेय ने चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद को दुनिया के लिए शी जिनपिंग के नए मंत्र के रूप में व्याख्यायित किया और चेतावनी दी कि या तो आप चीन को बदल डालो नहीं तो चीन आपको बदल सकता है। उन्होंने आगे दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों पर चीनी सरकार के भारी दबाव की ओर इशारा किया जहां चीनी सरकार के दबाव के कारण उन्हें कानून विश्वविद्यालय में तिब्बत पर बात करने से रोक दिया गया। ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों की अकादमिक आजादी में चीनी हस्तक्षेप, चीनी सरकार के प्रति संवेदनशील मुद्दों पर बोलने के एवज में वहां के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर गोलीबारी से भी स्पष्ट है।
राष्ट्रपति सांगेय ने कहा, “इस तरह के प्रयास संकेत है और खुद तिब्बत के अंदर गंभीर दमन की बात करते हैं। राष्ट्रपति सांगेय ने समझाया कि परमपावन दलाई लामा और तिब्बतियों द्वारा प्रस्तावित मध्यम मार्ग दृष्टिकोण चीनी संविधान के ढांचे के भीतर तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहता है।“
“वार्ता और अहिंसा के आधार पर दृष्टिकोण तय करना उचित मॉडरेट है और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती नहीं देता है। हालांकि, सकारात्मक रूप से इस प्रस्ताव का जवाब देने के बजाय चीनी सरकार ने इसकी गलत व्याख्या की है, जिसके परिणामस्वरूप गलतफहमी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि “तिब्बत का समर्थन अहिंसा, संवाद, स्वतंत्रता, मानवाधिकार और लोकतंत्र का समर्थन कर रहा है।“
राष्ट्रपति डॉ लोबसांग सांगेय ने डेमोक्रेसी पैनल चर्चा के एक समारोह में भी भाग लिया जो फोरम 2000 सम्मेलन का एक संबद्ध कार्यक्रम है। पैनल को मार्टिन बर्स्किक, चेक्स समर्थन तिब्बत द्वारा सह आयोजन किया गया था। पैनल में चर्चा का विषय था, “क्या लोकतांत्रिक दुनिया तिब्बत मामले में सफल हो पाएगी?’ चर्चा के दौरान राष्ट्रपति सांगेय ने टिप्पणी की कि एक तरफ यूरोप लोकतंत्र, एकजुटता, मानवाधिकार, अहिंसा और शांति के लिए है, फिर भी तिब्बत को अपने एजेंडे से उसने हटा दिया है।
“तिब्बतियों ने आज तक अहिंसा के मार्ग का अनुसरण किया है और तिब्बत के मुद्दे को अपने चीन के साथ शांतिपूर्वक हल करने के लिए बातचीत के लिए प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया है। यूरोपीय देशों का कहना है कि वे लोकतंत्र, अहिंसा, शांति और मानवाधिकारों के लिए हैं। यदि वे हैं तो उन्हें तिब्बत के लिए खड़ा होना चाहिए क्योंकि आप यह नहीं कह सकते कि मैं लोकतंत्र के लिए हूं लेकिन तिब्बत के लिए नहीं। तो तिब्बत आपके दर्शन, आपके संविधान और आपके विवेक की एक परीक्षा का विषय है। यूरोपीय देशों को अपना इतिहास नहीं भूलना चाहिए। हम आपके क्रांति में विश्वास करते थे, हमने इसकी सदस्यता ली और हम अभी भी इसमें हैं। डॉ सांगेय ने कहा, “यूरोपीय देशों को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए।“
बाद में राष्ट्रपति सांगेय ने चेक गणराज्य में सबसे बड़ा टेलीविजन नेटवर्क- चेक नेशनल टेलीविजन- को साक्षात्कार दिया और मीडिया के साथ बातचीत भी की। डॉ सांगेय ने तिब्बत सहायता समूह के सदस्यों से भी मुलाकात की और तिब्बत मुद्दे पर उनके लंबे समय तक समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।