तिब्बत.नेट, 15 अक्तूबर, 2018
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बड़े पैमाने पर आयोजित ‘थैंक यू हिमाचल प्रदेश’ समारोह के अवसर पर परमपावन दलाई लामा ने राज्य सरकार और वहां के लोगों को बधाई दी और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। सात मिनट के वीडियो संदेश में परम पावन ने खुद को हिमाचल प्रदेश के स्वाभिमानी नागरिक और समृद्ध भारतीय परंपरा के छात्र के रूप में व्यक्त किया। परम पावन ने कहा कि जैसा कि उन्होंने पाया, भारत एक समृद्ध सभ्यता का इतिहास वाला दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र रहा है, जिसे वह दुनिया को बताना चाहते हैं। प्राचीन भारतीय परंपरा के छात्र के रूप में परम पावन ने देश में और खासकर हिमाचल प्रदेश में सरकारी कॉलेज और तिब्बती बौद्ध केंद्रों के बीच अकादमिक सहयोग के माध्यम से ज्ञान को पुनर्जीवित करने में अपना योगदान देने की पेशकश की। पूर्व और वर्तमान राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए परम पावन ने दिल से कृतज्ञता ज्ञापित की और देश की सफलता और सेवा के लिए प्रार्थना की।
नीचे उनके पूरे संदेश का हिन्दी अनुवाद दिया जा रहा है।
सम्मानित राज्यपाल, मुख्यमंत्री और भाइयो एवं बहनो, मैं हमेशा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को अपना राज्यपाल और मुख्यमंत्री मानता हूं क्योंकि लगभग 59 वर्षों से मैं यहां रहता आया हूं। 1960 की गर्मियों में मैं यहां पहुंचा, इसलिए तब से मैं खुद को इस राज्य का नागरिक मानता हूं।
पिछले कुछ दशकों में मैंने कांगड़ा जिले में रहने का वास्तविक आनंद लिया है। हाल के कुछ दिनों में मैंने विभिन्न स्थानों और देशों के दौरे के परिणामस्वरूप जो पाया है और फिर वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के साथ चर्चा के माध्यम से मुझे एहसास हुआ कि ’आज की दुनिया किसी तरह के भावनात्मक संकट से गुज़र रही है।’ उस स्थिति में मुझे लगता है कि हमारी भावनाओं से निपटने के तरीके के बारे में प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत ही प्रासंगिक है।
पिछले कुछ दशकों में मैंने हमेशा मानवता के लिए योगदान करने की कोशिश की है। सबसे पहले देश के भीतर। जहां तक भारत का संबंध है, यहां एकमात्र सवाल पुनरुत्थान का है क्योंकि यह कोई विदेशी अवधारणा नहीं हैं। जो ज्ञान हमें प्राप्त हुआ है और जो साधना हमारे पास है, वह सब भारत से आया है। इसलिए मुझे लगता है कि इस प्राचीन भारतीय ज्ञान को हमारे दिमाग और भावनाओं के बारे में पुनर्जीवित करना काफी आसान है। तो यहां हिमाचल में ऐतिहासिक रूप से पहले से ही लाहौल और स्पीति क्षेत्रों में कुछ बौद्ध समुदाय हैं। इन क्षेत्रों में लोग अब इस प्राचीन भारतीय ज्ञान का अध्ययन करने के लिए संकल्पित हैं। एक ऐसा संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य पूरे उत्तरी हिमालयी सीमा क्षेत्र में सभी बौद्ध मठों में एक-एक शिक्षा का केंद्र स्था्पित करना है। अब हिमाचल न केवल उस का हिस्सा है बल्कि आप देखते हैं कि इस राज्य में कई तिब्बती शरणार्थी बौद्ध केंद्र हैं।
फिर जैसा कि मुख्यमंत्री जानते हैं, हाल ही में मैंने सरकारी कॉलेज के प्रमुखों से चर्चा की। मैंने उनसे कहा कि समय आ गया है कि आधुनिक भारत में प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित किया जाए। हमें कुछ कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। सबसे पहले कुछ शिक्षक- प्रशिक्षण। यहां धर्मशाला में हम आसानी से व्यवस्था कर सकते हैं और यह इस राज्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना है।
इस राज्य में कई हज़ार तिब्बतियों की तरफ से मैं राज्य सरकार का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं और पिछले कुछ दशकों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के लिए प्रार्थना भी करना चाहता हूं। उनमें से कई अब केवल हमारी याद में हैं। जैसा कि उन्होंने हमारे लिए जबरदस्त समर्थन दिखाया है, मैं हमेशा उन्हें अपनी प्रार्थना में याद करता हूं।
वर्तमान राज्यपाल के साथ-साथ वर्तमान मुख्यमंत्री और अन्य संबंधित मंत्रियों को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं और आपकी सफलता और आपकी महान सेवा के लिए भी मैं प्रार्थना करता हूं। हिमाचल भारत का हिस्सा है। व्यापक रूप से आप इस महान राष्ट्र की इस ग्रह पर लंबे प्राचीन ज्ञान के साथ सबसे अधिक जनसंख्या वाले लोकतांत्रिक देश की आप सेवा कर रहे हैं। मुझे लगता है कि चीनी सभ्यता और मिस्र सभ्यता के बीच भारत की सभ्यता एक बहुत ही परिष्कृत सभ्यता है, इसलिए आपको गर्व महसूस करना चाहिए। मुझे इस प्राचीन ज्ञान के छात्र के रूप में भी गर्व महसूस होता है।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।