दैनिक जागरण, 8 जून, 2016
जागरण संवाददाता, धर्मशाला: निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डाॅ. लोबसांग सांग्ये ने कहा है कि तिब्बत के मियक व अमचौक में खनन रोकने के लिए चीन सरकार कार्रवाई करे। उन्होंने इन क्षेत्रों में खनन से जुड़े परियोजना के अधिकारियों को भी पर्यावरण की नीतियों के तहत कार्य करने के लिए चीन सरकार से इन्हें बाध्य करने की मांग की है। डाॅ. सांग्ये बुधवार को मैक्लोडगंज स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने खनन का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर निर्वासित सरकार के केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की ओर से शह देने के आरोपों को भी नकारा है। आरोप लगाया कि खनन का शंतिपूर्वक विरोध करने वाले तिब्बतीयों को गिरफतार किया जा रहा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीन अधिकृत तिब्बत पर शांति से प्रदर्शन कर रहे तिब्बतियों के खिलाफ चीन प्रशासन की यह कार्रवाई मानवाधिकारों के खिलाफ है।
इस मामले में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की नीति है कि खनन में पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए क्योंकि तिब्बती संस्कृति से जुड़े यहां कई पर्वत व झीलें है। जहां तक इस मामलें में कानूनी पक्ष है तो इसके अनुसार किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले इसमें पहले स्थानीय तिब्बतियों को विश्वास में लिया जाए।
इस मौके पर पर्यावरण शोघकर्ता टेंपा ग्यालसन ने पर्यावरण को होने वाले नुकसान व तिब्बत के प्रदर्शनकारियों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान तिब्बत के पवित्र क्षेत्र में खनन के खिलाफ त्सुलट्रीन ग्यात्सो ने आत्मदाह कर लिया।
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