दैनिक जागरण, 1 सितम्बर 2015
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसाग साग्ये ने कहा है कि तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है। मध्य मार्गीय समाधान ही तिब्बत मसले का सही हल है। सांग्ये ने चीन की ओर से तिब्बत पर जारी श्वेतपत्र पर कहा कि केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की 50वीं वर्षगाठ मना रहा है।
उन्होंने कहा कि 24 व 25 अगस्त को बीजिंग में आयोजित छठी तिब्बत वर्क फोरम की दो दिवसीय बैठक में चीनी पार्टी के शीर्ष नेता राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सेना व सरकार ने भाग लिया। उस दौरान उच्चस्तरीय बैठक में चीन के राष्ट्रपति ने कहा था कि तिब्बत के लिए प्रमुख प्रयासों में राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित करने व अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना चाहिए। बैठक के कारण केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय विभाग संबंधी सचिव टाशी फूचोंक ने भी चीन के श्वेत पत्र पर कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी धर्मगुरु दलाईलामा तेंजिन ग्यात्सो का पुनर्जन्म तिब्बत के लाखों तिब्बतियों के लिए आध्यात्मिक विरासत का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चीन हर बार तिब्बत के मसले पर कारगर मध्यम मार्ग के दृष्टिकोण को खारिज करता आया है। कहा कि अगर चीन श्वेत पत्र में तिब्बत की विशिष्ट पहचान, संस्कृति व जातीय पहचान का सम्मान करता है तो तिब्बत की क्षेत्रीय अखंडता का समाधान निकल सकता है।