धर्मशाला, 10 मार्च, 2015 दैनिक जागरण
तिब्बती क्रांति दिवस की 56 वीं सालगिरह के मौके पर मंगलवार को हजारों की संख्या में तिब्बतियों ने सड़कों पर उतरकर तिब्बत की आजादी और धर्मगुरु दलाईलामा की तिब्बत वापसी को लेकर आवाज बुलंद की।
इस मौके पर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में मैक्लोडगंज पंहुचे तिब्बतियों ने मैक्लोडगंज के चुगलांखंग बौद्धमठ से धर्मशाला के कचहरी चौक तक पद यात्रा निकाली तथा तिब्बत की आजादी को लेकर अपने संघर्ष को और तेज किया। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने हाथों में तिब्बती झंडे लेकर जुलूस निकाला तथा चीन विरोधी नारेबाजी भी की। चीन के खिलाफ तिब्बतियों के इस विरोध प्रदर्शन को विदेशी लोगों का भी भरपूर समर्थन मिला। इस मौके पर आज तिब्बत की आजादी की समर्थक और जर्मन संसद की उपाध्यक्ष क्लोडिया रोथ बतौर मुख्यातिथि रहीं।
इससे पूर्व मैक्लोडग़ंज में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डा लोबसांग सांग्ये ने तिब्बती समुदाय को संबोधित करते हुए तिब्बत की आजादी का मुद्दा आज हर तिब्बती का अहम मुद्दा है। उन्होंने तिब्बत की आजादी के संघर्ष में अपनी जान गवां चुके तिब्बतियों को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमें उनकी कुर्बानी को बेकार नहीं जाने देना है।
विश्वभर में मनाया जाता है दिवस
उल्लेखनीय है कि 10 मार्च को क्रांति दिवस के रूप में विश्व भर में तिब्बती और तिब्बत समर्थक विभिन्न भागों से इस दिन को मनाते हैं। तिब्बत की आजादी को लेकर तिब्बत सहित अन्य जगहों पर अभी तक 120 से अधिक तिब्बती नागरिकों ने आत्मदाह किया है। हजारों तिब्बती भिक्षु, भिक्षुणी और आम नागरिक और महिलाएं चीनी दमन के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। तिब्बती राष्ट्रीय क्रांति दिवस की 56वीं वर्षगांठ के अवसर पर 5 गैर सरकारी संगठन प्रस्ताव रखा गया, जिसमें कहा गया कि तिब्बत और तिब्बत के बाहर तिब्बती चीनी सरकार की तिब्बत में जनविरोधी नीतियों का विरोध करेंगे।