पंजाब केसरी, 20 सितंबर 2014
नई दिल्ली: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाईलामा ने आज चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘ज्यादा यथार्थवादी’ बताया और कहा कि वह अपने पूर्ववर्तियों से ‘ज्यादा सिद्धांतवादी’ जान पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच संघर्ष की कोई जरूरत नहीं है एवं एकमात्र रास्ता परस्पर विश्वास के आधार पर शांतिपूर्वक रहना है। उन्होंने नौ बड़े धर्मों के प्रतिनिधियों के दो दिवसीय सम्मेलन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘काफी बदलाव आए हैं। जब से वह (शी चिनफिंग) राष्ट्रपति बने हैं, समस्याओं से निपटने में उनके कौशल का मूल्यांकन करने पर वह तुलनात्मक रूप से ज्यादा यथार्थवादी एवं अधिक सिद्धांतवादी हैं।’’
दलाईलामा ने कहा कि राष्ट्रपति ने चीनी संस्कृति में बौद्धधर्म के महत्व को रेखांकित किया है जो दर्शाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं में हकीकत के तद्नुरूप कार्रवाई करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार कम्युनिस्ट नेताओं ने आध्यात्मवाद के महत्व का उल्लेख किया है। यह एक नयी बात है। ’’
निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा कि वह लंबे समय से तिब्बत जाना चाह रहे हैं लेकिन चीन उसकी इजाजत नहीं देता। शी चिनफिंग तीन दिन की यात्रा पर भारत आए थे और कल ही स्वदेश लौटे। दलाईलामा तिब्बत के लिए ज्यादा बेहतर स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं, जो चीन का हिस्सा है, लेकिन चीन उनकी इस मांग और उनके एक श्रेष्ठ तिब्बती नेता के दर्जे को खारिज करता रहा है।