जागरण, 12 जून 2014
जम्मू। पर्यटकों की पहली पसंद लद्दाख में मौसम साजगार होने के बाद पर्यटन के साथ धार्मिक गतिविधियां भी जोर पकड़ने को हैं। इस समय क्षेत्र में बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के आने का इंतजार हो रहा है।
सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में दलाईलामा के दौरे पड़ोसी देश चीन को एक आंख नहीं सुहाते हैं। समय-समय पर लद्दाख में चीन के आक्रामक तेवर दिखाने का एक कारण यह भी है। तिब्बत कब्जाने वाला चीन की लद्दाख के प्रति नीयत ठीक नहीं है। वहीं, दलाईलामा के प्रति गहरी आस्था रखने वाले लेह, कारगिल के बौद्ध चीन से नफरत करते हैं। ऐसे हालात में लद्दाख के बौद्ध संगठनों के निमंत्रण पर दलाईलामा कारगिल के पदम, जंस्कार में 23 से 25 तक कार्यक्रम के दौरान निर्वाण हासिल करने के मुद्दे पर शिक्षा देंगे। वहीं, एक जुलाई को वह लिकिर मठ में धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह 3 से 14 जुलाई तक कालचक्र शिक्षा देंगे। कालचक्र का आयोजन लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन, लद्दाख गोंपा एसोसिएशन व तिब्बतन जोनांग एसोसिएशन की ओर से किया जा रहा है। कालचक्र के पहले तीन दिनों में दलाईलामा नामग्याल मठ के भिक्षुओं, वरिष्ठ लामाओं के साथ धार्मिक रीतियों में हिस्सा लेंगे। इसके बाद कालचक्र शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। चौदह जुलाई को दलाई लामा की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाएगी।
इस बीच, दलाईलामा के आगमन की तैयारियों के चलते साइंस एवं तकनीकी राज्य मंत्री फिरोज खान ने कारगिल के पदम, जंस्कार का दौरा किया। तैयारियों का जायजा लेने के लिए मंत्री पोटांग भी गए। दलाई लामा पोटांग में धार्मिक शिक्षा देंगे।