दैनिक जागरण, 11 मार्च 2014
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बत विद्रोह दिवस की 55वीं वर्षगांठ पर सोमवार को तिब्बतियों ने मैक्लोडगंज से धर्मशाला तक शांति मार्च निकाला। इस दौरान विभिन्न तिब्बती संगठनों ने विश्व समुदाय से चीन पर दबाव बनाने की गुहार लगाई है।
वक्ताओं ने कहा कि तिब्बत के ल्हासा से हजारों तिब्बती 10 मार्च 1959 को चीन के विरोध व विद्रोह के चलते दलाईलामा की सुरक्षा के मद्देनजर अपना देश छोड़कर भारत आए थे, लेकिन विद्रोह के 55 साल के बाद भी तिब्बतियों की राहें आसान नहीं हुई है। तिब्बती अपने देश नहीं लौट सके हैं। तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद वहां तिब्बतियों के साथ लगातार अत्याचार हो रहे है। इस मुद्दे को तिब्बती संगठन समय-समय पर विश्व मानवाधिकार आयोग व विश्व मंच पर रखते रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके लिए घर वापसी का रास्ता नहीं खुल सका है।
इसे पहले तिब्बती युवा कांग्रेस के महासचिव लामसंग, तिब्बती संगठन गूजूसुम के महासचिव मेयूकुंगम, तिब्बती महिला एसोसिएशन की महासचिव निम्मा लामो, स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत इंडिया के ज्योतस्ना जीओर्ज की अगुवाई में विभिन्न तिब्बती संगठन शांति मार्च में धर्मशाला पहुंचे।