दैनिक जागरण, 30 जनवरी 2014
जीवन के वो 40 साल.. बस इसी आस में कट गए की तिब्बत आजाद होगा और समुदाय आजादी में सांस लेगा। तिब्बती आंदोलन के लिए चीन में कारावास भुगतने वाले देशभक्त के चार दशकों की सजा के अनुभव अब बायोग्राफी में अंकित हैं। यह बायोग्राफी टाकना जिग्मे सागपो की है, जिन्हें 1960 में चीन सरकार ने ल्हासा प्राइमरी स्कूल में बच्चों का तिब्बत प्रेम का पाठ पढ़ाते के आरोप में कारावास में डाल दिया था। इसके बाद 1964 में सांगिप जेल में उन्होंने चीन की नीतियों को भी सही नहीं बताया था।
देशप्रेमी टाकना चीन सरकार की सजा के आगे झुके नहीं और तिब्बत की आजादी के लिए आवाज बुलंद रखी। चालीस साल बाद 31 मार्च 2002 में चीन सरकार ने चिकित्सा आधार पर उन्हें रिहा किया। तिब्बत के वह तीसरे ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने तिब्बती आंदोलन के लिए सबसे अधिक सजा भुगती है।
टाकना का कहना है कि बायोग्राफी को खिलाने के लिए वह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के आभारी हैं, जिन्होंने 28वें तिब्बती अपराइजिंग डे पर कहा था कि तिब्बती समुदाय के बुजुर्ग अपने अनुभवों को लिखे और संघर्ष व बलिदान के बारे में युवा पीढ़ी को बताएं। जिससे कि वे भी अपना योगदान तिब्बत की स्वायतता में जारी आंदोलन में प्रदान करें। उन्हीं के आशीर्वाद से अनुभवों को बायोग्राफी का रूप दिया गया है।
दो लेखकों ने लिखी है बायोग्राफी
टाकना जिग्मे सागपो की कारावास के अनुभव बायोग्राफी ‘मेत्से न्योगस्तर’ में लिखे गए हैं। इस बायोग्राफी को ल्हाचब जिन्पा व युवतेल यारफेल ने लिखा है। टाकना के बताए अनुभवों को दोनों लेखकों ने शब्दों का रूप दिया है। यह पुस्तक अंग्रेजी के साथ ही अन्य भाषाओं में भी है।
सच्चे देशभक्त हैं टाकना : सांग्ये
बायोग्राफी को निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये ने मैक्लोडगंज में विमोचन किया है। उन्होंने कहा कि टाकना सच्चे देशभक्त हैं। एक, पांच, दस साल नहीं बल्कि 40 साल कारावास में रहना और तिब्बत की आवाज को बुलंद रखने वाले टाकना पूरे समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनका बलिदान पुस्तक के माध्यम से चीन सरकार की नीतियों के विरोध में आंदोलन को जारी व तेज करने में लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगा। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिपोंछे व मंत्री डोंगचुंग न्गोडुप ने भी बायोग्राफी को जारी करने की सराहना की है।