रिपोर्ट, 9 मई 2013
चीन के क़ब्ज़े में छटपटाहट रहे तिब्बत की आज जो दुर्दशा हो रही है , उसमें कहीं न कहीं हमारी गल्तियां भी हैं । यदि १९५० में जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया था , तब हम चेत जाते तो शायद तिब्बत की रक्षा हो पाती ।ये विचार भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नौ मई को प्रसिद्ध तिब्बतविद् डा कुलदीप चन्द अग्निहोत्री की पुस्तक ‘भारत चीन सम्बध और तिब्बत मुक्ति साधना’ का विमोचन करते हुये कहे । विमोचन का कार्यक्रम भारत तिब्बत सहयोग मंच की दिल्ली प्रदेश शाखा ने नौ मई को दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित किया था । कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रदेश सह संघचालक डा० श्याम सुन्दर अग्रवाल ने की ।
गडकरी ने कहा कि जब मैं चीन गया था तो मैंने वहाँ के नेतृत्व से तिब्बत के बारे में खरी खरी बातें की थीं और स्पष्ट किया था कि चीन की तिब्बत के प्रति नीति उचित नहीं है । गडकरी ने कहा तिब्बत हमारा भाई है और चीन हमारा मित्र हो सकता है । लेकिन दुर्भाग्य से हमने तिब्बत के प्रति भाई का धर्म नहीं निभाया और चीन ने हमारे प्रति मित्र का धर्म नहीं निभाया । उन्होंने कहा आज चीन एक बड़ी आर्थिंक शक्ति बन कर उभर रहा है । भारत को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की ज़रुरत है ।चीन के साथ अच्छे रिश्ते ताक़त के आधार पर ही बन सकते हैं क्योंकि चीन ताक़त की भाषा ही जानता है ।
इस अवसर पर बोलते हुये डा० अग्निहोत्री ने कहा कि जिस दिन भारत इतना शक्तिशाली हो जायेगा कि वह चीन के क़ब्ज़े में गई भारत की ज़मीन छुड़ाने के क़ाबिल हो जायेगा , उस दिन तिब्बत भी आज़ाद हो जायेगा । लेकिन दुर्भाग्य से देश के राजनैतिक नेतृत्व को आपसी लड़ाई से ही फ़ुरसत नहीं है ,और हमारी विदेश नीति अभी भी नेहरु काल में पाँव जाये है । हिमालयी क्षेत्र में चीन को आगे बढ़ने से रोकने के लिये भारत को अपनी रक्षा व्यवस्था मज़बूत करनी होगी । कार्यक्रम में मंच का संचालन भारत तिब्बत सहयोग मंच के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष पंकज गोयल ने किया और धन्यवाद आचार्य यही फुंछोक ने किया ।