दैनिक जागरण, 30 अप्रैल 2013
जागरण ब्यूरो, जम्मू : तिब्बत से सांस्कृतिक और धार्मिक समानता रखने वाले लद्दाख क्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए ही चीन आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ रहा है। चीन की इस साजिश को केंद्र सरकार की कमजोर कूटनीति सहायता दे रही है। उसे रोका नहीं गया तो वह बढ़ते-बढ़ते जोजिला तक पहुंच जाएगा।
लद्दाख के पूर्व सांसद व भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थुप्स्तन छीवांग ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का इसे स्थानीय मसला व गृहमंत्री का चीन-भारत सीमा को विवादित करार देना देशद्रोह से कम नहीं है। चीन की घुसपैठ का प्रभाव पर्यटन पर पड़ना शुरू हो गया है व इस मसले पर पूरे देश को जागरूक किया जाएगा।
सोमवार को यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए छीवांग ने कहा कि केंद्र का ऐसा रवैया उन लद्दाखियों का मनोबल गिरा रहा है जो देश की एक-एक इंच भूमि के लिए जान देने को तैयार हैं।
पूर्व सांसद ने कहा कि चीन ने पाकिस्तान, नेपाल जैसे भारत के पड़ोसी देशों को अपने साथ मिला लिया है। उसकी कोशिश ब्रह्मापुत्र नदी के बाद लद्दाख के जलस्रोतों पर कब्जा जमाने की है। दौलत बाग ओल्डी में चीन की घुसपैठ को एक गंभीर मसला करार देते हुए उन्होंने कहा कि अगर लद्दाख के लिए सेना की विशेष कमान जल्द नहीं बनाई गई तो स्थिति हाथ से निकल जाएगी।
लद्दाख में लड़े गए युद्धों में लद्दाखियों की कुर्बानियों का हवाला देते हुए पूर्व सांसद ने जोर दिया कि ट्रांस हिमालयन विकास प्राधिकरण का गठन कर चीन से लगते इलाकों का विकास वहां उचित संख्या में सैनिक तैनात किए जाएं।
चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने संबंधी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान को सही करार देते हुए छीवांग ने केंद्र को सचेत किया कि लद्दाख को लेकर चीन से किसी प्रकार का कोई समझौता न किया जाए। चीन नहीं चाहता है कि लद्दाख में वायुसेना की एडवांस हवाई पट्टियां हों। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. निर्मल सिंह व बाली भगत भी मौजूद थे।
वहीं, चीन की चुनौती का आकलन कर चुकी भाजपा की कमेटी के सदस्य रहे निर्मल सिंह ने कहा कि लद्दाख को लेकर कांग्रेस की सोच पिछले 65 साल में नहीं बदली है। लद्दाख में सेना व आईटीबीपी पर राजनीतिक दबाव के कारण वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले भाजपा द्वारा लद्दाख को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट पर अगर केंद्र ने कार्रवाई की होती तो आज हालात ऐसे न होते।
उन्होंने कहा कि यह यूपीए सरकार की कमजोरी का परिणाम है कि चीन गुलाम कश्मीर पर अपना कब्जा जमाने के बाद यह दावा कर रहा है कि यह भूमि जिसे भी मिलेगी वह उससे समझौता कर लेगा।