दैनिक जागरण, 10 मार्च 2013
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बती प्रधानमंत्री ने डॉ. लोबसाग सागे ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया है कि वह चीन से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त को तिब्बत में प्रवेश करने की इजाजत दिलवाए। इसके अलावा राजनयिकों तथा अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी वहा जाने दिया जाए। इसी तरीके से तिब्बत के संगीन हालात के बारे में सच विश्व पटल पर आ सकता है और आत्मदाह की घटनाओं पर रोक लग सकती है। सांगे तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 54वीं वर्षगाठ पर रविवार को मुख्य बौद्ध मंदिर में तिब्बती समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस माह उत्तर अमेरिका, यूरोप और अन्य जगहों के तिब्बती लोग तिब्बत जनमत निर्माण दिवस मनाएंगे। तिब्बत सभी को तीन ‘थ्री डी’ का मुख्य संदेश देना चाहते हैं। इसका अभिप्राय है डीवोल्युशन, डेमोक्रेसी और डायलॉग। हस्तातरण, लोकतंत्र और संवाद का संदेश विश्व को दिया जाएगा। आज ही के दिन 1959 में सभी वर्गो और तिब्बत के तीनों क्षेत्रों के हजारों तिब्बती, चीनी हमले और कब्जे का प्रतिकार करने और उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए ल्हासा में जुटे थे। यह तिब्बत की बुनियादी स्वाधीनता, गरिमा और पहचान को सुरक्षित रखने के मौजूदा संघर्ष के लिए पथ-प्रदर्शक की तरह था।
प्रधानमंत्री ने 2013 को तिब्बत के साथ एकजुटता अभियान के वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हर आयोजन शातिपूर्ण, कानूनी तरीके से और गरिमा के साथ आयोजित किया जा रहा है। नई दिल्ली में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा आयोजित चार दिवसीय जन अभियान में शामिल होने के लिए 30 जनवरी को हजारों तिब्बती और भारतीय मित्र जमा हुए थे।
राजनीतिक दलों के कई प्रमुख नेता इस अभियान में शामिल हुए और उन्होंने तिब्बत के लिए काम करने का वचन दिया। यूरोप के तिब्बती और तिब्बत मित्र ब्रसेल्स में तिब्बत के लिए यूरोपीय एकजुटता रैली का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि तिब्बती समुदाय भारत की जनता और सरकार के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। वे दुनियाभर की उन सभी सरकारों, संगठनों, तिब्बत समर्थक संगठनों और व्यक्तिगत समर्थकों के प्रति उनके समर्थक प्रस्तावों, बयानों और बेहिचक और उदार समर्थन के लिए आभारी हैं।