दैनिक जागरण, 19 फ़रवरी 2013
कार्यालय संवाददाता, धर्मशाला : सोमवार को धर्मशाला में तिब्बती समुदाय ने चीन की दमनकारी नीतियों और दबावपूर्ण रवैये के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने मैक्लोडगंज से कचहरी बाजार तक रैली निकाली।
विरोध प्रदर्शन में तिब्बती संस्थाओं, स्कूली छात्रों व तिब्बती समुदाय ने एकजुट होकर आवाज उठाई। इस मौके पर तिब्बती समुदाय ने तिब्बत में लगातार हो रहे आत्मदाह के मामलों पर चिंता जताई। आयोजक प्रतिनिधियों ने कहा कि तिब्बत में 102 आत्मदाह हो चुके हैं और 17 फरवरी को भी एक युवक ने आजादी की आवाज को बुलंद करते हुए जान दे दी।
तिब्बती समुदाय ने कहा कि तिब्बत में चीन सरकार की दखल हद से अधिक बढ़ गई है और इस कारण आत्मदाह के रूप में विरोध ने तूल पकड़ा है। इस मौके पर निर्वासित तिब्बतियों ने विश्व समुदाय से आग्रह किया कि तिब्बत को स्वायतत्ता दिलाई जाए ताकि परमपावन दलाईलामा और निर्वासन का जीवन जी रहे तिब्बती अपने देश लौट सकें। उन्होंने चीन सरकार के परमपावन दलाईलामा पर दोषारोपण और तिब्बती लोगों को अपराधी एवं कट्टरपंथी बताने पर नाराजगी जाहिर की।
ये उठाई मांगें
– विश्व के नेताओं द्वारा एक संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया।
– तिब्बत में चीन की कठोर नीतियों से हो रहे आत्मदाह एवं आंदोलन का आकलन और हालात व जीवन सुधारने को पूर्ण तिब्बती समुदाय एवं धार्मिक गुरुओं की भागीदारी।
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधियों और मीडिया समूहों को तिब्बत में स्वतंत्र यात्रा की अनुमति मिले, जिससे लोग अपनी वास्तुस्थिति से अवगत करवा सकें।