वेब दुनिया 31 जनवरी 2013
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लॉबसांग सांगेय ने कहा कि वास्तविक स्वायत्तता से तिब्बत मुद्दे का हल चीन के आधुनिकीकरण में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है।
‘तिब्बत : वर्तमान हालात और चीन एवं भारत के लिए इसके निहितार्थ’ शीर्षक के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को चीन के साथ बातचीत में तिब्बत को मूल मुद्दा बनाना चाहिए, ताकि सुरक्षा एवं पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके।
सांगेय ने चीन से वास्तविक स्वायत्तता के लिए तिब्बत के लोगों के शांतिपूर्ण संघर्ष को मान्यता नहीं देने के लिए देशों की आलोचना की और कहा कि उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वास्तविकता और भाषण में अंतर है। उन्होंने इस संबंध में सीरिया पर पश्चिमी देशों के रुख की आलोचना की और कहा कि उन्होंने एक सशस्त्र क्रांति का समर्थन किया, लेकिन शांतिपूर्ण संघर्ष का नहीं।
सांगेय ने कहा, हमारा रुख बिलकुल स्पष्ट है। हम वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं। ऐसा होना चीन के आधुनिकीकरण के उत्प्रेरक का काम करेगा। हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन करते आए हैं। यह चीन के आधुनिकीकरण और उदारीकरण के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।
सांगेय ने स्पष्ट किया कि तिब्बती लोगों की ऐसी कोई भी योजना या मंशा नहीं है कि वे तिब्बत पर चीन की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती दें, लेकिन उनकी वास्तविक स्वायत्तता और आत्मसम्मान को फिर से बहाल करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, एक मेहमान के तौर पर हम भारत से सिर्फ इतना अनुरोध करेंगे कि वह चीन के साथ अपनी वार्ता में तिब्बत को एक मूल मुद्दे के तौर पर देखें, ताकि इसकी सुरक्षा और पर्यावरण के मुद्दों का ध्यान रखा जा सके।
इस मौके पर मौजूद पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह ने भी भारत की ओर से चीन से वार्ता के दौरान तिब्बत को मूल मुद्दे के तौर पर रखने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान ताल्लुक हमेशा से भारत के लिए चिंता की वजह है। (भाषा)