दैनिक जागरण, 20 जनवरी 2013
निर्वासित तिब्बती सरकार के संसदीय दल के सदस्यों ने कहा कि चीन शासित तिब्बत की स्थिति वर्तमान में चितांजनक है। चीन लगातार तिब्बततियों पर अत्याचार कर रहा है। जिसके कारण आए दिन वहां लोग आत्मदाह और आत्महत्या करने पर उतारू हो रहे हैं। उक्त बातें शनिवार को बोधगया आए संसदीय दल के चार सदस्य दावा छेरिंग, गांग लोहमा, मुरगु तेरपा व एक अन्य सदस्य ने प्रेस वार्ता में कहीं। प्रेस वार्ता के बाद संसदीय दल के सदस्यों व अन्य तिब्बतियों ने महाबोधि मंदिर में कैंडिल लैंप जुलूस निकाला और आत्मदाह व आत्महत्या के दिवगंत के आत्मा के शांति के लिए प्रार्थना की।
संसदीय दल के सदस्यों ने कहा कि चीनी शासक के अत्याचार के कारण तिब्बत में आत्मदाह व आत्महत्या की घटना में लगातार वृद्धि हो रही है। चीन शासन की नीति तिब्बतियों के विरूद्ध है। वर्ष 2009 से 95 आत्मदाह व 80 आत्महत्या की घटना घटित हुई है। चीनी शासक के अत्याचार के कारण कई और दिवंगत हुए हैं। उनकी वास्तिवक जानकारी नहीं मिल पा रही है। कुल मिलाकर स्थिति वहां चितांजनक बनी है। चीनी शासन के प्रताड़ना से आत्मदाह व आत्महत्या करने वाले के परिजनों से नहीं मिलने दिया जा रहा है। और जो मिलने का प्रयास करते हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की संस्कृति भारत की देन है। ऐसे में वर्तमान परिस्थति में भारत सरकार व यहां की जनता से साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप व साथ की अपील करते हैं।